‘सबसे ज्यादा यादवों को ही मरवाया, फिर भी मिला सपा का संरक्षण’: मुख़्तार अंसारी के इलाके के जिला पंचायत सदस्य ने याद किया माफिया का दौर

मऊ के जिला पंचायत सदस्य प्रिंस यादव (बाएँ) ने गिनाए मुख़्तार अंसारी के गुनाह

माफिया मुख़्तार अंसारी लगभग 4 दशक तक पूर्वांचल के अपराध जगत की धुरी रहा। उसके बारे में तमाम कही-सुनी बातों की जमीनी पड़ताल के लिए ऑपइंडिया की टीम अप्रैल के अंतिम व मई के पहले हफ्ते में पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में गई। इस दौरान हमें बताया गया कि मुख़्तार अंसारी को सबसे अधिक संरक्षण समाजवादी पार्टी की सरकार में मिला था। कुछ स्थानीय लोगों ने मुख़्तार को M+Y (मुस्लिम यादव) समीकरण के लिए मुलायम सिंह की पहली पसंद बताया।

हालाँकि, इस दौरान हमें यादव समाज के कई ऐसे लोग भी मिले जिन्होंने खुद को मुख़्तार से पीड़ित बताया। कुछ ने तो खुल कर हमसे कैमरे पर बात भी की जबकि कई डर से चुप रहे। मुख़्तार अंसारी के गुनाहों पर हमसे खुल कर बात करने वालों में मऊ जिले के भाजपा नेता प्रिंस यादव भी हैं। प्रिंस यादव वर्तमान समय में मऊ के वार्ड नंबर 22 बोझी क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य हैं।

मऊ दंगों में मुख़्तार ने कराया यादवों का कत्लेआम

भाजपा नेता प्रिंस यादव ने हमें बताया कि भले ही मुख़्तार को M+Y समीकरण के लिए किसी ने प्रयोग किया हो लेकिन मुख़्तार ने सबसे ज्यादा हत्याएँ यादवों की ही की। प्रिंस ने साल 2005 के मऊ दंगों की याद दिलाते हुए मुख़्तार अंसारी को उसका मुख्य गुनहगार बताया। प्रिंस यादव ने हमें बताया, “दंगे के दिन यादव बिरादरी के कई लोग दूध बेचने शहर गए थे, जो आज तक वापस नहीं लौटे। उन सभी को मार दिया गया। इसकी जाँच आज तक नहीं हुई। मैं चाहता हूँ कि इस घटना की जाँच हो।”

बकौल प्रिंस, मृतक के घर वालों में इतना डर है कि वो चाह कर भी मुख़्तार के खिलाफ मुँह नहीं खोल सकते।

पर्दा पड़ा है हमारे समाज के कुछ लोगों की आँख पर

प्रिंस यादव ने हमें आगे बताया कि उनके यादव समाज के कुछ लोगों की आँखों पर पर्दा पड़ा हुआ है। उन्होंने कहा, “मैं यादव समाज की बात कर लूँ तो जब मऊ दंगों की जाँच होगी तो हमारे समाज की आँखों से पर्दा हटेगा। यादव समाज का बड़ा तबका अखिलेश यादव को ही अपना नेता मानता है। अखिलेश यादव और मुख़्तार अंसारी की साठ-गाँठ शुरू से ही रही है। हमारे यादव समाज के कुछ लोग बस एक व्यक्ति या पार्टी के अंदर ही रहना चाहते हैं। हो न तो हिंदुत्व समझ पा रहे और न ही एकता। “

खुद मेरी जमीन कब्जाई है मुख़्तार ने

जिला पंचायत सदस्य प्रिंस यादव ने हमें बताया कि वो खुद मुख़्तार अंसारी द्वारा प्रताड़ित और पीड़ित हैं। प्रिंस के मुताबिक, मुख़्तार अंसारी ने समाजवादी पार्टी के शासन काल में उनकी कीमती जमीन जबरन कब्ज़ा कर ली थी जिसे योगी सरकार आने के बाद वो जैसे-तैसे छुड़ा पा रहे हैं। हालाँकि, प्रिंस का ये भी कहना है कि उनकी जमीन का एक बड़ा हिस्सा अभी भी मुख़्तार के गुर्गों के कब्ज़े में है जिसके लिए वो कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।

प्रिंस के अनुसार, मुख़्तार अंसारी अपनी कब्जाई जमीनों पर एक स्थानीय हिन्दू वकील के नाम पर बोर्ड लगा दिया करता था। बाद में कब्जाई जमीन का ही पीड़ित मालिक मजबूरी में मुख़्तार से आधे-आधे पर समझौता करता था।

हिन्दू को हिन्दू से लड़ा कर करता है राज

प्रिंस यादव का दावा है कि मुख़्तार अंसारी ने हिन्दुओं को ही हिन्दुओ से भिड़ा कर अपने अपराध के साम्राज्य को इतना बड़ा किया है। उन्होंने बताया कि मुख़्तार अंसारी की नजर सिर्फ सांसदी या विधायकी पर नहीं बल्कि कॉलेज के छात्र संघ चुनाव और गाँव के प्रधानी के चुनाव पर भी रहती है। बकौल प्रिंस यादव मुख़्तार, मऊ और गाजीपुर के हर चुनाव में अपना दखल और अपने गुलामों को जिताना चाहता है।

प्रिंस के अनुसार, “हर गाँव में मुख़्तार के गुर्गे सैलरी पर नियुक्त हैं। उन्हें 5 साल फ्री की सैलरी मिलती है। अंत में उन्हें गॉंव के सभी वोट दिलाने का टारगेट मिलता है भले ही वो साम, दाम, दंड, भेद कैसे भी हो। मुख़्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल को गुंडों का समूह बताते हुए प्रिंस ने राजनैतिक रूप से भी खुद को भी मुख़्तार अंसारी से पीड़ित बताया। उन्होंने कहा, “मुख़्तार अंसारी ने मेरे खिलाफ ही एक अन्य यादव को छात्र संघ चुनाव में इसलिए खड़ा कर दिया क्योंकि मैंने उसकी गुलामी कबूल नहीं की।”

छोटे-छोटे बच्चों पर भी रखता है नजर

जिला पंचायत सदस्य प्रिंस यादव के अनुसार, मुख़्तार अंसारी अपने इलाके में छोटे-छोटे बच्चों पर भी नजर रखता है। उन्होंने बताया कि मुख़्तार नहीं चाहता कि भविष्य में भी उसको चैलेन्ज देने वाला कोई उभर कर सामने आए, इसलिए उसने कई हत्याएँ ऐसे लोगों की भी करवा दीं जिन्होंने उसकी गुलामी नहीं कबूली। मुख़्तार की गुंडागर्दी वाले समय को फिल्मों जैसा बताते हुए प्रिंस ने बताया कि जिस भी ठेके, काम या जमीन पर वो हाथ रख देता था वो उसकी ही हो जाया करती थी।

उन्होंने बताया कि किसी भी तरह से पैसा कमाने की चाह रखने वाले व्यक्ति को मुख़्तार से मिल कर चलना मजबूरी बन जाती थी।

मीडिया में भी था मुख़्तार का खौफ

मुख़्तार अंसारी को ब्रिगेडियर के परिवार और बेहद सम्मानित कुल-खानदान वाला बताने वाली खबरों को प्रिंस यादव ने मीडिया में मुख़्तार का खौफ बताया। उन्होंने कहा कि मुख़्तार के गुर्गे ही उसके बारे में अच्छी-अच्छी बातें चौराहों पर किया करते थे और स्थानीय मीडिया की उन खबरों को छापना मजबूरी होती थी। प्रिंस का दावा है कि बिर्गेडियर उस्मान का मुख़्तार के परिवार से कोई वास्ता नहीं था।

कम काम को ज्यादा बता रहे अधिकारी

वर्तमान समय में जिले में तैनात अधिकारियों की कार्यशैली पर भी जिला पंचायत सदस्य प्रिंस यादव ने सवाल खड़े किए। उन्होंने बताया कि लखनऊ में बैठे शासन को खुश करने के लिए मुख़्तार के खिलाफ कम किए गए काम को भी बढ़ा-चढ़ा कर बताया जाता है। प्रिंस ने दावा किया कि मुख़्तार की जब्त जमीनों की कीमत जितना प्रशासन बताता है वो असल में उतने की होती नहीं है। जिला पंचायत सदस्य का कहना है कि ऐसी रिपोर्ट कहीं न कहीं मुख़्तार को फायदा पहुँचा रहीं हैं क्योंकि शासन में बैठे लोग ये सोचते हैं कि स्थानीय प्रशासन मुख़्तार पर कड़ी कार्रवाई कर रहा है जबकि ऐसा असल में है नहीं।

प्रिंस यादव ने दावा किया कि अगर सच में मुख़्तार अंसारी की जमीनों का आँकलन करवाया जाए तो अभी बहुत सारी कार्रवाई अधूरी मिलेगी। उन्होंने इस बाबत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र भी जल्द प्रेषित करने की बात कही।

राहुल पाण्डेय: धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।