SC ने मुस्लिम महिलाओं की मस्जिद में एंट्री वाली याचिका पर कहा- 10 दिन बाद सुनेंगे, ‘एक अलग कारण’ है

सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम महिलाओं की मस्जिद में एंट्री वाली याचिका पर सुनवाई स्थगित की

सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद में महिलाओं की एंट्री से सम्बंधित याचिका पर सुनवाई को 10 दिनों के लिए टाल दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस याचिका पर सुनवाई को अगले 10 दिनों तक स्थगित किया जाता है। इस मामले में अलग-अलग पक्ष हैं, जिनमें से कुछ ने रीजॉइंडर दायर करने के लिए 4 हफ़्तों तक का समय माँगा है। जस्टिस बोड़बे ने 10 दिनों के लिए सुनवाई स्थगित करने के पीछे कारण भी स्पष्ट किया। भावी मुख्य न्यायाधीश ने बताया कि सुनवाई को आगे बढ़ाने का ‘एक अलग कारण’ है।

बता दें कि मस्जिदों में मुस्लिम महिलाओं की एंट्री एक ज्वलंत मुद्दा रही है। अखिल भारतीय हिन्दू महासभा भी इस सम्बन्ध में याचिका लेकर सुप्रीम कोर्ट गई थी, जिस ख़ारिज कर दिया गया था। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा था कि जब मुस्लिम महिला आकर ऐसी कोई याचिका दायर करती है, तब सुप्रीम कोर्ट इसपर विचार करेगा। इस याचिका में मस्जिदों में मुस्लिम महिलाओं की एंट्री पर इस्लामिक प्रतिबन्ध को बराबरी के अधिकार के विरुद्ध बताया गया था। इसमें कहा गया था कि ये मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस सम्बन्ध में केंद्र सरकार से जवाब भी माँगा है। एक अन्य याचिका दायर की गई थी, जिसमें मुस्लिम महिलाओं पर मस्जिदों में लगी रोक को असंवैधानिक बताया गया था। कहा गया था कि ये मूलभूत अधिकारों, बराबरी का अधिकार और जेंडर जस्टिस के ख़िलाफ़ है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि वो 5 नवम्बर तक इस समबन्ध में अपनी स्थिति स्पष्ट करे। कोर्ट ने इस सम्बन्ध में महिला विकास मंत्रालय, अल्पसंख्यक मामले मंत्रालय और राष्ट्रीय महिला आयोग को नोटिस भेज कर पूछा था।

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दायर की गई याचिका में कहा गया है कि न सिर्फ़ मुस्लिम महिलाओं को मस्जिदों में मुख्य द्वार से प्रवेश करने का अधिकार मिलना चाहिए, बल्कि उन्हें मुसल्ला (नमाज पढ़ने की जगह) में जाकर नमाज पढ़ने की इजाजत मिलनी चाहिए। याचिका में कहा गया है कि चूँकि भारत के मस्जिदों को सरकार से सुविधाएँ प्राप्त होती हैं, इसीलिए सरकार को कहा जाना चाहिए कि वो मस्जिदों में मुस्लिम महिलाओं को प्रवेश करने के लिए निर्देशित करना चाहिए।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया