अब MP के श्योपुर जिले में पुलिस-डॉक्टर की टीम पर हमला, ASI भी घायल

MP के श्योपुर जिले में मेडिकल और पुलिस टीम पर हमला (साभार: TV9 भारतवर्ष)

इंदौर के टाटपट्टी बाखल के बाद अब MP के श्योपुर जिले में डॉक्टरों और पुलिस पर हमला किया गया है। इस घटना में एक ASI घायल हो गए। पुलिस ने 2 आरोपितों को पकड़ लिया है। स्थिति इतनी बिगड़ गई थी कि डॉक्टरों को एक मकान के पीछे छिपकर अपनी जान बचानी पड़ी।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार MP के श्योपुर जिला में विजयपुर विकास खंड के डॉक्टरों को सूचना मिली थी कि गसवानी गाँव में गोपाल नाम का एक युवक गुना से वापस लौटा है। इसकी खबर गोपाल या उसके परिवार वालों ने स्वास्थ्य विभाग को नहीं दी। जिला प्रशासन के डर से घर वालों ने उसे छिपाकर रखा था।

स्वास्थ्य विभाग ने सूचना मिलते ही डॉक्टरों की टीम को युवक की जाँच के लिए गसवानी गाँव भेजा। वहाँ जाकर स्वास्थ्यकर्मियों ने युवक के परिजनों से उसे घर से बाहर लाने को कहा। मगर, डॉक्टरों का सहयोग करने की बजाय वे डॉक्टरों के साथ अभद्रता से बात करने लगे। उन्हें गाली देने लगे।

स्थिति बिगड़ती देख डॉक्टरों ने पुलिस को सूचना दी। मौक़े पर पहुँची पुलिस ने भी युवक के परिजनों से स्वास्थ्यकर्मियों का सहयोग करने की बात कही। मगर युवक के घरवाले पुलिस के सामने अड़े रहे। काफी समझाने के बावजूद वे नहीं माने और पथराव शुरू कर दिया। जिसमें ASI घायल हो गए।

हमले के बाद युवक और उसके घरवाले भागने लगे। लेकिन पुलिस ने उनमें से दो को धर-दबोचा। घटना के बाद विजयपुर के SDM और SDOP भी गाँव में पहुँचे और मामले की पड़ताल करके विजयपुर पुलिस और डॉक्टर पर हमला करने वालों में 4 आरोपितों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया।

गसवानी थाना प्रभारी बृजमोहन रावत ने बताया कि गंगाराम, उसकी पत्नी राधाबाई, बेटा गोपाल व आशीष के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। पुलिस ने गंगाराम व आशीष को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि राधाबाई व गोपाल घर से भाग गए।

गौरतलब है कि कोरोना महामारी के बीच हुए लॉकडाउन में स्वास्थ्यकर्मियों और पुलिसकर्मियों पर होते हमले अब आम हो गए हैं। इस बीच शायद ही कोई दिन ऐसा गुजर रहा हो जब पुलिसकर्मियों या स्वास्थ्यकर्मियों पर हमले की घटना न सामने आई हो। ऐसा नहीं है कि इन लोगों को ये समझ नहीं आ रहा कि कोरोना योद्धा उनके लिए ही जान की बाजी लगाकर जगह-जगह पहुँच रहे हैं। लेकिन बात वही है कि इन्हें मनमानी करनी है और मोह-मजहब के नाम पर स्थिति को समझने सुधारने से ज्यादा उसे बिगाड़ना है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया