जीसस का हैंडपंप, जीसस की बाल्टी: बांका के SC/ST इलाकों में 3 साल में 10000 हिंदू बना दिए गए ईसाई

गाँवों में लगाए जा रहे 'जीसस वेल' के शिलापट्ट (साभार : जागरण)

बिहार में ईसाई धर्मांतरण के जोर पकड़ने को लेकर ऑपइंडिया लगातार आगाह करता रहा है। खासकर, ग्रामीण इलाकों से गरीबों को प्रलोभन देकर धर्मांतरित करने के मामले लगातार सामने आते रहे हैं। हाल ही में गया और सारण से इस तरह के मामले सामने आए थे। कुछ समय पहले हमने अपनी वीडियो रिपोर्टों में बताया था कि कैसे हिंदुओं को उनके धर्मग्रंथों के नाम पर बरगला कर चर्च अपनी ओर आकर्षित करते हैं। अब एक रिपोर्ट सामने आई है जिससे बता चलता है कि बिहार के बांका जिले के अनुसूचित जाति और जनजाति (SC/ST) की बहुलता वाले जंगली-पहाड़ी इलाकों में ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार जोरों पर है।

बांका में जारी धर्मांतरण को लेकर दैनिक जागरण ने डॉ. राहुल कुमार की एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की है। इसमें बताया गया है कि पिछले दो-तीन सालों के अंदर लगभग 10000 अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को ईसाई बनाया गया है। खराब आर्थिक स्थिति का फायदा उठाते हुए यह चर्च धर्मांतरण करवा रहे हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक बांका के चांदन, कटोरिया और बौंसी में चर्च, धर्मांतरण के कार्य में संलिप्त हैं। चर्च, धर्मांतरण के लिए ऐसी बस्तियों का चयन कर रहे हैं जहाँ संसाधनों की कमी है। इन जगहों पर ईसाई धर्म के प्रचार के लिए हर रविवार को चर्च के प्रतिनिधि बैठक का आयोजन करते हैं। साथ ही धर्म बदलने वालों के लिए हर रविवार को जीसस की एक प्रार्थना सभा का आयोजन भी होता है। इसके अनुसार जयपुर, भैरोगंज, बाबूमहल, बेलहरिया, आमगाछी, बसमत्ता, चांदन सहित कई अन्य इलाकों के चर्च वर्षों से ईसाई धर्म के प्रचार-प्रसार और धर्मांतरण का केंद्र बने हुए हैं।

रिपोर्ट में बताया गया है कि जब लॉकडाउन में लोगों की परेशानियाँ बढ़ीं तो यहाँ हैंडपंप (चापाकल) लगाए जाने लगे और उन्हें ‘जीसस वेल’ कहा जाने लगा। लोगों से कहा गया कि हैंडपंप में जीसस प्रवेश कर गए हैं जिससे यह जल का एक प्राकृतिक स्त्रोत बन जाएगा। साथ ही गरीबों को यह बताया जा रहा है कि जीसस ही असली भगवान हैं और जो परिवार ईसाई बन जाता है उसे जीसस वेल और बाल्टियाँ दी जाती हैं। ईसाई धर्म स्वीकार करने वाले परिवार के बच्चों को पढ़ाई के लिए चर्च बुलाया जाता है जहाँ उन्हें आवश्यक शिक्षा सामग्री उपलब्ध कराई जाती है। इसके अलावा इन परिवारों की लड़कियों की शादी के लिए आर्थिक सहायता भी उपलब्ध कराई जाती है।

रिपोर्ट में बांका के पुलिस अधीक्षक अरविन्द कुमार गुप्ता के हवाले से कहा गया है, “लोकतंत्र धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है, ऐसे में कोई भी व्यक्ति किसी भी धर्म को अपनाने के लिए स्वतंत्र है।” धर्मांतरण के मामले पर उन्होंने कहा कि जबरन धर्मांतरण अपराध है, लेकिन अभी तक इसकी कोई शिकायत नहीं मिली है। अगर शिकायत मिलती है तो कार्रवाई की जाएगी।

गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले ही बिहार के ही सारण से धर्मांतरण की खबरें आई थीं। रिपोर्ट्स के अनुसार सारण के इसुआपुर प्रखंड के सुम्हां रामचौड़ा गाँव और मढ़ौरा में ईसाई मिशनरी हिंदुओं को तरह-तरह के प्रलोभन देकर पिछले एक साल से ग्रामीणों का धर्मांतरण करा रही है। ग्रामीणों का कहना था कि एक साल में 500 से अधिक लोग धर्म परिवर्तन कर चुके हैं। इसमें बड़ी संख्या में महिलाओं ने धर्मांतरण किया है।

बता दें कि जुलाई 2021 में दैनिक भास्कर ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया था कि गया में पिछले दो साल में करीब आधा दर्जन गाँवों में धर्मांतरण हुआ है। वहीं, जिन लोगों पर धर्मांतरण कराने का आरोप लगा था, वो खुद भी कभी हिंदू थे।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया