पटियाला में काली माता मंदिर पर हमले के विरोध में हिंदू संगठनों का बंद: खालिस्तानियों पर कार्रवाई की माँग, इंटरनेट-मैसेजिंग सब ठप्प

पटियाला हिंसा (फोटो साभार: संवाद न्यूज एजेेंसी)

पंजाब के पटियाला (Patiala, Punjab) में शुक्रवार (29 अप्रैल 2022) को खालिस्तान विरोधी मार्च के बाद हुई हिंसा के बाद राज्य सरकार अलर्ट है। काली मंदिर में तोड़फोड़ से गुस्साए हिंदू संगठनों ने शनिवार (30 अप्रैल 2022) को बंद बुलाया है। इसके बाद प्रशासन ने शाम तक मोबाइल इंटरनेट सेवाओं पर अस्थायी रूप से प्रतिबंध लगा दिया है। वहीं, शहर हाई अलर्ट पर है।

पंजाब सरकार के गृहमंत्रालय ने अफवाहों पर रोक लागने और शहर में कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए इंटरनेट बंद करने का निर्णय लिया है। इस संबंध में जिलाधिकारी ने एक नोटिफिकेशन जारी किया है और उसे ट्विटर पर साझा किया है।

वहीं, शुक्रवार को मंदिर में हुए हमले का एक वीडियो सामने आया है। इस वीडियो में स्पष्ट दिख रहा है कि कुछ अराजक तत्व मंदिर में घुसकर तोड़फोड़ करने की कोशिश कर रहे हैं। इनके हाथों में तलवारें और डंडे हैं। इस दौरान वहाँ मौजूद पुलिसकर्मी इन उपद्रवियों को रोकने का प्रयास करते दिख रहे हैं।

इस हिंसा को लेकर शुक्रवार को पंजाब पुलिस ने शिवसेना (बाल ठाकरे) के नेता हरीश सिंगला को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। वहीं, पार्टी ने भी उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया था। ऐसे में कई मीडिया रिपोर्ट्स में जा रहा है कि हिंदू संगठन सिंगला से खफा हैं और बंद उनके खिलाफ बुलाया गया है। हालाँकि, हिंदू संगठनों का स्पष्ट कहना है कि वे सिंगला के खिलाफ नहीं हैं, वे खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ हैं और इसीलिए बंद बुलाया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि सिंगला को विरोध प्रदर्शन करना ही तो अन्य तरीके से किया जा सकता था। उन्होंने गलती की है, उसकी सजा उन्हें मिल रही है। लेकिन, खालिस्तान समर्थकों को काली माता मंदिर पर हमला नहीं करना चाहिए था। यह बंद उन्हीं लोगों पर कार्रवाई की माँग को लेकर बुलाई गई है।

ऑपइंडिया से बातचीत में पटियाला के काली माता मंदिर के महंत रवि कुमार मुनि ने बताया, “हरीश सिंगला हमारे शहर के लोग हैं, हमारे अपने लोग हैं। लेकिन, अगर किसी एक व्यक्ति के काम को लेकर पूरी कम्युनिटी पर प्रोब्लम आएगी तो इसमें क्या करना चाहिए? हरीश सिंगला दोषी है, इसमें कोई दो राय नहीं है, लेकिन जिन लोगों ने मंदिर पर अटैक किया वे भी दोषी हैं। मंदिर ने तो किसी को कुछ नहीं कहा था। मंदिर पर अटैक क्यों किया गया? पंजाब में आतंकवाद के दौरान भी मंदिर पर कभी अटैक नहीं हुआ।”

हिंदू रक्षा समिति के अध्यक्ष राजेश केहर ने ऑपइंडिया को बताया, “ये बंद हरीश सिंगला के खिलाफ नहीं, बल्कि खालिस्तान समर्थकों द्वारा मंदिर पर किए हमले के कारण बंद किया गया है। पटियाला के सभी हिंदू संगठनों ने मिलकर ये निर्णय लिया है।” केहर ने कहा कि रोष मार्च शिवसेना (बाल ठाकरे) ने आर्य समाज से निकाला और हमला माल रोड पर काली माता मंदिर पर हुआ। यह सोची समझी साजिश थी। उन्होंने आरोप लगाया कि सारे हमलावरों को बाहर से बुलाया गया था। इनमें 10 प्रतिशत लोग भी पटियाला से नहीं थे।

इस हमले को लेकर राजेश केहर ने थाने में रिपोर्ट भी दर्ज कराई है। अपनी रिपोर्ट में उन्होंने कहा कि शुक्रवार की दोपहर करीब 12 बजे 40-50 हमलावरों का एक समूह मंदिर के बाहर खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने लगा। वे मंदिर पर पथराव कर रहे थे। उन्होंने कहा, “रात के करीब 12 बजे जब मैं अपने कार्यालय में था, मैंने खालिस्तान जिंदाबाद के नारे सुने। मैं बाहर भागा, जहाँ मैंने देखा कि कुछ निहंग सिख दूसरों के साथ पथराव कर रहे थे और मंदिर भवन और लंगर भवन पर हमला कर रहे थे। उनके पास डंडे और अन्य हथियार थे। वे हिंदू विरोधी नारे लगा रहे थे।”

दर्ज कराई गई शिकायत में उन्होंने आगे कहा, “मैंने मंदिर के अधिकारियों और सुरक्षा को सतर्क किया और तुरंत फाटक बंद करवा दिया। कुछ ही मिनटों में हमलावरों ने मंदिर की इमारत पर हमला कर दिया, जिससे कुछ नुकसान हुआ। उन्होंने मंदिर के गेट के बाहर स्थित मंदिर की दुकानों पर भी हमला किया। उन्होंने 9 से 12 नंबर की दुकानों को क्षतिग्रस्त कर दिया और दुकानों से करीब 25-30 हजार रुपये की चोरी कर ली। पुलिस भी मौके पर मौजूद थी और हमलावरों को रोकने की कोशिश कर रही थी।”

बता दें कि सिख फॉर जस्टिस के प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू ने कुछ दिन पहले शुक्रवार को खालिस्तान का स्थापना दिवस मनाने की घोषणा की थी। इसके जवाब में शिवसेना (बाल ठाकरे) के नेता हरीश सिंगला ने शुक्रवार (29 अप्रैल) को खालिस्तान विरोध रोष निकाली थी। इस दौरान उन विरोधी गुट के साथ उनकी झड़प हो गई। दोनों तरफ से पथराव भी हुए। वहीं अराजक तत्वों ने काली माता मंदिर पर हमला कर दिया। इस दौरान कई लोग घायल भी हुए।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया