अयोध्या में मस्जिद की बुनियाद रखेंगे मक्का के इमाम, दावा- ताज महल से भी खूबसूरत होगा: खाड़ी देशों से भी आएगा पैसा, हिंदू भी दे रहे चंदा

मई 2024 से धन्नीपुर में मस्जिद का निर्माण शुरू होने की उम्मीद (फोटो साभार: HT)

अयोध्या के धन्नीपुर में जो मस्जिद बननी है, उसकी बुनियाद का पत्थर रखने के लिए मक्का से इमाम आएँगे। अरबी स्टाइल में बनने वाली यह मस्जिद मुहम्मद बिन अब्दुल्ला के नाम पर होगी। दावा किया जा रहा है कि यह मस्जिद ताजमहल से भी ज्यादा खूबसूरत होगी। खाड़ी देशों से इसके लिए पैसा जुटाया जाएगा।

टाइम्स ऑफ की रिपोर्ट में बताया गया है कि मक्का के काबा स्थित पाक मस्जिद इमाम-ए-हरम में नमाज पढ़ाने वाले इमाम धन्नीपुर में बुनियाद रखेंगे। यह भारत की सबसे बड़ी मस्जिद होगी। यह जानकारी हाजी अराफात शेख के हवाले से दी गई है।

मुंबई के बीजेपी नेता हाजी अराफात को मस्जिद मुहम्मद बिन अब्दुल्ला विकास समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। उन्होंने बताया है कि मस्जिद की ऊँचाई 21 फीट और चौड़ाई 36 फीट होगी। परिसर में मस्जिद के अलावा कैंसर अस्पताल, स्कूल-कॉलेज, संग्रहालय, पुस्तकालय और एक पूरी तरह से शाकाहारी रसोईघर भी होगी। इस रसोईघर में मुफ्त भोजन परोसा जाएगा।

हाजी अराफात ने बताया है कि वजू खाना के पास एक बड़ा सा एक्वेरियम होगा, जिसमें मर्दों और औरतों के लिए अलग-अलग खंड होंगे। उन्होंने कहा कि यह ताज महल से भी अधिक सुंदर होगा। साथ ही सभी धर्मों के लोग इसे देखने आ सकेंगे।

उल्लेखनीय है कि नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि जिस जगह पर मुगल अक्रांता बाबर के नाम पर ढाँचा खड़ा कर दिया गया था, वह रामजन्मभूमि ही है। इसके बाद धन्नीपुर में मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन मुस्लिमों को मुहैया कराई गई थी। यह जगह रामजन्मभूमि से करीब 22 किलोमीटर दूर है। रामजन्मभूमि पर बन रहे भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को होनी है।

नवंबर 2022 में एक खबर आई थी कि अयोध्या में बनने वाली मस्जिद के लिए जो चंदा इकट्ठा हुआ है, उसमें 40 फीसदी पैसा हिंदुओं का है। ​अब लाइव हिंदुस्तान ने एक रिपोर्ट में बताया है कि मस्जिद के लिए खाड़ी देशों से भी पैसा जुटाया जाएगा। इसके लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जुफर फारुकी जल्द ही खाड़ी देशों की यात्रा करने वाले हैं। उन्होंने बताया है कि विदेश से चंदा लेने के लिए फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेग्यूलेशन एक्ट (FCRA) का प्रावधान करवाया जाएगा। साथ ही मई 2024 से इस मस्जिद का निर्माण शुरू होने की उम्मीद जताई है।

फारुकी के अनुसार निर्माण कार्यो पर करीब अस्सी करोड़ रुपए खर्च होंगे। नवंबर 2022 में मस्जिद ट्रस्ट के सचिव अतहर हुसैन ने बताया था, “अगस्त, 2020 में हमने मस्जिद निर्माण में सहयोग के लिए बैंक डिटेल जारी किए थे। अब तक हमारे पास 40 लाख रुपए का डोनेशन आ चुका है। डोनेशन का करीब 30% हिस्सा कॉर्पोरेट से आया है, 30% मुस्लिम समुदाय से आया है बाकी 40% हिस्सा हिंदू समुदाय की तरफ से आया है।”

इस मस्जिद के निर्माण के लिए जुलाई 2020 को इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट की स्थापना की गई थी। ट्रस्ट की अक्टूबर 2022 में मुंबई में हुई बैठक में मस्जिद की डिजाइन बदलने का फैसला किया गया था। अब मध्य-पूर्व और अरब देशों की तर्ज पर मस्जिद का निर्माण होगा। मस्जिद में 5 मीनारें होंगी जो इस्लाम की 5 बुनियाद कलमा, नमाज, रोजा, हज और जकात का प्रतीक होंगी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया