पुल के नीचे कीचड़ में मजदूरों की जिंदगी लॉकडाउन, गुरुद्वारे से 1 टाइम खाना: दिल्ली में प्रवासी बेहाल

केजरीवाल सरकार के दावों के उलट मजदूरों की स्थिति दयनीय

राजधानी दिल्ली में लॉकडाउन के बीच प्रवासी मजदूरों की हालत बेहद खराब है। सैकड़ों कामगार यमुना किनारे एक पुल के नीचे रहने को विवश हैं। वे करीब एक सप्ताह से इसी दयनीय स्थिति में गुजारा कर रहे हैं। भोजन के लिए वे पास ही स्थित एक गुरुद्वारे पर आश्रित हैं। सरकारी सहायता नाम की कोई चीज उन्हें अब तक नहीं मिली है। इसने लाखों लोगों को रोजाना भोजन उपलब्ध कराने के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के दावों की पोल खोल दी है।

पत्रकार अरविन्द गुणाशेकर ने सोशल मीडिया पर इस समस्या की ओर ध्यान दिलाया है। उन्होंने ट्विटर पर मजदूरों की समस्या को उजागर करते हुए लिखा कि ये दिहाड़ी कामगार दयनीय स्थिति में रह रहे हैं। यमुना नदी के किनारे स्थित एक पुल के नीचे एक-दो नहीं, बल्कि ऐसे सैकड़ों मजदूर रह रहे हैं। उन्हें दिन में बस एक समय ही भोजन नसीब हो पाता है और वो भी पास के एक गुरुद्वारे से मिलता है। गुणाशेकर ने दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को टैग कर उनसे इस मामले में हस्तक्षेप की माँग की है।

मजदूरों की ऐसी हालत देख कर लोगों ने दिल्ली सरकार की आलोचना की है। लोगों ने कहा कि एक तरफ तो मुख्यमंत्री ये दावे कर रहे हैं कि वो प्रवासी मजदूरों की देखभाल करेंगे और उनकी सरकार सभी को पर्याप्त मात्रा में भोजन उपलब्ध करा रही है। लेकिन, सच्चाई ये है कि यमुना किनारे कीचड़ में रहने को मजबूर मजदूरों की सुनने वाला कोई नहीं है। कब तक वो गुरुद्वारे के भरोसे वहाँ पर ऐसे ही पड़े रहेंगे?

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इधर मुंबई में मजदूरों के जुटाव के बाद दिल्ली पुलिस भी सतर्क हो गई है। यहाँ भी मजदूरों का गुस्सा कभी भी बाहर आ सकता है, इसीलिए पुलिस पहले से इंतजाम कर रही है ताकि ऐसी किसी भी घटना से बचा जा सके। बांद्रा की हालत देखने के बाद केजरीवाल ने भी प्रवासी मजदूरों व कामगारों से अपील करते हुए कहा- “दिल्ली सरकार ने आपके आवास और भोजन की समुचित व्यवस्था की है। मैं आपसे आप जहाँ हैं, वहीं रहने का अनुरोध करता हूँ।” अब देखना ये है कि मजदूरों के लिए क्या व्यवस्था की जाती है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया