Friday, November 22, 2024
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कुंभ हो प्रतीकात्मक… PM मोदी की अपील पर महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद ने कहा- ‘जीवन की रक्षा ही सबसे बड़ा पुण्य’

"प्रधानमंत्री के इस आह्वान का सम्मान करते हैं। जीवन की रक्षा महत पुण्य है। मेरा धर्म परायण जनता से आग्रह है कि कोविड की परिस्थितियों को देखते हुए भारी संख्या में स्नान के लिए न आएँ एवं नियमों का निर्वहन करें!"

कोरोना का संक्रमण तेजी से फैल रहा है, जिससे देशभर के कई हिस्से बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ट्वीट कर जानकारी दी है कि उन्होंने कोरोना के संबंध में जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर अवधेशानंद सरस्वती से फोन पर बात की है। पीएम ने स्वामी अवधेशानंद से कुंभ के शाही स्नान को प्रतीकात्मक रखने की अपील की है।

प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर जानकारी दी कि उन्होंने स्वामी अवधेशानंद से फोन पर बात कर कुंभ मेले में गए सभी साधु-संतों के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली। उन्होंने आगे बताया कि सभी साधुओं ने प्रशासन को पूरा सहयोग करने को कहा है, जिसके लिए उन्हें धन्यवाद।

इस मामले में जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद सरस्वती ने ट्विटर पर जानकारी दी कि वो प्रधानमंत्री के इस आह्वान का सम्मान करते हैं। उन्होंने ट्वीट किया, “जीवन की रक्षा महत पुण्य है। मेरा धर्म परायण जनता से आग्रह है कि कोविड की परिस्थितियों को देखते हुए भारी संख्या में स्नान के लिए न आएँ एवं नियमों का निर्वहन करें!”

उन्होंने हिंदुओं से अपील करते हुए स्नान को प्रतीकात्मक रखने और मेले में भीड़ जमा नहीं करने की अपील की है। स्वामी अवधेशानंद ने आगे कहा कि कोरोना संकट के बीच जीवन की रक्षा ही सर्वोपरि है।

इससे पहले गुरुवार को पंचायती निरंजनी अखाड़ा ने 17 अप्रैल तक कुंभ मेले के समापन की घोषणा की थी। अखाड़ा ने यह फैसला हरिद्वार में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बाद लिया था।

न्यूज 24 से बात करते हुए पंचायती निरंजनी अखाड़ा के रवींद्र पुरी महाराज ने जानकारी दी, “यह महामारी का समय है। गुजरात, महाराष्ट्र और भारत के अन्य हिस्सों से यहाँ साधुओं से पूछकर हमने एक निर्णय लिया है। सभी को अपने-अपने स्थान पर लौटने को कहा गया है। हरिद्वार की हालत बिगड़ती जा रही है। केवल कुछ साधु 27 अप्रैल को स्नान करेंगे। हमने सभी से वापस जाने का अनुरोध किया है। ”

उन्होंने आगे कहा, “कोरोनावायरस के मामलों में तेजी से हो रही वृद्धि के कारण यह निर्णय लिया गया है। हम चाहते हैं कि हम सब सुरक्षित रहें। इससे हमें सोशल डिस्टेंसिंग के दिशानिर्देशों का पालन करने में मदद मिलेगी।”

यह पूछे जाने पर कि क्या यह उनका निजी फैसला है या उन्होंने इसे किसी के दवाब में लिया है? इस पर रवींद्र पुरी महाराज ने स्पष्ट किया, “हम पर किसी का भी दवाब नहीं है। यह कोई व्यक्तिगत मामला नहीं है। यह एक सामाजिक मुद्दा है, जो बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करेगा। हमने लोगों की भलाई के लिए फैसला लिया है।” हालाँकि उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि पंचायती निरंजनी अखाड़ा से जुड़े लगभग 50 साधु 27 अप्रैल को स्नान करेंगे।

बता दें कि कुंभ मेले में 4 शाही स्नान और 9 गंगा स्नान शामिल हैं। इसी कड़ी में 27 अप्रैल को चौथा शाही स्नान आयोजित होगा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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