‘जय श्री राम’ बोलने पर अयोध्या के हाजी सईद काफिर करार, इमाम ने मस्जिद में कराई ‘गुनाह’ की तौबा

संतों के बीच राम नाम के जाप की पूर्णाहुति पर हाजी मोहम्मद और मुस्लिम समुदाय अन्य लोग (साभार: आज तक)

राम मंदिर मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सुर्खियों में चल रहा अयोध्या एक बार फिर चर्चा में है। राम मंदिर मुद्दे पर कोर्ट के फैसले से पहले संतों की ओर से आयोजित राम नाम जाप कार्यक्रम में शामिल होना एक हाजी को महँगा पड़ गया। जय श्री राम कहने पर ही हाजी को उनके समुदाय के लोगों ने धर्म से निकालने और मारने की धमकी दी।

अयोध्या के वजीरगंज जप्ती निवासी हाजी मोहम्मद सईद ने हाल ही में राम मंदिर निर्माण को लेकर संतों द्वारा किए गए यज्ञ में जय श्री राम का उद्घोष किया था। इसके बाद उन्हें काफिर घोषित कर दिया दिया। यही नहीं बल्कि उन्हें धमकी भरा संदेश भी मिलने लगा। काफिर कहे जाने और धमकियों से आजिज आकर हाजी को मस्जिद में माफी माँगनी पड़ी और इस्लाम में होने की दुहाई देनी पड़ी।

बता दें कि अयोध्या केस को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले 1 सितंबर को संत परमरहंस ने तपस्वी छावनी में राम मंदिर के निर्माण की बाधाओं को दूर करने के लिए राम नाम के जाप का आयोजन किया था, जिसमें पूर्णाहुति के दिन मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भी सहभागिता की थी। इसमें महिलाएँ भी थीं। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भी राम नाम का उच्चारण किया था, जिनमें सईद भी थे। कार्यक्रम की फोटो और वीडियो सार्वजनिक होने के बाद लोगों को इस उद्घोष के बारे में पता चला।

हाजी सईद का कहना है कि जय श्री राम का नारा लगाने के कारण उनको धर्म से खारिज कर दिया गया। लोग उन्हें काफिर कहने लगे और हिंदू बताने लगे, जबकि अल्लाह ही उनका खुदा है। उन्होंने राम को अपना खुदा नहीं माना है। उनका कहना है कि उन्होंने आदाब और आदर के चलते श्री राम का नारा लगाया था। उन्होंने वहाँ पर पूजा नहीं की। हालाँकि वह अब भी खतरे से इनकार नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि कुछ लोग उन्हें अंजाम भुगतने की धमकी दे रहे हैं।

इस संबंध में इमाम ने मस्जिद में हाजी को जय श्री राम कहने के लिए माफी मँगवाई और इस ‘गुनाह’ से तौबा कराई। हाजी सईद ने माफी माँगते हुए कहा, “अब जय श्री राम नहीं बोलूँगा, हवन में नहीं जाऊँगा।”

कार्यक्रम के आयोजक संत परमहंस ने कहा कि यज्ञ में हिंदू धर्माचार्यों के साथ कुछ राष्ट्रवादी मुस्लिम भी थे। उन्होंने कहा कि किसी मुस्लिम को किसी मौलाना ने गुनाह कुबूल कराया, यह दुखद है। यह देश के लोकतंत्र के लिए खतरा है। संत परमहंस ने कहा कि एक बड़े मुस्लिम देश इंडोनेशिया में दूसरे मजहब के लोग रामलीला देख सकते हैं, रामलीला का मंचन कर सकते हैं और राम को अपना पूर्वज मानते हैं। उनका कहना है कि राम जिस हिंदुस्तान की अस्मिता से जुड़े हैं, वहाँ श्रीराम का नाम लेने पर यदि किसी को जबरदस्ती प्रताड़ित किया जाता है तो निश्चित रूप से शासन- प्रशासन को इस पर कार्रवाई करनी चाहिए।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया