अयोध्या मस्जिद के लिए बने ट्रस्ट में हो सरकारी प्रतिनिधि: सुप्रीम कोर्ट में याचिका दर्ज, सुन्नी बोर्ड की बयानबाजी को बनाया आधार

माँग की गई है कि मस्जिद के लिए बने ट्रस्ट में सरकार का कोई न कोई प्रतिनिधि होना चाहिए

अयोध्या में राम मंदिर के लिए नींव तो डाल दी गई है लेकिन वहाँ 5 एकड़ मस्जिद के लिए जो जमीन दिए गए हैं, उसे लेकर लगातार विवाद ही हो रहे हैं। ट्रस्ट ने वहाँ मस्जिद निर्माण के लिए तैयारियाँ शुरू कर दी हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका पहुँच गई है, जिसमें माँग की गई है कि मस्जिद के लिए बने ट्रस्ट में सरकार का कोई न कोई प्रतिनिधि होना चाहिए। अयोध्या के करुणेश शुक्ला ने ये याचिका दायर की है।

उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि ‘मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड’ ने हाल ही में जो बयानबाजी की है, उसे देखते हुए सरकार का कोई न कोई प्रतिनिधि अयोध्या में मस्जिद वाले ट्रस्ट में होना ही चाहिए, भले ही वो संप्रदाय विशेष से ही क्यों न हो। उन्होंने कहा है कि राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले और वक़्फ़ एक्ट के अनुसार, सर्वधर्म समभाव अथवा धर्मनिरपेक्ष कार्यों में सरकार अपना प्रतिनिधित्व सुनिश्चित कर सकती है।

करुणेश का कहना है कि उन्होंने संवैधानिक और क़ानूनी प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए ही ये याचिका दायर की है। बता दें कि मस्जिद के लिए इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट का गठन किया गया है, जिसने स्पष्ट किया है कि अयोध्या में बनाए जाने वाली मस्जिद का नाम बाबर के नाम पर नहीं रखा जाएगा। मस्जिद के शिलान्यास के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ को भी बुलावा भेजे जाने की बात भी कही गई है।

ट्रस्ट के भवन और अस्पताल के लिए नींव रखे जाने की बात भी हो रही है। कम्युनिटी सेंटर और कम्युनिटी किचन बनाने की बात भी कही गई है। हालाँकि, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट कर दिया था कि मस्जिद के शिलान्यास में वो नहीं जाने वाले हैं। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर होने के बाद अब इस मामले में विवाद बढ़ता ही जा रहा है। अब ट्रस्ट में सरकारी नुमाइंदगी होगी या नहीं, ये आगे पता चलेगा।

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वक्फ़ बोर्ड ने साफ कर दिया है कि वह इस ज़मीन पर मस्जिद बनाएँगे। जिस पर साधू संतों ने प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि संप्रदाय विशेष समाज के लोग चाहें तो मिली हुई ज़मीन पर अस्पताल या विद्यालय बनवा सकते हैं। संत समाज इस पहल में उनकी आर्थिक मदद भी करेगा। इस मुद्दे पर राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने भी अपना मत रखा है। उन्होंने कहा उनका (वक्फ़ बोर्ड) का जो मन करे वह बनवाएँ।

लेकिन, बाबर के नाम की मस्जिद किसी भी सूरत में नहीं बनाई जा सकती है। अगर ऐसा होता है तो संत समाज इसका पूरी ताकत से विरोध करेगा। तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास ने भी इस मुद्दे पर अपनी बात रखी है। उनका कहना है कि बाबर के नाम की मस्जिद पूरे देश में नहीं है। दान की भूमि पर मस्जिद का निर्माण नहीं किया जा सकता है, ऐसा होने पर मस्जिद में की गई दुआ कबूल नहीं होती है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया