बीकानेर और जोधपुर में 2433 बच्चों की मौत, गहलोत सरकार की नाकामी पर मीडिया मौन

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर में भी स्थिति भयावह

राजस्थान में मासूमों की मौत का आँकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। अब जब कोटा के जेके लोन हॉस्पिटल में एक वर्ष में 970 बच्चों की मृत्यु की ख़बर आई है, बीकानेर और जोधपुर से भी भयानक तस्वीर सामने आ रही है। प्रदेश कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट के बयान के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। पायलट ने कहा कि सरकार जिम्मेदारी से नहीं बच सकती। अगर बीकानेर के आँकड़ो की बात करें तो पीबीएम हॉस्पिटल में दिसंबर महीने में 261 बच्चों की मौत का आँकड़ा सामने आया है। पूरे साल का आँकड़ा और भी भयानक है।

बीकानेर में पिछले एक साल में 1681 बच्चों की मौत हो गई है। इनमें नवजात शिशु से लेकर 13 वर्ष तक के बच्चे भी शामिल थे। राज्य के सरकारी तंत्र ने जो वजह बताई, वो है – कई बच्चों को देरी से अस्पताल लाया गया, कई नवजात कम वजन वाले थे। लेकिन सरकारी बयान के उलट की सच्चाई यह है – एक बेड पर तीन-तीन बच्चों को रख कर इलाज किया गया क्योंकि अस्पताल में पर्याप्त संख्या में बेड नहीं हैं। जिन बच्चों की मौत हुई, उनमें से 1267 नवजात थे। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, हॉस्पिटल में 40 में से 10 वेंटिलेटर ख़राब पड़े हैं। हॉस्पिटल के शिशु रोग विभागाध्यक्ष ने कहा कि बच्चों को ऐसी स्थिति में लाया जाता है, जहाँ से उन्हें बचाना मुश्किल हो जाता है।

बीकानेर में बच्चों की मौत का आँकड़ा भयावह: दैनिक भास्कर के स्थानीय संस्करण की ख़बर

वहीं अगर जोधपुर की बात करें तो वहाँ भी सम्पूर्णानन्द मेडिकल कॉलेज में दिसंबर महीने में 146 बच्चों की मौत की ख़बर सामने आई है। जोधपुर के आँकड़े इसलिए भी चौंकाने वाले हैं क्योंकि ये मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का गृह जिला है और हाल ही में वो यहाँ 2 दिवसीय दौरे पर भी आए थे। अस्पताल का कहना है कि ये आँकड़े सामान्य हैं। यहाँ पूरे वर्ष में 752 बच्चों की मौत का आँकड़ा सामने आया है।

मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय मानक के हिसाब से ये आँकड़े काफ़ी कम हैं। जोधपुर स्थित मेडिकल कॉलेज की नर्सरी को लगातार दो साल से अवॉर्ड मिल रहा है लेकिन यहाँ अक्सर डॉक्टरों की कमी पड़ जाती है।

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राजस्थान के विभिन्न अस्पतालों में बच्चों की हो रही मौत पर मीडिया की चुप्पी ख़तरनाक है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि बच्चों की मौत कोई नई बात नहीं है। वहीं प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने कहा था कि भाजपा सीएए से ध्यान भटकाने के लिए आरोप लगा रही है। उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का कहना है कि पिछले एक साल से सत्ता में रही सरकार जिम्मेदारियों से नहीं बच सकती। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों को दोष देने से काम नहीं चलेगा। कोटा के प्रभारी मंत्री प्रताप सिंह ने तो स्थानीय अधिकारियों और डॉक्टरों को लापरवाह बता कर इतिश्री कर ली।

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ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया