‘यूपी में किसानों को गन्ने का सबसे ज्यादा पैसा, फिर भी वहीं करेंगे प्रदर्शन’: इंटरव्यू से हट गया राकेश टिकैत का मुखौटा

राकेश टिकैत और सुरेश चव्हाणके

20 सितंबर 2021 को किसान नेता राकेश टिकैत का एक इंटरव्यू सुदर्शन न्यूज चैनल पर ऑन एयर किया गया। इस शो में होस्ट सुरेश चव्हाणके ने किसान प्रदर्शन और उनकी समस्या से जुड़े हर पहलू पर बात की और इसी बीच राकेश टिकैत अपनी बातों से ये स्पष्ट करते भी दिखे कि ये प्रदर्शन किसानों के लिए नहीं बल्कि केंद्र और प्रदेश में बैठी भाजपा सरकार के खिलाफ है।

सरकार व्यवसायियों को पहुँचाना चाहती है लाभ, किसानों को नहीं

अपने इंटरव्यू के दौरान टिकैत ने सरकार पर कारोबारियों की मदद करने का आरोप मढ़ा। उन्होंने कहा कि सरकार व्यापारियों को कम कीमत पर उत्पाद खरीदने और उसे अधिक कीमत पर बाजार में बेचने में मदद कर रही है। उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानून लागू होने से पहले, व्यापारिक घरानों ने पहले ही देश भर में भूमिगत कक्ष और गोदाम बना लिए थे। उन्होंने सवाल किया कि क्या व्यापारिक घरानों को पता था कि ऐसे कृषि कानून आ रहे हैं जो उन्हें खाद्य व्यवसाय पर अपनी पकड़ बढ़ाने में मदद करेंगे।

दिलचस्प बात यह है कि चव्हाणके ने इसी दौरान उन्हें जानकारी दी कि निजी फर्म भूमिगत कक्ष का निर्माण 1978 से कर रहे हैं। इसका मतलब ये तो नहीं है कि वो तभी से कानून को लागू करने की योजना बना रहे थे। व्यापारिक घरानों के लिए मार्केट रिसर्च और उन क्षेत्रों में निवेश करना बेहद आम बात है जहाँ वह लाभ की संभावना देखते हैं।

ऐसे दावे कई बार हुए हैं कि अडानी जैसे कारोबारी ऐसे भूमिगत कक्षों का निर्माण करके किसानों का उत्पीड़न करते हैं। हालाँकि सच यह है कि 2005 में अडानी ने मोगा और कैथल में खाद्य भूमिगत कक्ष स्थापित करने के लिए FCI के साथ बू (BOO/(Build, Own, Operate ) एग्रीमेंट किया। 

साल 2008 की एक रिपोर्ट बताती है कि उस समय भूमिगत कक्ष चालू थे और एफसीआई के लिए 3 लाख टन गेहूँ की खरीद की गई थी। अपने बयान में भी अडानी ने कहा था कि उनका काम सिर्फ इन्फ्रास्ट्रक्चर में है। खरीद और कीमत तय करने में उनकी कोई भूमिका नहीं होती है।

‘सरकार को एमएसपी फिक्स करना चाहिए’

टिकैत ने आरोप लगाया कि सरकार को एमएसपी तय करना चाहिए; अन्यथा, निजी क्षेत्र निजी बाजारों में किसानों का शोषण करेगा। उन्होंने दावा किया कि अगर हर फसल के लिए एमएसपी तय किया जाता है, तो कोई भी सरकार द्वारा तय एमएसपी से कम कीमत पर उपज नहीं खरीद पाएगा। यह पूछे जाने पर कि सरकार 100% उत्पाद नहीं खरीद सकती, उन्होंने कहा कि कानून को निजी कंपनियों के लिए भी कीमत को विनियमित करना चाहिए।

अब संभव है कि ये सुझाव किसी को भी अच्छा लग सकता है लेकिन हर प्रकार की उपज, विशेष रूप से सब्जियों जैसे खराब होने वाले खाद्य पदार्थों पर एमएसपी लगाना संभव नहीं है। ऐसे मामलों में, निजी क्षेत्र की भागीदारी और भंडारण और प्रसंस्करण की अंतिम-मील उपलब्धता एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। मगर टिकैत की माँग है कि राष्ट्रीय राजमार्गों के पास कोई व्यावसायिक गतिविधियाँ नहीं होनी चाहिए। हालाँकि, वह इस बात को साफ नहीं बताते कि राष्ट्रीय राजमार्ग के पास प्रसंस्करण संयंत्रों और भंडारण सुविधाओं के खिलाफ क्यों हैं क्योंकि हकीकत में तो वो किसानों को खेतों के पास उपज को संग्रहीत या संसाधित करने में मदद करेंगे।

टिकैत ने दावा किया कि किसान यूनियनों के समूह ने एमएसपी के लिए वित्तीय कार्यप्रवाह (वर्क फ्लो) तैयार किया है जिससे यह सुनिश्चित होगा कि सरकार को उपज की खरीद पर कोई अतिरिक्त पैसा खर्च नहीं करना पड़ेगा। हालाँकि, उन्होंने शो के दौरान कोई डेटा पेश नहीं किया या कोई अतिरिक्त जानकारी नहीं दी।

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार तभी बात करना चाहती है जब किसान नए कानूनों से सहमत हों, जो कि सच नहीं है। सरकार ने यूनियनों की समस्याओं पर विस्तार से चर्चा करने को कहा है ताकि जरूरत पड़ने पर कानूनों में संशोधन किया जा सके। यह किसान संघ हैं जो कानूनों को निरस्त करने पर अड़े हुए हैं और सरकार के ऐसा करने से पहले कुछ भी चर्चा नहीं करना चाहते हैं।

ज्ञात रहे कि पिछले दिनों भी टिकैत का एक इंटरव्यू आया था। उस समय भी टिकैत अपनी समस्याओं को समझाने में विफल हो गए थे जबकि होस्ट लियाकत बार-बार ये पूछ रहीं थी कि आखिर परेशानियाँ क्या है।

यूपी सरकार गलत डेटा दे रही है।

टिकैत कहते हैं उत्तर प्रदेश सरकार गन्नों की पेमेंट को लेकर गलत डेटा दे रही है। उनका दावा है कि बैकलॉग तक क्लियर नहीं हुआ और सारी पेमेंट योगी सरकार के कारण लेट हो रही है। ऐसे में बात जब बात गन्ने की कीमत की आई तो टिकैत ने कहा कि यूपी सरकार हर क्विंटल पर 325 रुपए की एमएसपी दे रही है, जो कि अन्य राज्यों से ज्यादा है। चाहे वो तमिल नाडु हो, महाराष्ट्र हो या कोई और। फिर भी उन राज्यों में प्रोटेस्ट करने की जगह टिकैत कहते हैं कि वो योगी सरकार के विरोध में प्रदर्शन करेंगे और उन्हीं से पैसे बढ़ाने को भी कहेंगे।

https://twitter.com/iAnkurSingh/status/1439983394146766853?ref_src=twsrc%5Etfw

जब चव्हाणके को इंटरव्यू के दौरान ये सारी बातें मालूम चली तो उन्होंने टिकैट का असली चेहरा दिखाना चाहा, जिस पर टिकैत ने बोला कि वो तो खुश होंगे अगर सीएम योगी प्रधानमंत्री बन जाएँ और पीएम मोदी राष्ट्रपति बन जाएँ। लेकिन 2022 के चुनावों के मद्देनजर वो सीएम योगी के ख़िलाफ़ प्रोटेस्ट करेंगे। यहाँ भी टिकैत यह नहीं बताते कि आखिर वो महाराष्ट्र और तमिलनाडु में मिलने वाली कम एमएसपी को लेकर क्यों नहीं प्रोटेस्ट कर रहे।

अल्लाह-हू-अकबर

टिकैत से जब महापंचायत में लगाए गए अल्लाह-हू-अकबर नारे के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इसका अधिकार संविधान देता है कि कोई भी किसी धर्म का अनुसरण करे। लेकिन उन्हीं टिकैत से जब पूछा गया कि ये अल्लाह-हू-अकबर अल्लाह को सबसे बड़ा ईश्वर बताता है और यह हिंदुओं को कैसे बर्दाश्त होगा। इस पर उन्होंने अपनी रुद्राक्ष माला को ओम लटकन के साथ दिखाना शुरू कर दिया।

इस पर चव्हाणके ने तंज कसते हुए कहा, “क्या ओम में त्रिशूल है, या आपने इसे एक क्रॉस के साथ बदल दिया है? क्योंकि आप कुछ भी कर सकते हैं…।” उन्होंने आगे सवाल किया कि क्या टिकैत के पिता को ठीक लगता यह सुन कर कि वो अल्लाह को भगवान शिव से ऊँचा कहें। इस पर टिकैत ने प्रश्न को नकार दिया और विषय बदल दिया।

https://twitter.com/SureshChavhanke/status/1439829538137985029?ref_src=twsrc%5Etfw

ऐसे ही ओवैसी की बात आते ही टिकैत सवाल को नकारते दिखाई दिए। उन्होंने जय श्रीराम पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि पहले चलन था कि लोग राम-राम कहते थे। लेकिन ये लोग आए और इसे जय श्रीराम बना दिया गया। हम जय श्रीराम कहना नहीं चाहते। राम-राम से समस्या क्या है। चव्हाणके ने जब कहा कि ये तो आदमी के ऊपर है वो क्या कहे। इस पर टिकैत ने सवाल किया कि आखिर राम-राम से समस्या ही क्या थी जो जय श्रीराम कर दिया गया।

टिकैत का आरोप है कि सरकार निजीकरण पर जोर देकर सब कुछ बेच रही है। जब चव्हाणके ने कहा कि सरकार ये सब पैसे कमाने के लिए कर कर रही है ताकि प्रोजेक्ट में निवेश हो सके, तो टिकैत ने इस बात को मानने से इंकार कर दिया। अपने पूरे इंटरव्यू में टिकैत सिर्फ यही दिखाते दिखे कि उनका उद्देश्य भाजपा सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया