इस्लाम छोड़ने पर जान के पीछे पड़े रिश्तेदार: केरल के अस्कर अली ने कहा- बातचीत के लिए बुलाकर अपहरण करने की कोशिश की, पुलिस ने जान बचाई

अस्कर अली के रिश्तेदारों ने की अपहरण की कोशिश (फोटो साभार: Tou Tube)

हाल ही में इस्लाम छोड़ने वाले केरल (Kerala) के अस्कर अली (Askar Ali) ने आरोप लगाया है कि उनके रिश्तेदार अब उन्हें परेशान कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि 1 मई को एसेन्स ग्लोबल सम्मेलन को संबोधित करने से पहले उनके रिश्तेदारों ने उनका अपहरण करने की भी कोशिश की।

न्यू इंडियन एक्सप्रेस को उन्होंने बताया, “पारिवारिक मामलों पर बात करने के बहाने दो रिश्तेदार मेरे पास आए और सुबह मुझे बीच पर ले गए। बाद में वहाँ कार से दो अन्य लोग भी आए। मेरे रिश्तेदारों ने उनकी मदद से मुझे जबरन गाड़ी में बैठाने की कोशिश की। एक व्यक्ति ने मेरा मोबाइल फोन तोड़ दिया। मैं चिल्लाने लगा। मेरी चीख सुनकर मौके पर पहुँचे लोगों ने पुलिस को फोन कर दिया।”

अस्कर अली फिलहाल अपने दोस्त के यहाँ रह रहे हैं। उनके परिवार के सदस्यों ने उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी, जिसकी वजह से उन्हें मजिस्ट्रेट के सामने पेश होना पड़ा। उन्होंने आगे कहा, “मैंने इस्लाम का विस्तार से अध्ययन करने के बाद इस मजहब को छोड़ दिया। जब मैं (हुदावी) कोर्स कर रहा था तो इस्लाम से संबंधित सामग्री के अलावा अन्य सामग्री को पढ़ने का अवसर काफी कम था। लॉकडाउन के दौरान मुझे अन्य विषयों को पढ़ने को मिला, जिससे मेरी आँखें खुल गईं।” अस्कर ने कहा कि जो लोग धर्म छोड़ते हैं उन्हें उनके परिवार के सदस्य नीच प्राणी के रूप में देखते हैं।

इससे पहले बुधवार (4 मई 2022) को रिपोर्ट में बताया गया कि 24 वर्षीय अस्कर पर इस्लाम छोड़ने पर इस्लामी कट्टरपंथियों की भीड़ ने हमला कर दिया था। उन्होंने कोल्लम पुलिस में हत्या के प्रयास का मामला दर्ज कराया है। अली ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि उनके इस्लाम छोड़ने के बाद भीड़ ने उन पर हमला किया। इसके अलावा इस्लाम छोड़ने की वजह से उन्हें समुदाय के लोगों की तरफ से दी जाने वाली धमकियों का भी सामना करना पड़ रहा है।

मलप्पुरम के रहने वाले अस्कर अली ने मलप्पुरम की एक प्रमुख मजहबी एकेडमी से 12 साल का हुदावी धार्मिक कार्यक्रम पूरा किया है। वह रविवार (1 मई, 2022) को ‘वैज्ञानिक सोच, मानवतावाद और समाज में सुधार की भावना’ को बढ़ावा देने वाले संगठन ‘एसेंस ग्लोबल’ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में इस्लामी अध्ययन के छात्र के रूप में अपने अनुभव को साझा करने के लिए कोल्लम गए थे।

अली ने अपनी शिकायत में कहा कि मलप्पुरम में लोगों के एक समूह ने उनका अपहरण करने की कोशिश की, ताकि वह उस कार्यक्रम को संबोधित न कर सकें। अली ने बताया, “वे मुझे कोल्लम समुद्र तट पर ले गए, जहाँ मेरे साथ मारपीट की गई। उन्होंने मेरा मोबाइल फोन तोड़ दिया और मेरे कपड़े फाड़ दिए। वे मुझे जबरन एक वाहन में ले गए और मुझे अंदर बंद करने की कोशिश की। जब स्थानीय लोगों ने शोर मचाया तो पुलिस ने मुझे बचा लिया।” बाद में अली को पुलिस ने छोड़ दिया। इसके बाद अली ने पुलिस की मौजूदगी में सभा को संबोधित किया।

इस्लाम में मजहब छोड़ने की सजा मौत

इस्लाम में मजहब छोड़ने पर मौत की सजा है। साल 2014 में आठ मुस्लिम बहुल देशों में एक मुस्लिम द्वारा इस्लाम के त्याग करने की सजा मृत्युदंड थी। जानकारी के मुताबिक, तेरह देशों में इस्लाम छोड़ने पर कई तरह की सजा दी जाती थी। इसके तहत उन्हें जेल में डाल दिया जाता है या जुर्माना लगाया जाता है। इतना ही नहीं, इसके तहत उनके बच्चे की कस्टडी भी छीन ली जाती है। कुछ दशक पहले, अधिकांश शिया और सुन्नी कानूनविदों का मानना ​​था कि इस्लाम छोड़ना अपराध के साथ-साथ पाप भी है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया