कहीं ‘किसान’ आंदोलन में न पैदा हो जाए ‘तबलीगी जमात’ जैसे हालात: सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना को लेकर जताई चिंता

कहीं 'किसान' आंदोलन में न पैदा हो जाए 'तबलीगी जमात' जैसे हालात

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) ने लगभग एक महीने से अधिक समय से कृषि सुधार क़ानूनों को लेकर जारी विरोध प्रदर्शन पर चिंता जताई है। इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त करते हुए सीजेआई एस ए बोबड़े ने कहा ‘किसान आंदोलन’ में निजामुद्दीन मरकज़ के तबलीगी जमात जैसी स्थित पैदा हो सकती है। 

मामले की सुनवाई करने वाली पीठ की अध्यक्षता करते हुए सीजेआई ने सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा, क्या प्रदर्शनकारी किसानों के बीच कोरोना संबंधी एहतियात बरते जा रहे हैं? उन्होंने अपनी टिप्पणी में कहा, “किसानों के विरोध प्रदर्शन से भी समान समस्या जन्म ले सकती है। मुझे नहीं पता कि किसानों को कोविड-19 से सुरक्षित किया गया है।” 

तबलीगी जमात को अनुमति देने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की माँग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सीजेआई एस ए बोबड़े ने सॉलीसिटर जनरल ने तुषार मेहता से पूछा, “क्या आपको जानकारी है कि किसान कोविड 19 से सुरक्षित हैं? क्या आपने अपने अनुभव से कुछ सीखा है (तबलीगी जमात की घटना का ज़िक्र करते हुए)?”

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न्यायाधीश ए एस बोपन्ना और न्यायाधीश वी राम सुब्रमण्यम ने भी पूछा कि क्या दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन में शामिल प्रदर्शनकारी कोरोना महामारी का प्रसार रोकने के लिए सावधानी बरत रहे हैं? 

मुख्य न्यायाधीश ने संकेत दिया कि किसान आंदोलन में भी ठीक वैसी समस्या उत्पन्न हो सकती है। उन्होंने सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा, “मुझे नहीं पता कि किसानों को कोविड 19 से सुरक्षित किया गया है या नहीं।” इसके जवाब में तुषार मेहता ने कहा, “वह (प्रदर्शनकारी) सुरक्षित नहीं हैं।” 

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सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर रिपोर्ट जमा करने का आदेश दिया है कि प्रदर्शन स्थल पर महामारी का प्रसार रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। पीठ के मुताबिक़ वह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि राजधानी की सीमा पर जारी किसान आंदोलन में महामारी का प्रसार न हो। साथ ही केंद्र सरकार को इसकी पुष्टि करने के लिए कहा कि कोरोना सम्बंधित दिशा निर्देशों का पालन किया जाए।  

भारत में कोरोना फैलाने वाली तबलीगी जमात

निजामुद्दीन मरकज़ में मार्च के पहले-दूसरे हफ्ते के बीच इकट्ठा हुई तबलीगी जमात जिसने पूरे भारत में कोरोना वायरस फैलाने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई थी। फ़िलहाल कोरोना वायरस से प्रभावित लगभग 1 तिहाई मामले उससे जुड़े हुए हैं। मरकज़ में शामिल होने वाले जितने लोग अपने घरों की तरफ वापस गए और अन्य लोगों से मिले, उन्होंने देश के भीतर कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी की। 

निजामुद्दीन मरकज़ में इकट्ठा हुई तबलीगी जमात को लेकर पूरे देश में जम कर विरोध हुआ था। तबलीगी जमात ने उस दौरान देश में लगभग 30 फ़ीसदी कोरोना पॉजिटिव मामलों को जन्म दिया था। मरकज़ में सिर्फ भारतीय मुस्लिम ही नहीं बल्कि विदेशी मुस्लिम भी शामिल हुए थे। इस मुद्दे पर तभी कार्रवाई होनी चाहिए थी जब इस संगठन से संबंधित लोग इंडोनेशिया के नागरिक दिल्ली से करीमनगर की यात्रा (इज्तेमा) करने के बाद तेलंगाना में कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे।

लेकिन तबलीगी जमात के लोगों का देश के कोरोना वायरस के मामलों में योगदान तब सामने आया जब दिल्ली की बंग्लेवाली मस्जिद में 300 जमातियों में कोरोना वायरस के लक्षण मिले। इसके बाद उन्हें भर्ती कराने पर आधे से अधिक कोरोना वायरस से प्रभावित पाए गए।         

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया