‘गाय का मीट बनाओ, हम सब खाएँगे’ – आदिवासी से ईसाई बने रमेश के घर पादरियों का खेल – VHP के साथ दर्द किया साझा

आदिवासी से ईसाई बने रमेश हांसदा चाहते हैं घर वापसी

लॉकडाउन के दौरान झारंखड में ईसाई मिशनरियों के द्वारा आदिवासियों का धर्मांतरण जारी है। इस बीच एक वीडियो हमारे पास आया है, जिसमें करीब एक साल पहले आदिवासी से ईसाई बने एक परिवार के मुखिया ने अपना दर्द बयाँ करते हुए घर वापसी की इच्छा जताई। उन्होंने कहा कि पादरी ने उनके घर जाकर पत्नी को गाय का मांस बनाने और उन्हें उसे खाने के लिए उकसाया।

विश्व हिंदू परिषद के झारखंड-बिहार के क्षेत्रीय संगठन मंत्री केशव राजू की ओर से ऑपइंडिया को एक ऐसे व्यक्ति का वीडियो भेजा गया, जिसके परिवार का करीब एक साल पहले पादरियों ने प्रलोभन देकर धर्मांतरण करा दिया था। इस व्यक्ति की पहचान रमेश हांसदा, (संथाली जनजाति) निवासी सोपोडेरा, परसुडीह, जिला जमशेदपुर रूप में हुई है।

ऑपइंडिया के पास आए वीडियो में पीड़ित रमेश ने बताया, “इस बीच मेरा शरीर कमजोर हो गया, मैं काम धंधा नहीं कर सका। इस दौरान पादरी लोग आ गए और बोले कि हमें क्रिश्चियन धर्म में शामिल करना है। फिर लड़का लोग आया था और बोला कि पार्टी बनाएँगे। बोला- गाय माँस खाते हो? हम नहीं खाते हैं। वो लोग एक-डेढ़ किलो (गो मांस) लाया था। फिर उसने मेरी वाइफ की ओर इशारा करके बोला कि इसे सब आता है, ये बनाएगी। वाइफ ने मना कर दिया। वाइफ ने कहा कि यहाँ नहीं बनाएँगे और बनाने भी नहीं देंगे। फिर वो लोग चले गए।”

रमेश ने बताया कि पादरी हमारे पीछे करीब दो साल से पड़ा हुआ था। वह भी इसलिए कि घर की हालत ठीक नहीं है, इसको योजना करके क्रिश्चियन बनाया जाए।

जब रमेश से पूछा गया कि अभी आप क्या सोच रहे हैं? तो उन्होंने स्पष्ट बताया, “इस टाइम कुछ नहीं मिल रहा है। थोड़ा सा राशन लॉकडाउन में आया था। एक-दो बार दिया है। अभी तो कुछ नहीं आता है। हम चर्च में नहीं जाते हैं।” इसके बाद रमेश से पूछा गया कि आगे क्या इरादा है? इस सवाल पर उन्होंने बताया कि वो फिर से हिंदू धर्म यानी आदिवासी धर्म में शामिल होंगे।

दरअसल रमेश हांसदा से जमशेदपुर जिले के विहिप (विश्व हिंदू परिषद) जिलामंत्री जनार्दन पंडित ने उनके घर जाकर उस समय बात की, जब उनके पास सूचना आई थी कि रमेश ईसाई धर्म को त्याग कर वापस अपने धर्म में आना चाहते हैं।

जनार्दन पंडित ने ऑपइडिया से बातचीत में बताया, “रमेश के परिवार में उनकी पत्नी और बच्चे रहते हैं। आदिवासी समाज से आने वाले रमेश की आर्थिक स्थिति कमजोर है। इसी का फायदा उठाकर पादरियों ने इलाज के बहाने चर्च में बुलाया और प्रलोभन देकर उनका धर्मांतरण करा दिया।”

जनार्दन पंडित ने बताया कि पादरी लोग काफी समय से उनके परिवार का धर्मांतरण कराने की जुगत में लगे हुए थे, लेकिन वह कभी चर्च नहीं गए। आज उन्हें अपने धर्मांतरण पर अफसोस है और वह फिर से हिंदू धर्म में वापसी करना चाहते हैं।

आपको बता दें कि रविवार (14 जून, 2020) को विश्व हिंदू परिषद झारखंड के पदाधिकारियों ने एक पत्रकार वार्ता के दौरान दावा किया था कि लॉकडाउन के दौरान झारखंड में बड़े पैमाने पर ईसाई मिशनरियों द्वारा आदिवासियों का धर्मांतरण किया जा रहा है। इसे सफल बनाने के लिए चर्च के एजेंट गाँव-गाँव जाकर हिंदुओं के खिलाफ जहर उगल रहे हैं।

इस दौरान विहिप झारखंड-बिहार के क्षेत्रीय संगठन मंत्री केशव राजू ने बताया कि फिलहाल वो राज्य के सभी जिलों में धर्मांतरण के काम में लगे लोगों और प्रलोभन में आकर धर्म बदलने वाले लोगों का डेटा इकट्ठा कर रहे हैं। इस कार्य के पूरा होते ही इस सूची को प्रशासन को सौंपा जाएगा और प्रशासन पर इसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए दबाव भी बनाया जाएगा।