देश की सबसे बड़ी अदालत ने सुन्नी वक्फ़ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए अलग से ज़मीन दी थी। यह ज़मीन अयोध्या के धन्नीपुर गाँव, रौनाही में स्थित है। वक्फ़ बोर्ड ने साफ कर दिया है कि वह इस ज़मीन पर मस्जिद बनाएँगे। जिस पर साधू संतों ने प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि मुस्लिम समाज के लोग चाहें तो मिली हुई ज़मीन पर अस्पताल या विद्यालय बनवा सकते हैं। संत समाज इस पहल में उनकी आर्थिक मदद भी करेगा।
दरअसल, सुन्नी सेंट्रल वक्फ़ बोर्ड ने मिली हुई ज़मीन पर ट्रस्ट का ऐलान कर दिया है। बोर्ड के चेयरमैन ज़ुफ़र अहमद फ़ारुखी ने बताया कि इस ट्रस्ट का नाम इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन होगा। ट्रस्ट के तहत ही उस ज़मीन पर मस्जिद का निर्माण कराया जाएगा। इस पर अयोध्या के संतों ने प्रतिक्रिया दी है। संतों का कहना है कि वह इसे गलत नहीं मानते हैं, उनकी मर्ज़ी वह मिली हुई ज़मीन पर कुछ भी बनवाएँ।
करा सकते हैं विद्यालय या अस्पताल निर्माण
इस मुद्दे पर राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने भी अपना मत रखा है। उन्होंने कहा उनका (वक्फ़ बोर्ड) का जो मन करे वह बनवाएँ। लेकिन बाबर के नाम की मस्जिद किसी भी सूरत में नहीं बनाई जा सकती है। अगर ऐसा होता है तो संत समाज इसका पूरी ताकत से विरोध करेगा।
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इसके अलावा तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास ने भी इस मुद्दे पर अपनी बात रखी है। उनका कहना है कि बाबर के नाम की मस्जिद पूरे देश में नहीं है। दान की भूमि पर मस्जिद का निर्माण नहीं किया जा सकता है, ऐसा होने पर मस्जिद में की गई दुआ कबूल नहीं होती है। नतीजतन मुस्लिम समाज को उस स्थान पर अस्पताल और विद्यालय खोलना चाहिए। अगर वह ऐसा करते हैं तो सबसे पहले हमारी तरफ से सवा लाख रूपए का दान तय है।
स्वीकार नहीं बाबर के नाम की मस्जिद
इसके अलावा उन्होंने कहा वक्फ़ बोर्ड को यह ज़मीन न्यायालय और सरकार से दान में मिली है। इस पर मस्जिद का निर्माण किया जाना सही नहीं है। यहाँ की जाने वाली कोई भी नमाज़ कबूल नहीं होगी, यह पूरी तरह इस्लाम के खिलाफ़ है। इसलिए ट्रस्ट को इस ज़मीन पर अस्पताल या विद्यालय का निर्माण कराना चाहिए। ऐसा करने पर सबसे पहले संतों की तरफ से आर्थिक मदद की जाएगी।