पारसी लड़कियों को कहा ‘वेश्या’, बच्चियों के Boobs पर बातें, बच्चों के रेप को बढ़ावा: हिंदूफोबिक ही नहीं, कामांध भी है तन्मय भट्ट

बच्चों को लेकर अश्लीलता फैलाने वाले कॉमेडियन तन्मय भट्ट को 'कोटक महिंद्रा बैंक' ने विरोध के बाद विज्ञापन से निकाला (फाइल फोटो)

हमारे देश में बच्चों के हितों की देखभाल के लिए, या यूँ कहें कि उनके साथ होने वाले अपराधों के मामले में न्याय सुनिश्चित करने के लिए और अनाथों के रहन-सहन की व्यवस्था सुनिश्चित कराने के लिए ‘केंद्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR)’ नामक एक संस्था काम करती है। उसी देश में अगर कोई कॉमेडियन बच्चियों के बलात्कार की बात करे और बच्चों को लेक अश्लीलता फैलाए, क्या इसे बर्दाश्त किया जा सकता है?

खुद को कॉमेडियन बताने वाला तन्मय भट्ट, जो गालीबाजों के समूह ‘ऑल इंडिया बकचोद (AIB)’ का हिस्सा भी रहा है, उसे हाल ही में ‘कोटक महिंद्रा बैंक’ के एक विज्ञापन में देखा गया। जिस देश में कई खेल खेले जाते हों और फ़िल्में/वेब सीरीज बनते हों, महिलाओं से लेकर पुरुषों तक ने मनोरंजन से लेकर खेल तक के क्षेत्र में झंडा फहरा कर सेलेब्रिटी का स्टेटस हासिल किया हो, वहाँ ‘Child Rape’ को बढ़ावा देने वाला एक व्यक्ति ही ब्रांड एम्बेसडर के रूप में मिलता है?

इतना ही नहीं, इन सबके बावजूद कुछ ऐसे लोग भी हैं जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हिन्दू धर्म के अंध-विरोध में पागल होकर उसका समर्थन भी करते हैं। ऐसा ही एक नाम कुणाल कामरा का है, जो उलटी-सीधी कॉमेडी के नाम पर सुप्रीम कोर्ट का मजाक उड़ाता है और विमान में बदतमीजी करता है। उसने तन्मय भट्ट का समर्थन किया। लेकिन, चूँकि ये लोग लिबरल गिरोह के हैं – ये बच्चियों के बलात्कार को बढ़ावा दें फिर भी क्षम्य है।

इस देश में तो ऐसा ही चल रहा है। तन्मय भट्ट ने हिन्दू धर्म को गाली दी, उस संबंध में तो चर्चा हो रही है लेकिन ‘Child Abuse’ पर उसने जो-जो कहा था, उसे छिपाने में मीडिया का भी अच्छा-खासा योगदान है। तन्मय भट्ट की सोच का नमूना उसके इस ट्वीट में देखिए, जो उसने 23 मई, 2012 को किया था, “आपको कैसे पता है कि बच्चों को बलात्कार पसंद नहीं है?” आप खुद विचार कीजिए, ‘बच्चों के बलात्कार’ की बात करने वाला व्यक्ति कितना घिनौना हो सकता है।

उसका एक और ट्वीट देखिए, “अभी-अभी मैंने सुना है कि पारसी समुदाय को 2015 में जनजातीय समाज का दर्जा मिल जाएगा। मुझे लगता है कि ये सही समय है जब पारसी लड़कियों को वेश्याओं की तरफ व्यवहार करना चाहिए और थोड़ा ज़्यादा Fuck करना चाहिए।” सोचिए, ये व्यक्ति एक अल्पसंख्यक समाज की बच्चियों के लिए ‘Slut It Up’ और ‘Fuck’ जैसे शब्दों का प्रयोग करता है, लेकिन इस पर कोई Outrage नहीं होता।

वामपंथी गिरोह भी शांत रहता है। इतना ही नहीं, तन्मय भट्ट का ये ट्वीट भी देखिए, “जब भी मैं लड़कियों के बचपन की नंगी तस्वीरें देखता हूँ तो मुझे वास्तव में ये बड़ा अजीब लगता है। मेरे मन में ये चलता है कि हाहा, मैंने तुम्हारे बूब्स देख लिए। हाहा।” यानी, इसने खुलेआम बच्चियों के प्राइवेट पार्ट्स को लेकर अश्लील बातें की हैं। तब भी इसके कारनामे वामपंथी-लिबरल-सेक्युलर गैंग के लिए जायज हैं। क्या ये कॉमेडी है? क्या इसे चुटकुलों की श्रेणी में डाला जा सकता है?

इतना ही नहीं, तन्मय भट्ट ‘Me Too’ का भी आरोपित है। महिमा कुकरेजा ने जब तन्मय के साथी उत्सव चक्रवर्ती के के खिलाफ ‘Me Too’ के आरोप लगाए थे, तब ये भी सामने आया था कि तन्मय भट्ट को अपने साथी द्वारा शोषण और यौन छेड़छाड़ के बारे में मालूम था, लेकिन उसने अपने साथी का समर्थन करना पसंद किया। AIB के टूटने के बाद उसने खुद के अवसाद में जाने की बात कर के ‘विक्टिम कार्ड’ खेला, जिसके बाद कॉमेडियन अदिति मित्तल ने उसे लताड़ा था

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया