Thursday, April 25, 2024
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कर्नाटक हाईकोर्ट ने बुर्का मामला बड़ी बेंच के पास भेजा, 2 सप्ताह तक स्कूल-कॉलेजों के आसपास प्रदर्शन पर प्रतिबंध

अब इस मामले को कर्नाटक उच्च-न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पास भेजा जाएगा, जो इस पर सुनवाई के लिए एक बड़ी बेंच का गठन करेंगे।

कर्नाटक में बुर्के को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शन के मामले पर कर्नाटक उच्च-न्यायालय में भी सुनवाई हुई। कर्नाटक हाईकोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब/बुर्के में एंट्री की अनुमति के सम्बन्ध में दायर मामले को एक बड़ी बेंच को ट्रांसफर कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि न सिर्फ ‘पर्सनल लॉ’, बल्कि संवैधानिक पहलुओं पर भी विचार करना ज़रूरी है, इसीलिए इसे बड़ी बेंच के पास भेजा जाएगा। इस मामले में कई वकील अपना पक्ष रखना चाह रहे थे, लेकिन अदालत ने स्पष्ट किया कि ये PIL नहीं है।

अब इस मामले को कर्नाटक उच्च-न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पास भेजा जाएगा, जो इस पर सुनवाई के लिए एक बड़ी बेंच का गठन करेंगे। इस दौरान बुर्का पक्ष के वकीलों ने माँग की कि छात्रों को अपनी आस्था का पालन करते हुए स्कूल-कॉलेज जाने की अनुमति दी जाए। उन्होंने कुछ अंतरिम व्यवस्था करने की माँग की, ताकि छात्रों की ‘पढ़ाई’ हो सके। वहीं एडवोकेट जनरल ने कहा कि ये सिर्फ राज्य का मामला नहीं है, बल्कि हर संस्थान की अपनी अलग स्वयात्तता है।

AG ने कहा कि पहले के कई बड़े निर्णय हैं, जिनसे पता चलता है कि हिजाब ‘मजहबी प्रैक्टिस’ का अभिन्न हिस्सा नहीं है। उन्होंने कहा कि छात्रों को शैक्षणिक संस्थानों द्वारा तय किए गए ड्रेस में ही कक्षाएँ अटेंड करनी चाहिए। उन्होंने याद दिलाया कि सायरा बानो के मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि हदीथ को ‘दूसरे दर्जे का’ स्रोत ही माना जाना चाहिए। उन्होंने छात्राओं को हिजाब पहनने के लिए अंतरिम राहत दिए जाने के फैसले का विरोध किया।

उन्होंने कहा कि अंतरिम राहत देने का मतलब ये होगा कि याचिका की माँग मान ली गई है। वकीलों का कहना था कि कर्नाटक के शिक्षा विभाग के नियम-कानूनों में ड्रेस को लेकर कुछ भी नहीं है। बुर्का पक्ष के वकीलों का कहना था कि छात्रों को अपनी पसंद के कपड़े पहन कर स्कूल जाने की अनुमति दी जाए। ‘कॉलेज डेवलपमेंट कमिटी’ ने भी अंतरिम राहत देने की माँग का विरोध किया। इस दौरान कोर्ट में वक वकील को चिल्लाने के लिए जज ने डाँट भी पिलाई।

बता दें कि मीडिया भले ही इसे हिजाब का मामला बता रहा हो, लेकिन विरोध प्रदर्शनों और पहनावे को देख कर स्पष्ट है कि मामला बुर्के को लेकर है। उधर बेंगलुरु प्रशासन ने स्कूल-कॉलेजों के 200 मीटर के घेरे में विरोध प्रदर्शनों पर रोक लगा दी है। अगले दो सप्ताह तक ये रोक जारी रहेगी। इस घेरे में धारा-144 लगी रहेगी। सभी स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के लिए ये निर्णय जारी रहेगा। कर्नाटक सरकार भी जल्द ही कुछ फैसले ले सकती है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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