RSS के विद्या भारती के स्कूलों में 3 साल में बढ़े 30% मुस्लिम विद्यार्थी, ज्ञान के साथ राष्ट्र प्रेम की शिक्षा भी

RSS के विद्या मंदिर में बढ़ी मुस्लिम छात्रों की संख्या

विश्व के सबसे बड़े सामाजिक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को अक्सर समुदाय विशेष का विरोधी संगठन माना जाता है, लेकिन आरएसएस की प्रेरणा से शिक्षा के क्षेत्र में चलने वाले संगठन विद्या भारती से आए आँकड़ों ने इस भ्रम को तोड़ दिया है। ऐसा इसलिए कि पूरे उत्तर प्रदेश में चलने वाले विद्या भारती के स्कूलों मे पिछले करीब 3 साल में 30 प्रतिशत मुस्लिम विद्यार्थियों की संख्या बढ़ी है।

प्रदेशभर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की प्रेरणा से शिक्षा के क्षेत्र में चल रहे विद्या भारती के स्कूलों में मुस्लिम छात्रों की संख्या में पिछले तीन सालों में करीब 30% की बढ़ोतरी देखी गई है। आँकड़ों के मुताबिक वर्ष 2016 में 49 जिलों वाले पूर्वी यूपी में विद्या भारती के स्कूलों में मुस्लिम छात्रों की संख्या 6,890 थी, जो कि वर्ष 2019 में बढ़कर 9,037 हो गई। उत्तर प्रदेश के इन स्कूलों में लगभग 12,000 से अधिक मुस्लिम और ईसाई छात्र पढ़ते हैं। इतना ही नहीं, ये छात्र पढ़ाई के साथ-साथ खेलों में भी आगे रहने की कोशिश में लगे हुए हैं।

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ऐसे ही एक स्कूल में पढ़ने वाले छात्र के पिता मोहम्मद चाँद कहते हैं, “हमने इस स्कूल में (सरस्वती शिशु मंदिर) में शिक्षा की गुणवत्ता देखी, फिर वहाँ अपने बच्चे को भेजने का फैसला किया। इससे पहले मिथक था कि ये स्कूल केवल हिंदुओं के लिए हैं और वे अल्पसंख्यकों का एडमिशन नहीं करते हैं। हमारे बच्चे को भी वहाँ पढ़कर काफी अच्छा लग रहा है।”

विद्या भारती के अतिरिक्त सचिव (पूर्वी उत्तर प्रदेश) चिंतामणि सिंह कहते हैं, विद्यालय में शिक्षा के साथ बच्चों को संस्कार मिलना कहीं न कहीं अभिवावकों को विद्यालय की ओर आकर्षित करता है। साथ ही हमारे विद्यालयों में अच्छी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जाती हैं। यही कारण है कि पिछले कुछ वर्षों में मुस्लिम छात्रों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में विद्या भारती के स्कूलों में करीब छह लाख छात्र पढ़ते हैं, जिनमें अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं।

विद्या भारती के स्कूलों में पढ़ने वाले ये सभी मुस्लिम छात्र सुबह में होने वाली सरस्वती वंदना और उसके बाद संस्कृत भाषा में होने वाले श्लोकों और मंत्रों के साथ होने वाली प्रार्थना में हिस्सा लेकर अपने दिन की शुरुआत करते हैं, यहाँ हर रोज संगठन की रीति-नीति से विद्यालय बंद से पूर्व वंदे मातरम भी कराया जाता है।

आपको बता दें कि शिक्षा के क्षेत्र में विद्या भारती को भारत का सबसे बड़ा ग़ैर सरकारी संगठन माना जाता है। इसकी स्थापना वर्ष 1977 में हुई थी। इससे पहले वर्ष 1952 में गोरखपुर में पाँच रुपए किराए के मकान से संघ की प्रेरणा से कुछ स्वयंसेवकों ने शिशु मंदिर की शुरूआत की थी। आज पूरे देश में विद्या भारती के अंतर्गत कुल मिलाकर 30,000 शिक्षण संस्थाओं में 9,00,000 शिक्षकों के मार्गदर्शन में 45 लाख छात्र-छात्राएं शिक्षा और संस्कार प्राप्त कर रहे हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया