मस्जिद से निकली भीड़ ने किया बवाल व पत्थरबाज़ी, बंद कराई दुकानें: 600 लोगों पर मुक़दमा

तबरेज अंसारी (बाएँ) की हत्या के विरुद्ध बवाल काटते मुस्लिम समाज के लोग (दाएँ) [फोटो साभार: दैनिक जागरण ]

मेरठ के बाद अब आगरा से बवाल की ख़बरें आई हैं। मेरठ की तरह आगरा में हुआ बवाल भी तबरेज अंसारी की भीड़ द्वारा हत्या के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के बाद शुरू हुआ। आगरा के मंटोला में तबरेज अंसारी की मॉब लिंचिंग के विरुद्ध जबरन दुकानें बंद कराई जाने लगी। हंगामेबाज़ों में अधिकतर ‘समुदाय विशेष’ के लोग शामिल थे। जबरन दुकानें बंद कराने के अलावा दुकानों में लूटपाट भी की गई। दुकानों में बोतलें फेंकी गईं। इसके बाद दोनों पक्षों की तरफ से पथराव हुआ। यह सब सोमवार (जुलाई 1, 2019) को तब शुरू हुआ, जब सैकड़ों की संख्या में समुदाय विशेष के लोग शहर की जामा मस्जिद के पास इकट्ठे हो गए।

उनकी योजना थी कि जामा मस्जिद से समाहरणालय तक पैदल मार्च निकाला जाए और फिर वहाँ पहुँच कर वरीय अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा जाए। लेकिन, वरिष्ठ अधिकारियों ने जामा मस्जिद पहुँच कर ही भीड़ से ज्ञापन ले लिया और उन्हें पैदल मार्च न करने की सलाह दी। इससे मुस्लिम समाज के युवा भड़क गए और प्रदर्शन करने पर उतारू हो गए। पुलिस के लाख रोकने के बावजूद वे पैदल मार्च की शक्ल में आगे बढ़ निकले। जब पुलिस ने बैरियर लगाया तो वे दूसरे रास्तों से कलेक्ट्रेट पहुँचने की कोशिश करने लगे। वो रास्ते में उपद्रव करते और बाजार बंद कराते चल रहे थे।

जब दुकानदारों ने दुकान बंद करने से मना किया तो उनसे लूटपाट की गई। एक मिठाई की दुकान में भी उपद्रवियों ने लूटपाट की। ख़ुद एसएसपी ने मौके पर पहुँच कर स्थिति को नियंत्रित किया। पुलिस ने कहा है कि बिना अनुमति जुलूस निकालने, अफवाह फैलाने और पत्थरबाज़ी करने सम्बन्धी कई मामले दर्ज किए गए हैं। सोमवार को शाम 6 बजे तक पुलिस ने एहतियातन इंटरनेट सेवाएँ भी बंद कर दी। व्यापारियों द्वारा थाने में मुक़दमे दर्ज कराए गए हैं, जिसके आधार पर पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ़्तार भी किया है। 38 नामजद सहित 600 लोगों पर मुक़दमा दर्ज किया गया है।

बलवा करने, अफवाह फैलाने, पत्थरबाज़ी करने, लूटपाट करने और बिना अनुमति सभा करने सम्बन्धी कई मामलों में पुलिस ने मामले दर्ज किए हैं। पुलिस का ख़ुफ़िया तंत्र भी इस मामले में फेल हो गया क्योंकि आगरा में तबरेज अंसारी की हत्या के विरुद्ध कई दिनों से गुस्सा सुलग रहा था और इंटरनेट पर भड़काऊ चीजें पोस्ट कर के लोगों को उकसाया जा रहा था। जामा मस्जिद पर पुलिसकर्मियों की ड्यूटी भी कम लगाई गई थी, जिसे उपद्रवियों के हंगामे के बाद बढ़ाया गया। पुलिस अगर पहले से सतर्क रहती तो मस्जिद के पास लोगों की भीड़ जुटने से रोका जा सकता था।

मंटोला में बवाल की ख़बरों के बाद आसपास के क्षेत्र के व्यापारी भी डर गए और उन्होंने अपनी-अपनी दुकानें बंद कर लीं। पुलिस के समझाने के बाद उन्होंने दुकानें खोलीं। पुलिस को मिश्रित आबादी वाले इलाक़ों में लगातार भ्रमणशील रहने के निर्देश दिए गए हैं। 6 मुक़दमों में एक मुक़दमा मोहम्मद ज़ाहिद ने भी दर्ज कराया है। जूता फैक्ट्री चलाने वाले ज़ाहिद ने आरोप लगाया है कि उसके समाज के लोगों ने जबरन फक्ट्री बंद कराने की कोशिश की और धमकियाँ दीं। मंटोला में पिछले एक दशक में लगभग 24 बवाल हो चुके हैं। इरफ़ान सलीम, शिराज कुरैशी, महमूद ख़ान, राहत अली, नदीम नूर, जुहैर ख़ान, हाजी बिलाल और तालिब शहजाद सहित कई लोगों पर मुक़दमे दर्ज किए गए।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया