वेब सीरीज ‘तांडव’ के निर्माताओं को बुधवार (जनवरी 27, 2021) को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिल पाई है। सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि इस राहत के लिए हाईकोर्ट का रुख कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि ऐसी स्क्रिप्ट नहीं लिखनी चाहिए, जिससे भावनाएँ आहत हों। उन्होंने कहा, “आप धार्मिक भावनाओं को आहत नहीं कर सकते।”
https://twitter.com/LiveLawIndia/status/1354359962894385160?ref_src=twsrc%5Etfwकोर्ट ने यह भी कहा है कि संविधान में दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता असीमित नहीं है। वहीं वेब सीरीज तांडव के निर्माता, लेखक और अभिनेता के खिलाफ देश भर में दर्ज मामलों को आपस में जोड़ने पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया।
मामले पर अगली सुनवाई 4 हफ्ते बाद होगी। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को अमेजन प्राइम की तांडव वेब सीरीज के अभिनेताओं और निमार्ताओं के खिलाफ एफआईआर पर रोक की माँग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता निरपेक्ष नहीं है।
https://twitter.com/ANI/status/1354359728734785537?ref_src=twsrc%5Etfwयाचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ वकील फली एस नरीमन, मुकुल रोहतगी और सिद्धार्थ लूथरा ने तर्क रखते हुए कोर्ट के समक्ष अर्णब गोस्वामी के केस का उदाहरण दिया। लूथरा ने कोर्ट से कहा कि सीरीज के डायरेक्टर का शोषण किया जा रहा है और क्या इस तरह देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा होगी। इसके जवाब में बेंच ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता असीमित नहीं है और कुछ मामलों में इसे प्रतिबंधित भी किया जा सकता है।
फली एस नरीमन ने अपना तर्क रखते हुए कहा कि डायरेक्टर ने बिना शर्त लिखित माफी माँगी है और विवादित दृश्यों को हटा दिया है, उसके बावजूद 6 राज्यों में उनके खिलाफ कई एफआईआर दर्ज की गई हैं। इसके जवाब में जस्टिस भूषण ने कहा, “अगर आप एफआईआर को खारिज करना चाहते हैं तो राज्यों के हाई कोर्ट क्यों नहीं जाते हैं।”
दरअसल, सीरीज के निर्माता हिमांशु मेहरा, अभिनेता मोहम्मद जीशान अयूब और एमेजॉन प्राइम वीडियो इंडिया की हेड अपर्णा पुरोहित ने उनके खिलाफ देश के अलग-अलग राज्यों में दर्ज एफआईआर को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट आज उनकी इस याचिका पर ही सुनवाई हुई।
तांडव की टीम ने जो याचिका दायर की थी, उसमें कहा गया था कि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में जो एफआईआर दर्ज हुईं हैं, उन्हें रद्द किया जाए। बता दें कि लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में वेब सीरीज ‘तांडव के निर्माता-निर्देशक, लेखक और अन्य लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। जिसके बाद यूपी पुलिस ने एक्शन लिया। यूपी पुलिस मामले की जाँच के लिए मुंबई पहुँची थी और निर्देशक का बयान दर्ज किया था।
दर्शकों की भावना को ठेस पहुँची
सीरीज को लेकर आरोप लगे हैं कि फिल्म में कुछ ऐसे सीन दिखाए गए हैं, जिससे दर्शकों की भावना को ठेस पहुँची है। वहीं मध्य प्रदेश पुलिस ने एमेजॉन प्राइम वेब सीरीज ‘तांडव’ के निर्माताओं के खिलाफ जबलपुर और ग्वालियर में दो प्राथमिकी दर्ज की हैं।
इन दोनों एफआईआर को भी सीरीज की टीम ने रद्द करने की माँग अपनी याचिका में की है। ‘तांडव’ के निर्देशक द्वारा माफी माँगने के बावजूद भी इस पर मचा बवाल कम नहीं हुआ था। लोगों ने सीरीज को बैन करने तक की माँग की है। सीरीज को लेकर लोगों में भारी आक्रोश देखने को मिला।
तांडव का क्यों विरोध?
दरअसल, सीरीज में मोहम्मद जीशान अयूब को भगवान शिव के रूप में एक नाटक करते हुए दिखाया गया है। यह सीन एक कॉलेज के कैंपस में थिएटर फेस्टिव के तौर पर फिल्माया गया है। जीशान का सीरीज में शिवा नामक युवक का किरदार है।
थिएटर फेस्टिव में एक एक्टर कहता है, “भोलेनाथ प्रभु ईश्वर, ये राम जी के फॉलोअर्स दिन-पर-दिन सोशल मीडिया पर बढ़ते ही जा रहे हैं। लगता है हमें भी कोई नई सोशल मीडिया स्ट्रैटजी बना लेनी चाहिए।” इस पर शिव कहता है, “क्या करूँ, नई फोटो लगाऊँ।”
एक्टर कहता है, “भोलेनाथ, आप बहुत ही भोले हैं, कुछ नया कीजिए बल्कि कुछ नया ट्वीट कीजिए, कुछ सेंसेशनल, कोई भड़कता हुआ शोला, जैसे कि कैंपस के सारे विद्यार्थी देशद्रोही हो गए, आजादी-आजादी के नारे लगा रहे हैं।” इसके बाद शिव कहता है, “आजादी…व्हाट द …। (बीप) जब मैं सोने गया था तब तक तो आजादी कूल चीज हुआ करती थी। अब बुरी हो गई क्या। फिर स्टूडेंट्स की ओर देखते हुए पूछते हैं, “हाँ भई किस चीज से आजादी चाहिए तुम लोगों को।”