‘गुस्ताख़ की सज़ा मौत है दुनिया को बता दो’: उर्दू गानों में हिन्दुओं के नरसंहार की बातें, उकसाया जाता है गला रेतने को

उर्दू गानों के नाम पर फैलाई जाती है घृणा? (प्रतीकात्मक चित्र)

आजकल सोशल मीडिया साइट्स और वीडियो प्लेटफॉर्म्स पर कई ऐसे गाने अपलोड किए जा रहे हैं, जिनमें हिन्दुओं के नरसनहर की बातें की जा रही हैं और गैर-मुस्लिमों को काफिर बताते हुए ‘ईशनिंदा’ करने वालों के गला रेतने को ही भड़काया जाता है। कई वर्षों से सिर्फ ऑडियो ही नहीं, बल्कि इस तरह के वीडियोज भी सर्कुलेट होते रहे हैं। भीड़ द्वारा हिन्दुओं की हत्याओं को भी इन गानों में जायज ठहराया जाता है। हमने ऐसे ही कुछ गानों की पड़ताल की जो ऊपर-ऊपर से तो अच्छे लगते हैं, लेकिन उनके द्वारा कुछ और ही संदेश देने की कोशिश होती है।

इन्हें काफी आकर्षक बैकग्राउंड संगीत के साथ सजाया जाता है और लाखों लोग इन्हें देखते हैं, लेकिन इनका उद्देश्य कुछ और ही होता है।

पाकिस्तान के सैयद आफ़ताब अली चिश्ती का ‘खैर नहीं है’ गाना

इस गाने की जैसे ही शुरुआत होती है, जिसमें एक काफी गहरे भाव वाले मुस्लिम को दिखाया गया है। वो व्यक्ति अल्लाह की प्रशंसा करता है और बताता है कि किस तरह लोग अल्लाह के लिए अपनी जान तक न्योछावर करने के लिए तैयार हैं। साथ ही वो जोड़ता है कि लोग अल्लाह के लिए अपने जीवन तक को भूल जाते हैं और परिवार और बच्चों को भूल जाते हैं लेकिन अल्लाह को नहीं भूल पाते। इसके बाद एक अन्य व्यक्ति स्क्रीन पर आता है और गाना शुरू करता है।

इसका लिरिक्स ही भड़काऊ नारे ‘गुस्ताख़-ए-नबी की एक सज़ा, सर तन से जुदा’ से शुरू होता है। फिर वो कहता है, ‘गुस्ताख़ के सर काट के रहेंगे मुसलमान’। इसका मतलब वो धमकी दे रहा है कि किसी ने अल्लाह या इस्लाम को लेकर कुछ कहा तो उसकी हत्या कर दी जाएगी। इसके बाद फिर वो बताता है कि अल्लाह का अपमान करने वालों को किस तरह से मारा जाएगा, “सरकार की तौहीन अगर कोई करेगा, हम उसके शब-ओ-रोज बना डालेंगे ज़िंदा।”

इसमें वो बता रहा है कि किस तरह अल्लाह का अपमान करने वालों को ज़िंदा जला दिया जाएगा। हाल ही में पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में एक श्रीलांकाई नागरिक को पीट-पीट कर अधमरा कर दिया गया और फिर जला दिया गया। उस पर ‘हुसैन’ लिखा कागज़ फाड़ कर डस्टबिन में फेंकने का आरोप लगाया गया। उक्त व्यक्ति धमकाता है कि ‘ईशनिंदा’ करने वाला समय से पहले मरेगा, मतलब उसकी हत्या कर दी जाएगी। ‘ईशनिंदा’ यहाँ सिर्फ अल्लाह ही नहीं, बल्कि नबी और अन्य पैग़म्बरों से भी जुड़ा हुआ है।

इस गाने में भी ‘ईशनिंदा’ करने वालों को घेर कर ‘दंड देने’ की बात की जाती है। इस्लाम में मानना है कि इस तरह की चीजें करने वाले ‘काफिर’ होते हैं, जो अल्लाह में विश्वास नहीं रखते।

हाफिज ताहिर कादरी का ‘आका का वफादार’

इस गाने की शुरुआत गायक अपने-आप को ‘आका का वफादार’ बताते हुए करता है। इसमें वो कहता है कि उसके ‘आका’ के प्रति जो वफादार है, वो उसके लिए मरने के लिए भी तैयार हैं। वो कहता है, “सरकार का दुश्मन कोई ज़िंदा ना रहेगा, मौला की कसम कोई बड़ी ज़िल्लत से मरेगा।”

फिर वो कहता है, “गुस्ताख़ का जीना हमें बर्दाश्त नहीं है, इक पल भी रहे ज़िंदा हमें बर्दाश्त नहीं है”। वो स्पष्ट कह रहा है कि ‘आका’ को कुछ बुरा कहने वाले को जीवित रहने का हक़ नहीं है। इसी तरह पैगम्बर का अपमान करने वालों की भी मौत की वो बात करता है।

अडोनी राजा द्वारा ‘गुस्ताख़-ए-नबी की एक सज़ा’

इस गाने को आम ‘जेम’ भी कह लीजिए, जो भारत में ही बनाया गया है। ‘अडोनी राजा’ नाम के ये चैनल को हैदराबाद का अब्दुल मुस्तफा राजवी अडोनी चलाता है। नीदरलैंड्स (हॉलैंड) में 2018 में पैगम्बर मुहम्मद के कार्टून्स के लिए एक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था, जिसके बाद ये गाना अस्तित्व में आया। वहाँ के एक वामपंथी सांसद द्वारा आयोजित किए गए इस कार्यक्रम की दुनिया भर में आलोचना हुई थी। ये गाना भी ‘गुस्ताख़-ए-नबी की एक सज़ा, सर तन से जुदा’ वाले भड़काऊ नारे को आगे बढ़ाता है।

इसमें उन मुस्लिमों की आलोचना की गई है, जिन्होंने हॉलैंड की इस घटना को लेकर कुछ नहीं किया। इसमें मुस्लिमों को दुनिया के सामने आकर ये कहने को कहा जाता है कि नबी को बदनाम करने वालों को वो मार डालेंगे। इसमें वो कहता है, ‘”मालिक ने हमें ललकारा है जागो मुसलमानों, गुस्ताख़ की सज़ा मौत है दुनिया को बता दो।” इसमें हिन्दुओं को भला-बुरा कहते हुए उनके खिलाफ भी विद्रोह की बात की गई है। कहा गया है, “इस नाम की शमाँ तू दिल में जला दे, खाके बनाने वालों को तू खाक बना दे।”

हॉलैंड जैसे देशों को दुनिया के नक़्शे से मिटा देने की बात भी की गई है। साथ ही हॉलैंड के राजदूतों पर हमले करने के लिए भी भड़काया गया है। इस पंक्ति पर ध्यान दीजिए, “इस देश में हॉलैंड के सफीर का क्या काम, हॉलैंड की एम्बेसी को ताले लगा दें।”

इस्लामी भीड़ भी इन्हीं नारों का करती है इस्तेमाल

अक्सर देखा गया है कि इस्लामी और दंगाई भीड़ ने इसी तरह के नारों का इस्तेमाल किया। ये सिर्फ गानों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि सड़क पर निकलने वाली इस्लामी भीड़ भी इसी तरह के नारे लगाती है। अप्रैल 2021 में गाजियाबाद के डासना स्थित शिव-शक्ति धाम के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती की हत्या के लिए लोगों को उकसाते समय भी इसी तरह की नारेबाजी की गई थी।

इसी तरह 7 दिसंबर, 2021 को मेजर गौरव आर्या ने एक वीडियो शेयर किया, जिसमें एक बुर्का वाली महिला को स्कूली छात्राओं को गला काटने का तरीका सिखाते हुए देखा जा सकता है। इसमें भी बैकग्राउंड में ‘सर तन से जुदा’ वाला गाना बजते रहता है और लड़कियाँ ‘नारा-ए-तकबीर’ चिल्लाती रहती हैं। वीडियो में लड़कियाँ फ़्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों के खिलाफ नारेबाजी करती भी दिखती है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया