‘रजिस्ट्रेशन कराने गईं छात्राओं के प्राइवेट पार्ट पर हमला, बाथरूम ले जाकर दुर्व्यवहार’ – JNU मामले में गंभीर आरोप

...तो JNU में ऐसे हुई आतंक की शुरुआत?

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में रविवार (जनवरी 5, 2019) शाम वामपंथियों ने एक बार फिर से हिंसा को अंजाम दिया। इस दौरान मास्क पहने वामपंथी गुंडों ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं की पिटाई करने के साथ ही लड़कियों के प्राइवेट पार्ट पर हमला किया, कई लड़कियों के साथ बाथरूम में ले जाकर दुर्व्यवहार भी किया गया।

दरअसल ये भिड़ंत JNU के वामपंथी छात्रसंघ के द्वारा सर्वर डाउन करने को लेकर हुआ। बता दें कि रविवार को रजिस्ट्रेशन का आखिरी दिन था। एबीवीपी के छात्र रजिस्ट्रेशन के लिए गए थे। मगर लेफ्ट विंग के छात्रों ने सर्वर रूम को लॉक कर दिया और वाई-फाई काट दिया। जिसकी वजह से उनका रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया। इसके बाद संगठन के छात्र विवेकानंद मूर्ति के पास रजिस्ट्रेशन की माँग कर रहे थे। इस बीच लेफ्ट के लोगों ने आकर एबीवीपी समर्थित छात्रों पर हमला कर दिया। जेएनयू एबीवीपी प्रेसिडेंट दुर्गेश कुमार ने इसकी जानकारी दी।

बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने दावा किया कि जब कुछ छात्राएँ मैनुअली रजिस्ट्रेशन करवाने जा रहे थीं तो उनके हिप और प्राइवेट पार्ट्स पर लाठी-डंडों से हमला किया गया। इतना ही नहीं, कई छात्राओं को बाथरूम में ले जाकर उनके साथ दुर्व्यवहार भी किया गया। मीनाक्षी लेखी ने कहा कि कई छात्रों ने उन्हें बताया कि कुछ लोग जामिया से भी जेएनयू आए थे। मीनाक्षी लेखी का कहना है कि पीड़ित लड़कियाँ इन बातों को बताने में भी शर्मिंदा हैं।

बता दें कि रविवार को मास्क पहने गुंडों ने हॉस्टल में जम कर पत्थरबाजी भी की। उन्होंने छात्रों के साथ-साथ गार्डों को भी निशाना बनाया। हालाँकि, वामपंथियों के नेतृत्व वाले जेएनयू छात्र संगठन ने इन आरोपों से इनकार किया है और दावा किया है कि एबीवीपी झूठ फैला रही है। एबीवीपी ने कहा है कि अभी छात्रों का इलाज पहली प्राथमिता है। इसके बाद संगठन इस मामले की पुलिस में शिकायत दर्ज कराएगा।

वैसे पिछले 2-3 महीने से JNU कैंपस के अंदर जिस तरह की राजनीति चल रही है, उसके बिंदुओं को जोड़ने पर बहुत कुछ स्पष्ट होने लगता है। मसलन विरोध के नाम पर क्लास नहीं होने देना, विरोध के नाम पर शोध कर रहे प्रोफेसरों को लैब में जाने से रोकना, विरोध के नाम पर एम्बुलेंस का रास्ता रोकना या फिर पुलिस से पहचान छिपाने के लिए क्या-क्या हथकंडे अपनाना – यह सुब कुछ इन्हीं लिबरलों के द्वारा किया जा रहा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया