आखिर किस खुन्नस में पूर्व CJI गोगोई को बेशर्म और यौन दुराचारी बता रहे SC के पूर्व जज मार्कण्डेय काटजू

पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई को राज्यसभा भेजे जाने से नाराज़ हैं मार्कण्डेय काटजू

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को राज्यसभा के सदस्य के तौर पर नामित किया है। इसके बाद से ही कथित लिबरल और सेक्युलर गिरोह उनके पीछे पड़ा हुआ। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कण्डेय काटजू को तो यह इतना नागवार गुजरा है कि पूर्व सीजेआई की आलोचना करते हुए वे भाषाई मर्यादा का भी ध्यान नहीं रख पाए।

बकौल काटजू, मैं 20 साल तक वकील और 20 साल जज रहा हूॅं। मैंने कई अच्छे और कई बुरे जजों को देखा है। लेकिन मैं भारतीय न्यायपालिका में किसी भी न्यायाधीश को इस यौन विकृत रंजन गोगोई जितना बेशर्म और अपमानजनक नहीं मानता। शायद ही कोई दोष है, जो इस आदमी में नहीं था।

ऐसा नहीं है कि पूर्व सुप्रीम कोर्ट जजों में सिर्फ़ काटजू ने ही जस्टिस (रिटायर्ड) गोगोई को राज्यसभा भेजे जाने की आलोचना की है। मदन लोकुर और कुरियन जोसेफ जैसे जजों ने भी उन पर निशाना साधा है। लोकुर और जोसेफ उन चार जजों में शामिल थे जिन्होंने 2018 में सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में पहली बार प्रेस कॉन्फ्रेंस किया था। दो अन्य जज गोगोई और चेलमेश्वर थे।

काटजू पहले भी अपने बयानों के कारण विवादों में रहे हैं। उन्होंने पूर्व सीजेआई गोगोई के लिए आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करते ‘बेशर्म’, ‘बेइज्जत’ और ‘यौन विकृत’ बताया है। काटजू ने तो यहाँ तक दावा किया कि शायद ही ऐसी कोई बुराई हो, जो रंजन गोगोई में न हो।

https://twitter.com/mkatju/status/1239945249184608256?ref_src=twsrc%5Etfw

हालाँकि, ये पहला मौका नहीं है जब काटजू ने गोगोई पर हमला किया हो। इससे पहले जब एक महिला ने तत्कालीन सीजेआई पर आरोप लगाए थे, तब काटजू ने दावा किया था कि गोगोई ने उक्त महिला का यौन शोषण किया है। तब उन्होंने रंजन गोगोई को ‘बेहूदा और कपटी’ बताया था। हालाँकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट की एक कमिटी ने जस्टिस (रिटायर्ड) गोगोई को क्लीनचिट दे दी थी। काटजू ने चर्चित सौम्या दुष्कर्म एवं हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी सवाल उठाया था। उस समय इस मामले में फैसला देने वाली पीठ में भी गोगोई शामिल थे। तब शीर्ष अदालत ने इसको लेकर काटजू को अदालत में तलब कर लिया था।

गौरतलब है कि रंजन गोगोई ने कहा है कि उन्होंने राज्यसभा जाने का निर्णय इसीलिए लिया, ताकि वो न्यायपालिका के पक्ष को संसद में रख पाएँ। उन्होंने कहा है कि वो एक तरह से न्यायपालिका की बातों को कार्यपलिका के समक्ष उठाने के लिए राज्यसभा जा रहे हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया