चेन्नई अस्पताल से रिहा कोरोना मरीज ने किया ISIS आतंकियों जैसा इशारा, जानिए क्या है इसका मतलब

चेन्नई अस्पताल से डिस्चार्ज किए गए मरीज और आईएसआईएस आतंकी

देश-विदेश में कोरोना वायरस के कहर और खासकर इसमें तबलीगी जमात की भागीदारी के बीच कोरोना वायरस के इलाज के बाद चेन्नई के एक अस्पताल से डिस्चार्ज किए जाने वाले रोगियों की आज एक पत्रकार द्वारा कुछ तस्वीरें जारी की गईं। रिपब्लिक टीवी के पत्रकार संजीव सदगोपन ने चेन्नई अस्पताल से रिहा होने वाले मरीजों की तीन तस्वीरें ट्वीट कीं, इन तस्वीरों में ज्यादातर मुस्लिम थे।

इन तस्वीरों में एक ख़ास बात सामने आई है, जिसने सबका ध्यान आकर्षित किया है; वो ये कि दो मरीज अपनी तर्जनी को आसमान की ओर उठाकर वही इशारा करते हुए नजर आए, जिसका प्रयोग आतंकवादी संगठन ISIS वाले भी करते नजर आते हैं।

https://twitter.com/sanjusadagopan/status/1251028125728641024?ref_src=twsrc%5Etfw
चेन्नई के अस्पताल से डिस्चार्ज किए जा रहे मरीजों की तस्वीर
चेन्नई के अस्पताल से डिस्चार्ज किए जा रहे मरीजों की तस्वीर

चेन्नई के अस्पताल से डिस्चार्ज किए जा रहे मरीजों की तस्वीर

माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर कई लोगों ने इन मरीजों के इस इशारे का अर्थ आईएसआईएस के साथ संबंध या फिर सहानुभूति से जोड़ा है। कुछ लोगों ने यह तस्वीर देखने के बाद ट्वीट करते हुए लिखा है कि राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) को इसका संज्ञान लेकर इसकी जाँच करनी चाहिए क्योंकि 3 जमाती आतंकवादी संगठन आईएसआईएस को सलामी देते हुए नजर आ रहे हैं।

https://twitter.com/avarakai/status/1251052415836540928?ref_src=twsrc%5Etfw

क्या है इस्लाम में तर्जनी उठाने का अर्थ

फॉरेन अफेयर्स पर एक लेखक ने स्पष्ट किया है- “जब आईएसआईएस इस इशारे का प्रयोग करता है, तो यह एक ऐसी विचारधारा का समर्थन कर रहा होता है जो पश्चिम के साथ-साथ, किसी भी प्रकार के बहुलवाद (Pluralism) के भी विनाश की माँग करता है। दुनिया भर में संभावित जिहादी लड़कों के लिए भी यह उनके इस विश्वास को दर्शाता है कि वे दुनिया पर हावी हो जाएँगे।”

अमेरिका की केंद्रीय खुफिया एजेंसी सीआईए की वेबसाइट पर एक लेख में ‘तौहीद’ के बारे में बताया गया है:

“वस्तुतः तौहीद का अर्थ है अद्वैत, एकीकरण या ‘एकता पर जोर देना’, और यह एक अरबी क्रिया (वहाड़ा) से आता है, जिसका अर्थ खुद को एकजुट करना, या समेकित करना है। हालाँकि, जब तौहीद शब्द का उपयोग अल्लाह के संदर्भ में किया जाता है, तब अल्लाह (यानी, तौहीदुल्लाह) का अर्थ है, मनुष्य के सभी कार्यों में अल्लाह की एकता को महसूस करना और बनाए रखना जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उससे संबंधित है।”

शरीअत की शब्दावली में तौहीद की परिभाषा है कि अल्लाह तआला को उस के साथ विशिष्ट उलूहियत (उपास्यता, देवत्व), रूबूबियत (प्रभुता) और नामों एवं गुणों में एकता और अकेला मानना। यानी, अल्लाह को इस प्रकार भी परिभाषित कर सकते हैं कि यह विश्वास और आस्था रखना कि अल्लाह तआला अपनी रूबूबियत, उलूहियत और नामों एंव गुणों में अकेला है उसका कोई साझी नहीं।

सीआईए की वेबसाइट पर यह लेख लिखने वाली नथानियल जेलिंस्की का मत था कि आसमान की ओर तर्जनी का यह इशारा चरमपंथी आतंकवादी ‘तौहीद’ के साथ वर्णित अल्लाह के उस संदेश को ही जताने के लिए करते हैं, जिसमें किसी भी अन्य सत्ता की कल्पना को भी कुफ़्र बताया गया है।

एक अन्य वेबसाइट www.dar-alifta.org, जिसमें इस्लाम के प्रचलित रिवाजों का विवरण मिलता है, पर भी तर्जनी आसमान की ओर उठाने और तौहीद के बारे में लिखा है। वेबसाइट के अनुसार, आसमान की ओर उठाई गई तर्जनी इस्लाम के जिन तीन सिद्धांतों का संकेत देती हैं। वो हैं:

तशहुद में एक की तर्जनी को उठाने से तौहीद (एकेश्वरवाद) का संकेत मिलता है।

  • तर्जनी को ‘इल्ला अल्लाह’ कहते समय उठाया जाना चाहिए।
  • ‘ला इल्हा’ (कोई देवता नहीं है)।
  • इल्ला अल्लाह ‘तौहीद’ को ही दर्शाता है।

इसके अलावा, वेबसाइट कुरान से उदाहरणों का हवाला देती है जहाँ इमाम द्वारा ऊँगली उठाकर किए गए इशारे के महत्व के बारे में बताया गया है –

1- अल-बहाकी ने अल-सुन्न अल-कुबरा में इब्न ‘अब्बास के माध्यम से सूचना दी कि इस्लाम के पैगंबर ने कहा: ‘यह’, और उन्होंने अपनी तर्जनी की ओर इशारा किया ‘इखलास’ (विश्वास की ईमानदारी) और ‘यह’, और उन्होंने उसे उठाया। उसके कंधों पर हाथ ‘दुआ’ को दर्शाता है। और ‘यह’, और उसने अपने हाथों को ऊँचा किया ‘इब्तिहाल’ (आह्वान) को दर्शाता है।
2- हदीस के एक अन्य वाक्यांश में, इमाम अबू बक्र इब्न अबू शायबा और अल-सुअन अल-कुबरा में अल-सुन्न अल-कुबरा ने इब्न ‘अबास के माध्यम से सूचना दी कि इस्लाम के पैगंबर ने कहा: ‘यह इख़लास है’ अर्थात इल्ला अल्लाह कहते समय तर्जनी उठाना।
3- इब्न शायबा ने इब्राहिम अल-नखाई के माध्यम से सूचना दी, जिन्होंने कहा था: “अल्लाह अल्लाह कहते समय ऊँगली उठाना तौहीद है। लेकिन दो उँगलियाँ उठाना ठीक नहीं।”

जेलिंस्की ने इस लेख में लिखा है – “ऐसे ही इशारों का इस्तेमाल वर्षों से जिहादियों द्वारा किया जा रहा है, जिसमें ओसामा बिन लादेन जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं। जिहादी संदर्भ में भी उठी हुई तर्जनी राजनीतिक रूप में मानी जाती है, अर्थात हर उस सत्ता का विरोध, जो शरिया कानून के तहत नहीं आती है”। इसके बाद से यह इशारा सिर्फ ISIS तक ही सीमित नहीं रहा बल्कि, उनके हर समर्थक ने इसका इस्तेमाल किया।

उल्लेखनीय है कि यही इशारा इस्लामी सिद्धांतों में निहित है और शायद इसी कारण आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के साथ भी गहराई से जुड़ा हुआ है। आईएसआईएस द्वारा मोसुल पर कब्जा करने के बाद भी बगदादी ने अपने पहले जुमे के भाषण में इसी इशारे का इस्तेमाल किया था।

मोसुल पर कब्जा करने के बाद बगदादी

यहाँ तक कि तर्जनी उठाने का यह तरीका खोजी और ऐसे पत्रकारों ने भी लोगों की पहचान के लिए इस्तेमाल किए हैं, जो ISIS समर्थक रहे हैं। जिससे यह स्पष्ट होता है कि तर्जनी उठाने का यह इशारा सिर्फ कट्टरपंथी जिहादी ही नहीं बल्कि सभी चरमपंथियों के बीच प्रचलित है।

चेन्नई के मरीज का ‘तौहीद’ से क्या रिश्ता है

चेन्नई के अस्पताल से डिस्चार्ज किए गए इन दो मरीजों के द्वारा किए गए तौहीद के इस इशारे ने इसी वजह से सबका ध्यान आकर्षित किया है। ब्रिटेन में इस्लामोफोबिया अवेयरनेस माह को मुस्लिम एंगेजमेंट एंड डेवलपमेंट (MEND) नामक संस्था द्वारा चलाया जाता है। MEND का कहना है कि एक तर्जनी का ऊपर की ओर इशारा करते हुए लोगो ‘इस्लामिक प्रार्थना अनुष्ठान में एकेश्वर अल्लाह’ को दर्शाता है, लेकिन आईएसआईएस के साथ इशारे के जुड़ाव के कारण, बेडफोर्डशायर पुलिस द्वारा एक बार लोगों की प्रतिक्रिया के बाद ऐसे ही एक पोस्टर को ट्वीट करने के बाद डिलीट कर दिया गया था।

बेडफोर्डशायर पुलिस द्वारा यह पोस्टर डिलीट कर दिया गया था

इस प्रकार चेन्नई के इन मरीजों के तर्जनी के इशारे का सिर्फ यही अर्थ नहीं होता कि उनका सम्बन्ध आईएसआईएस से हो, क्योंकि यह इशारा कट्टरपंथी एकेश्वरवादी मुस्लिमों द्वारा भी इस्तेमाल किया जाता है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया