‘सरस्वती ने केवल 3% RSS वालों को शिक्षा दी, स्कूलों से हटाओ उनकी तस्वीरें’: NCP नेता छगन भुजबल का विवादित बयान

माँ सरस्वती को लेकर NCP नेता छगन भुजबल का विवादित बयान (फाइल फोटो)

महाराष्ट्र के पूर्व उप-मुख्यमंत्री और एनसीपी नेता छगन भुजबल (NCP leader Chhagan Bhujbal) ने माँ सरस्वती को लेकर विवादित बयान दिया है। छगन भुजबल ने स्कूलों में माँ सरस्वती की फोटो लगाने और पूजा करने पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि माँ शारदा और सरस्वती ने मात्र 3 प्रतिशत लोगों को ही शिक्षा दी है। उनके इस बयान पर भाजपा ने सवाल उठाए हैं।

दरअसल छगन भुजबल सोमवार (26 सितंबर, 2022) को यशवंतराव चव्हाण सेंटर में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि स्कूलों में माँ सरस्वती और शारदा माता की तस्वीर लगाई जाती है, जिन्हें हमने कभी देखा ही नहीं और ना ही उन्होंने कुछ पढ़ाया। उन्होंने कहा कि माँ सरस्वती ने अगर पढ़ाया भी होगा तो सिर्फ 3 प्रतिशत आरएसएस के लोगों को ही शिक्षा दी होगी, हमें शिक्षा से दूर रखा।

उन्होंने आगे कहा, “स्कूलों से माँ सरस्वती की तस्वीरें हटा देनी चाहिए। उनकी पूजा क्यों करनी है? स्कूलों में सावित्रीबाई फुले, महात्मा ज्योतिबा फुले, भीमराव अंबेडकर, छत्रपति शाहू महाराज और कर्मवीर भाऊराव पाटिल की तस्वीरें लगाई जानी चाहिए। इन हस्तियों की वजह से हमें शिक्षा और अधिकार मिले हैं। इसलिए, इनकी पूजा कीजिए। ये आपके देवता हैं। इनके विचारों की पूजा होनी चाहिए। बाकी देखेंगे बाद में।”

छगन भुजबल के इस बयान को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) हमलावर है। भाजपा विधायक राम कदम ने इस बयान पर छगन भुजबल से माफी माँगने को कहा है। राम कदम ने कहा है कि अभी भुजबल ने स्कूलों में देवी-देवताओं की तस्वीरें हटाने की बात कही है, आगे जाकर वह कह सकते हैं कि मंदिरों की जरूरत क्या है। उन्होंने कहा कि भुजबल के देवी-देवताओं का अपमान किया है, इसलिए उन्हें माफी माँगनी चाहिए।

राम कदम ने आगे कहा कि जब चुनाव का समय आता है तो यही नेता हिंदू देवी-देवताओं के मंदिरों में माथा टेकने का नाटक करते हैं और अब कह रहे हैं कि देवी देवताओं की तस्वीरों की क्या जरूरत है, उन्हें हटा दिया जाए। भाजपा नेता ने स्पष्ट किया कि सभी महापुरुषों के लिए हमारे मन में सम्मान है, लेकिन इस तरह देवी-देवताओं का अपमान नहीं कर सकते।

गौरतलब है कि एक समय छगन भुजबल शिवसेना के फायरब्रांड नेता माने जाते थे। उस दौरान वह हिंदुत्व के मुद्दे पर जमकर बयान देते थे। हालाँकि, बाद में तत्कालीन शिवसेना सुप्रीमो बाला साहेब ठाकरे से अनबन के बाद उन्होंने शरद पवार से हाथ मिला लिया और एनसीपी में शामिल हो गए। उद्धव ठाकरे की सरकार में भी उन्हें मंत्री बनाया गया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया