राम मंदिर पर नवंबर तक फैसला संभव, अब सुप्रीम कोर्ट में हफ्ते के पॉंचों दिन सुनवाई

राम मंदिर पर नवंबर तक आ सकता है फैसला

अयोध्या मामले में पिछले तीन दिनों से सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट (SC) ने फैसला लिया है कि संविधान पीठ अब से इस मामले की सप्ताह के पाँचो दिन सुनवाई करेगी। आमतौर पर संविधान पीठ सिर्फ़ तीन (मंगलवार, बुधवार और गुरुवार) दिन मामले की सुनवाई करती है। लेकिन, इस मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने परंपरा से हटते हुए यह फैसला लिया है। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही कि 17 नवंबर को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के रिटायर होने से पहले इस मामले में फैसला आ सकता है।

इससे पहले चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पाँच सदस्यीय संविधान पीठ ने राम लला विराजमान की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता के. परासरन से जानना चाहा कि इस मामले में एक पक्षकार के रूप में क्या ‘राम जन्मस्थान’ कोई वाद दायर कर सकता है। पीठ ने जानना चाहा, “क्या जन्म स्थान को कानूनी व्यक्ति माना जा सकता है। जहां तक देवताओं का संबंध है तो उन्हें कानूनी व्यक्ति माना गया था।”

पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एसए बोबडे, न्यायमूर्ति धनंजय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं। पीठ के सवाल के जवाब में परासरन ने कहा, “हिन्दू धर्म में किसी स्थान को उपासना के लिए पवित्र स्थल मानने के लिए वहॉं मूर्तियों का होना जरूरी नहीं है। नदी और सूर्य की भी पूजा होती है और जन्म स्थान को भी कानूनी व्यक्ति माना जा सकता है।”

इस दौरान जस्टिस बोबडे ने उत्तराखंड के हालिया फैसले का हवाला दिया उत्तराखंड उच्च न्यायालय के एक फैसले का भी जिक्र किया जिसमे पवित्र गंगा नदी को एक कानूनी व्यक्ति माना गया है जो मुकदमे को आगे बढ़ाने की हकदार है।

उल्लेखनीय है कि इस मामले में कि निर्मोही अखाड़ा की ओर से सुशील जैन ने सुनवाई के दूसरे दिन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पाँच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सामने बड़ी रोचक दलीलें रखी थी। सुनवाई के दूसरे दिन सर्वोच्च न्यायालय ने जब निर्मोही अखाड़ा से अयोध्या में रामजन्मभूमि पर कब्जे के सबूत माँगे तो इस पर हिंदू परिवार ने दावा किया कि उसने 1982 में की एक डकैती में पैसों के साथ उन रिकॉर्डों को खो दिया है। अब उनके पास काेई रिकाॅर्ड नहीं है।

इसके बाद जब मुख्य न्यायाधीश गोगोई ने फिर पूछा कि अगर आपके पास इस मुद्दे से जुड़े कोई दूसरे सबूत हैं तो वे पेश करें। इस पर निर्मोही अखाड़ा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सुशील जैन ने कहा कि राम जन्मभूमि देवताओं की भूमि बन गई है। यह स्थान हिंदुओं के लिए पूजा स्थल बन गया है। इसके साथ ही कहा कि वाल्मीकि रामायण में तीन स्थानों पर उल्लेख है कि भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था। 

सुशील कुमार जैन ने सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि पूजा और प्रार्थना में बाधा ने उन्हें सिविल सूट दायर करने के लिए मजबूर किया। यह मालिकाना हक नहीं बल्कि कब्जे की लड़ाई है। 

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया