J&K: 50 से अधिक दलित-गोरखा बने स्थायी निवासी, बिहारी IAS को ​डोमिसाइल पर भड़की महबूबा-अब्दुल्ला की पार्टी

जम्मू-कश्मीर में दलित अरसे से झेल रहे थे भेदभाव (प्रतीकात्मक तस्वीर)

50 से अधिक दलित और गोरखा जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासी बन गए हैं। इन्हें शनिवार को डोमिसाइल सर्टिफिकेट दिया गया। दूसरी ओर, बिहार से आने वाले वरिष्ठ आईएएस (IAS) अधिकारी नवीन चौधरी को स्थायी निवास का प्रमाण-पत्र मिलने पर जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों ने एतराज जताया है।

चौधरी केंद्र शासित प्रदेश का स्थायी निवासी होने का प्रमाण-पत्र हासिल करने वाले गैर राज्य के पहले शख्स हैं। असल में पहले गैर राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर का डोमिसाइल सर्टिफिकेट हासिल नहीं कर सकते थे। लेकिन, आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद जो नया डोमिसाइल कानून लागू किया गया है, उसने दूसरे राज्य के लोगों के लिए भी यहॉं के स्थायी निवासी बनने के दरवाजे खोल दिए हैं। हालॉंकि इसके लिए कुछ शर्ते निर्धारित की गई हैं। इन्हें पूरा करने वाले को ही डोमिसाइल सर्टिफिकेट मिल सकता है।

चौधरी स​हित अन्य लोगों को डोमिसाइल सर्टिफिकेट दिए जाने के विरोध में शुक्रवार को पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP), नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) और अलगाववादी अमलगाम हुर्रियत कॉन्फ्रेंस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इन्होंने इसे मुस्लिम बहुल केंद्र शासित प्रदेश की जनसांख्यिकी में बदलाव की साजिश करार दिया। साथ ही कहा कि आरएसएस के इशारे पर सरकार ऐसा कर रही है।

PDP पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और NC अब्दुल्ला परिवार की पार्टी है। दूसरी ओर, वाल्मीकि और गोरखा समुदाय के जिन लोगों को शनिवार को डोमिसाइल सर्टिफिकेट दिया गया वे पश्चिमी पाकिस्तान से आए हैं। इनमें से कुछ 1947 में देश के विभाजन के बाद यहॉं आए थे तो कुछ 1957 में पंजाब से सफाई के कार्य के लिए लाए गए थे। इन्हें डोमिसाइल सर्टिफिकेट जम्मू के डिविजनल कमिश्नर ने सौंपा।

उल्लेखनीय है कि अक्टूबर 31, 2019 से जम्मू और कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में गठित किया गया है- जम्मू और कश्मीर एवं लद्दाख। पिछले माह ही केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर ने डोमिसाइल सर्टिफिकेट जारी करने के लिए प्रक्रिया की अधिसूचना जारी की थी। 30 हजार से ज्यादा लोग ऑनलाइन जम्मू-कश्मीर का निवास प्रमाण-पत्र ले चुके है।

नए नियमों के मुताबिक जो लोग 15 साल से जम्मू-कश्मीर में रह रहे हैं या 7 साल तक यहॉं पढ़ाई की है, वे स्थायी निवासी बन सकते हैं। केंद्र सरकार के सार्वजनिक उपक्रमों के अधिकारी, भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी, सार्वजनिक उपक्रमों के कर्मचारी और बैंक कर्मचारी जिन्होंने 10 साल तक जम्मू-कश्मीर में काम किया है वो भी स्थायी निवासी बन सकते हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया