Sunday, September 1, 2024
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रुबिका लियाकत ने ली राकेश टिकैत की क्लास: कृषि कानून से जुड़े एक भी सवाल का जवाब नहीं दे सके, हुई फजीहत

कृषि कानूनों की प्रतियाँ लेकर सवाल करने बैठीं रुबिका ने टिकैत से पूछा कि अगर उन्होंने ये कृषि कानूनों को पढ़ा है तो बताएँ कि परेशानी क्या है। इसी सवाल के बाद टिकैत बातों को गोल-मोल करने लगे।

स्व-घोषित किसान नेता और ‘आंदोलनजीवी’ राकेश टिकैत की एबीपी न्यूज पर एक डिबेट के दौरान उस समय बोलती बंद हो गई जब एंकर रुबिका लियाकत ने उनसे नए कृषि कानूनों को लेकर सवाल किए। टिकैत इस दौरान न केवल हकलाते हुए बल्कि मुद्दे को घुमाते हुए भी नजर आए।

8 माह से कथित ‘किसानों’ के साथ प्रदर्शन पर बैठे राकेश टिकैत का मुँह उस समय बिलकुल बंद हो गया जब पूछा गया कि आखिर कृषि कानूनों से समस्या क्या है। एंकर ने उन्हें वो विशेष सेक्शन हाईलाइट करने को कहे जिसके आधार पर प्रदर्शन चल रहा है।

कृषि कानूनों की प्रतियाँ लेकर सवाल करने बैठीं रुबिका ने टिकैत से पूछा कि अगर उन्होंने ये कृषि कानूनों को पढ़ा है तो बताएँ कि परेशानी क्या है। इसी सवाल के बाद टिकैत बातों को गोल-मोल करने लगे। मगर, एंकर फिर भी अपने सवाल करती रहीं। रुबिका लियाकत के सवालों पर निरुत्तर बैठे टिकैट ने मुद्दे को घुमाने का प्रयास किया और कहा, “संसद में कानून पहले बने या ये गोदाम पहले बने।”

एंकर ने फिर पूछा कि टिकैत बताएँ तो कि आखिर कहाँ लिखा है कि प्राइवेट कंपनियाँ किसानों की जमीन हड़प लेंगी। रुबिका कहती हैं, “यदि आप नहीं बता पा रहे तो मुझे बता दें, मैं उस खंड को पढ़ दूँगी जो स्पष्ट कहता है कि किसी भी संस्था को किसान की जमीन पर कब्जा करने का हकदार नहीं है।”

सवालों से तंग आए टिकैत ने अंत में इस पूरे मुद्दे से अपना पल्ला यह कहकर झाड़ना चाहा कि रुबिका केंद्र सरकार के लिए काम करती हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, “आप सरकार के किस पोस्ट पर हैं।” इस पर रुबिका ने जवाब दिया कि वो देश की नागरिक हैं और पत्रकार हैं, उन्हें सवाल पूछने का पूरा अधिकार है।

डिबेट में आगे टिकैत ने सारे कृषि कानूनों को पूरी तरह से ‘काला कानून’ करार दिया और झूठ कहा कि वे अपनी समस्या सरकार को बता चुके हैं जबकि हकीकत बात यह है कि सरकार ने तथाकथित किसानों के सामने एक दर्जन से ज्यादा बार बातचीत का प्रस्ताव रखा है, लेकिन सच यही है कि किसान नेताओं को खुद नहीं मालूम समस्या कहाँ हैं। वह बस पूरा का पूरा कानून वापस करवाना चाहते हैं।

ये गौरतलब हो कि केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि कानून कई किसान समूहों से चर्चा के बाद पारित हुए थे। इसके अलावा मंडियों की मोनोपॉली के बाहर जाकर माल बेचने की आजादी की माँग भी किसान संघों द्वारा लंबे समय से की जा रही थी, लेकिन अब जब सरकार ने सभी बातें मान ली हैं तो उन कानूनों का विरोध हो रहा है।

बता दें कि टिकैत काफी समय से मीडिया खबरों में बने हुए हैं। उनके बिन सिर-पैर वाले बयान और धमकियाँ काफी चर्चा में रहीं। मगर, अब हालात ये हैं कि टिकैट के बयान मीडिया का मनोरंजन कर रहे हैं और लोगों को उन पर हँसी आ रही है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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