बुर्के पर HC की बड़ी बेंच में होगी सुनवाई: बोलीं अब्दुल गफ्फार खान की पोती- यूनिफॉर्म कोड का हो पालन, नकवी ने विवाद को बताया साजिश

765 वकील, शिक्षाविद और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने खुला खत लिख हिजाब को मुस्लिमों का अधिकार बताया (फोटो साभार: LiveLaw)

कर्नाटक में शैक्षणिक संस्थानों में बुर्का पहनने को लेकर चल रहे विवाद पर आज (10 फरवरी 2022) को हाई कोर्ट की बड़ी बेंच सुनवाई करेगी। बुधवार को अदालत की एकल पीठ ने मामले को बड़ी बेंच को हस्तांतरित कर दिया था। इस बीच अब्दुल गफ्फार खान की पोती यास्मीन निगार ने कहा है कि स्कूलों में यूनिफॉर्म कोड का पालन होना चाहिए। वे ऑल इंडिया पख्तून जिरगा-ए-हिंद की अध्यक्ष भी हैं। वहीं केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने बुर्के पर चल रहे हालिया विवाद को आपराधिक साजिश करार दिया है।

नकवी ने इस मामले में राजनीति करने वालों को पाकिस्तान से जुगलबंदी करने वाला बताया है। साथ ही उन्होंने इस मामले को तूल देने वालों को भारत को बदनाम करने की मंशा रखने वाली सोच करार दिया है। नकवी ने कहा, “हिजाब पर चल रहा हंगामा एक आपराधिक षड्यंत्र हैं। यह ड्रेसकोड पर एक भ्रामक प्रचार है। हर संस्थान को अपना ड्रेसकोड लागू करने का अधिकार है। यह अनुशासन और शिष्टाचार का प्रतीक है। भारत को कोसने वाले ऐसे समूहों के साथ पाकिस्तान जुगलबंदी करने को हमेशा तैयार रहता है।”

वहीं यास्मीन खान ने यूनिफॉर्म कोड का समर्थन करते हुए कहा है कि यदि आप स्कूल में खुद को बुर्का या हिजाब के कवर करते हैं तो यह पहचान का मुद्दा होगा। मुझे लगता है कि पूरे चेहरे को ढकने के बजाय एक स्कार्फ पहना जा सकता है। उन्होंने कहा कि जब लोग हज के लिए मक्का जाते हैं तो कुछ लोग बुर्का पहनते हैं, कुछ नहीं पहनते। इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। स्कूलों में सभी को बराबर होना चाहिए और धर्म का पालन सिर्फ एक हद तक ही करना चाहिए।

गौरतलब है कि कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर शिक्षण संस्थानों में हिजाब/बुर्के में एंट्री की अनुमति माँगी गई है। हाई कोर्ट की एकल पीठ ने कहा कि इस मामले में केवल ‘पर्सनल लॉ’ ही नहीं, बल्कि संवैधानिक पहलुओं पर भी विचार करना ज़रूरी है। लिहाजा मामले को बड़ी बेंच के पास भेजा गया है। इस मामले में कई वकील अपना पक्ष रखना चाह रहे थे, लेकिन अदालत ने स्पष्ट किया कि ये PIL नहीं है।

मीडिया भले ही इसे हिजाब का मामला बता रहा हो, लेकिन विरोध-प्रदर्शनों और पहनावे को देख कर स्पष्ट है कि मामला बुर्के को लेकर है। इस बीच बेंगलुरु प्रशासन ने स्कूल-कॉलेजों के 200 मीटर के घेरे में विरोध-प्रदर्शनों पर रोक लगा दी है। अगले दो सप्ताह तक ये रोक जारी रहेगी। इस घेरे में धारा-144 लगी रहेगी। सभी स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के लिए ये निर्णय जारी रहेगा।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया