सभी FIR एक साथ कर दें, NSA हटा दें: सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी मनीष कश्यप की माँग, विरोधी वकीलों ने ‘आदतन अपराधी’ से लेकर ‘राजनेता’ तक बता डाला

सुप्रीम कोर्ट ने नहीं की मनीष कश्यप की याचिका पर सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने आज (8 मई 2023) यूट्यूबर मनीष कश्यप की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। यूट्यूबर ने अपने ऊपर दर्ज NSA के मामले को हटाने और सारी एफआईआर एक साथ करने को लेकर न्यायालय में गुहार लगाई थी। कोर्ट ने उन्हें कहा कि वो अपनी याचिका हाईकोर्ट में लेकर जाएँ। इस दौरान बिहार सरकार ने मनीष कश्यप को आदतन अपराधी बताया। वहीं तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश वकील ने उनको ‘राजनेता’ कहा।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी परदीवाला की पीठ ने मनीष कश्यप की याचिका पर सुनवाई से मना किया। इस दौरान उनके (यूट्यूबर) वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि जो वीडियो मनीष कश्यप ने अपने यूट्यूब चैनल पर दिखाई वो मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित थी। अगर उसकी एनएसए के तहत गिरफ्तारी बनती है तो इस धारा के तहत अन्य पत्रकारों को भी पकड़ा जाना चाहिए।

सिंह ने कहा, “अगर ये पत्रकार जेल में है तो हर पत्रकार जेल में होना चाहिए।” सिंह ने कोर्ट से अपील की कि मनीष के खिलाफ हुई सारी एफआईआर तमिलनाडु में एक साथ क्लब की जाए और उसके बाद उसे बिहार ट्रांसफर किया जाए। उन्होंने मनीपुर पत्रकार की हिरासत का भी हवाला दिया। लेकिन सीजेआई ने उनकी दलीलों पर ये जवाब दिया कि कश्यप ने फेक वीडियोज के जरिए एक स्थिर राज्य में हलचल पैदा की।

वहीं बिहार सरकार ने कोर्ट से कहा कि मनीष पर दर्ज एफआईआर अलग अलग मामलों में हैं।सुनवाई के दौरान बिहार सरकार के वकील ने कहा कि पहली एफआईआर फेक वीडियो को लेकर है, दूसरी घटना पटना एयरपोर्ट पर दिए गए बयान को लेकर हैं, तीसरी एफआईआर हथकड़ी वाले फोटो को लेकर है। वकील ने बताया कि कश्यप एक आदतम अपराधी है जिस पर उगाही और हत्या के प्रयास तक के केस दर्ज हैं।

तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल ने इस दौरान सारी एफआईआर को उस जगह क्लब करने को कहा जहाँ पहली एफआईआर हुई थी। सिब्बल ने कहा कि कश्यप कोई पत्रकार नहीं है वो एक राजनेता हैं जिन्होंने बिहार में चुनाव भी लड़ा हुआ है।

बता दें कि इससे पहले यूट्यूबर मनीष कश्यप उर्फ त्रिपुरारी कुमार तिवारी के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) लगाने पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टालिन सरकार से सवाल किया। तमिलनाडु की स्टालिन सरकार ने प्रदेश में आप्रवासी बिहारी मजदूरों के खिलाफ हिंसा की खबरों को फर्जी बताते हुए कश्यप पर कई केस दर्ज किए थे।

इस मामले में तमिलनाडु सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल पेश हुए थे। मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने उनसे सवाल पूछा था, “मिस्टर सिब्बल, इसके लिए NSA क्यों? इस आदमी से इतना प्रतिशोध क्यों?”

इस पर सिब्बल ने कहा था कि वह फर्जी वीडियो बनाकर तमिलनाडु में बिहारियों पर हमले का झूठ फैला रहा था। सिब्बल ने कहा कि सोशल मीडिया पर उसके 60 लाख फॉलोअर्स हैं। वह एक राजनेता है और चुनाव लड़ चुका है। मनीष कश्यप पत्रकार नहीं है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया