MSP से ज्यादा कीमत पर धान बेच रहे किसान: कर्नाटक में रिलायंस की डील, हर क्विंटल पर 82 रुपए का फायदा

रिलायंस रिटेल ने कर्नाटक में MSP से अधिक दाम पर खरीदा धान

एक तरफ दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है तो दूसरी तरफ देश की सबसे बड़ी कॉर्पोरेट कंपनी रिलायंस ने कर्नाटक में किसानों के साथ एक बड़ा समझौता किया है। ये डील एपीएमसी अधिनियम में संशोधन के बाद पहली कॉर्पोरेट डील है। सबसे अहम बात ये है कि इसमें किसानों को फसल की कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक मिली है। 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ कर्नाटक के रायचूर जिले स्थित सिंधनौर तालुक के किसानों के साथ रिलायंस रिटेल लिमिटेड ने एक हज़ार क्विंटल मंसूरी धान की खरीद का सौदा किया है। कंपनी ने इस सौदे की शुरुआत में सोना मंसूरी धान के लिए 1950 रुपए की पेशकश की थी। जो कि सरकार द्वारा तय किए गए न्यूनतम समर्थन मूल्य (1868) से 82 रुपए ज़्यादा है। 

बता दें कि रिलायंस रिटेल लिमिटेड के पंजीकृत एजेंट्स ने स्वास्थ्य फार्मर्स प्रोड्युसिंग कंपनी (एसएफपीसी) के साथ समझौता किया था। इसके पहले तक यह कंपनी सिर्फ तेल का व्यापार करती थी। अब इस कंपनी ने धान की खरीद और बिक्री भी शुरू की है। धान की खेती करने वाले लगभग 1100 किसान इस कंपनी से जुड़े हुए हैं।

एसएफपीसी और किसानों के बीच हुए समझौते में प्रति 100 रुपए के लेन देन पर एसएफपीसी को 1.5 फ़ीसदी कमीशन मिलेगा। इसके अलावा किसानों को फसल की पैकिंग के लिए बोरे के साथ ही सिंधनौर स्थित वेयरहाउस तक ट्रांसपोर्ट का खर्चा उठाना होगा। 

इस पर एसएफपीसी के मैनेजिंग डायरेक्टर मल्लिकार्जुन वल्कालदिन्नी का कहना है कि फ़िलहाल थर्ड पार्टी वेयरहाउस में रखे गए धान की गुणवत्ता की जाँच करेगी। उनके मुताबिक़, “गुणवत्ता की पुष्टि होने पर रिलायंस के एजेंट फसल उपलब्ध कराएँगे। अभी वेयरहाउस में लगभग 500 क्विंटल धान स्टोर किया गया है, खरीद के बाद रिलायंस ऑनलाइन माध्यम से एसएफपीसी को भुगतान करेगा। एसएफपीसी वह रुपए सीधे किसानों के खाते में जमा करेगा। इतना ही नहीं धान की फसल ले जारी गाड़ियों को जीपीएस से ट्रैक भी किया जाएगा।”  

इस समझौते से हर कोई खुश नहीं है। कर्नाटक राज्य रैथा संघ के अध्यक्ष चमारासा मालिपाटिल ने कहा कि कॉर्पोरेट कंपनी शुरुआत में तो किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक दाम का लालच देंगी ही। इससे एमएसपी की मंडियों का नुकसान होगा और फिर किसानों का उत्पीड़न किया जाएगा। इस तरह के समझौतों से बच कर रहना होगा।            

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया