भारत में दूसरी लहर नहीं आने की भविष्यवाणी करने वाले वायरोलॉजिस्ट शाहिद जमील ने सरकारी पैनल से दिया इस्तीफा

वायरोलॉजिस्ट शाहिद जमील (साभार: Times of India)

वरिष्ठ वायरोलॉजिस्ट शाहिद जमील ने भारत में कोविड-19 के प्रकोप की गंभीरता की भविष्यवाणी करने में विफल रहने के बाद भारतीय SARS-CoV-2 जीनोम सीक्वेंसिंग कंसोर्टिया (INSACOG) के वैज्ञानिक सलाहकार समूह के अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया

बता दें कि INSACOG का वैज्ञानिक सलाहकार समूह, पिछले साल केंद्र सरकार द्वारा देश में COVID-19 महामारी विज्ञान निगरानी के लिए स्थापित किया गया था। समूह के तहत, भारत में COVID-19 के प्रचलित स्ट्रेनों का अध्ययन करने के लिए राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र के तत्वाधान में 10 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं को एक साथ लाया गया था।

यह कदम तब सामने आया है, जब भारत विनाशकारी कोरोना वायरस महामारी से बुरी तरह जूझ रहा है। कोरोना के नए वैरिएंट सामने आ रहे हैं। अस्पताल मरीजों से भरा हुआ है। बीमार लोगों को इलाज के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जमील और उनके नेतृत्व वाला समूह सक्रिय कोरोना वायरस स्ट्रेनों के देश भर में फैलने के बाद भी पता नहीं लगा पाया, जिसकी वजह से कोरोना वायरस का यह प्रकोप फिर से सामने आया।

विशेषज्ञों का दावा है कि भारत का कोरोना वायरस संकट B.1.617 स्ट्रेन और B.1.17 स्ट्रेन के मिश्रण से हुआ है, जिसे यूके स्ट्रेन के रूप में जाना जाता है। जीनोम मैपिंग समूह के रूप में, INSACOG देश में फैल रहे स्ट्रेन पर नजर रखने के लिए जिम्मेदार था। हालाँकि, देश भर में कोरोना वायरस के मामलों में वृद्धि के साथ, जमील के नेतृत्व वाला समूह, प्रकोप की गंभीरता की भविष्यवाणी करने के अपने प्रयास में स्पष्ट रूप से विफल रहा।

जमील ने अपनी विफलता के लिए केंद्र को दोषी ठहराया

हाल ही में, जमील ने केंद्र सरकार पर कोरोना वायरस प्रकोप की गंभीरता की पहचान करने में अपनी विफलता के दोष को हटाने की कोशिश की। केंद्र द्वारा उन्हें दी गए काम में गड़बड़ी करने के बाद, उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स में एक लेख लिखा, जिसमें उन्होंने कहा कि भारत में वैज्ञानिक ‘साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण के लिए सख्त प्रतिक्रिया’ का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने लिखा, “डेटा के आधार पर निर्णय लेना फिलहाल एक और आपदा है, क्योंकि भारत में महामारी नियंत्रण से बाहर हो गई है।” 

साभार: न्यूयॉर्क टाइम्स

अपने लेख में, जमील, जो वर्तमान में अशोका विश्वविद्यालय में त्रिवेदी स्कूल ऑफ बायोसाइंसेज के निदेशक हैं, ने सुझाव दिया कि उन्हें केंद्र सरकार को INSACOG के वैज्ञानिक सलाहकार समूह के प्रमुख के रूप में प्रस्तावित करना चाहिए था। उन्होंने टेस्टिंग और आइसोलेशन को बढ़ाने, अधिक अस्थायी सुविधाओं का निर्माण करके अस्पताल के बिस्तरों को बढ़ाने, सेवानिवृत्त डॉक्टरों और नर्सों को शामिल करने और महत्वपूर्ण दवाओं एवं ऑक्सीजन की आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया।

वायरोलॉजिस्ट ने टीकाकरण की गति बढ़ाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत को अपने टीकाकरण अभियान को बढ़ाना चाहिए, जिसका लक्ष्य हर दिन 7.5 मिलियन से 10 मिलियन खुराक का टीकाकरण होना चाहिए। इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए उन्होंने केंद्र को वैक्सीन की आपूर्ति बढ़ाने और डिलीवरी प्वाइंट को दोगुना करने का सुझाव दिया था। जमील ने टीकाकरण की पहुँच बढ़ाने के लिए निजी क्षेत्र को शामिल करने का भी प्रस्ताव रखा।

हालाँकि ये सभी सिफारिशें सीधे तौर पर केंद्र से करना चाहिए था न कि किसी विदेशी मीडिया आउटलेट में प्रकाशित कॉलम में। यह ध्यान देने योग्य है कि जमील ने पहले देश के सामने आने वाले कोरोना वायरस खतरे को कम बताया था और COVID-19 के प्रकोप को समाप्त घोषित कर दिया था।

जमील ने पहले कोरोना वायरस के प्रकोप की दूसरी लहर की संभावना को खारिज कर दिया था

जनवरी 2021 में एक इंटरव्यू में, जमील ने देश में कोरोना वायरस की स्थिति के बारे में बोलते हुए कहा था कि वह मोटे तौर पर इस बात से सहमत हैं कि देश के लिए सबसे बुरा समय खत्म हो गया है। जमील ने साक्षात्कार में कहा था, “सबसे बुरा दौर खत्म हो सकता है लेकिन हम निश्चित रूप से इससे बाहर नहीं निकले हैं। मेरी सलाह होगी कि लोग सावधानी बरतते रहें।”

यह पूछे जाने पर कि क्या भारत में कोरोना वायरस के प्रकोप की दूसरी लहर होगी, जमील ने नकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें नहीं लगता कि देश कोरोना वायरस प्रकोप की दूसरी लहर का सामना करेगा। जमील ने कहा, “भारत की पहली लहर काफी व्यापक थी। पीक बहुत तेज नहीं थी। नतीजतन, मुझे लगता है कि भारत में दूसरी लहर नहीं हो सकती है।” उन्होंने अनुमान लगाया कि भारत में लगभग 300-400 मिलियन लोग पहले ही संक्रमित हो चुके हैं इसलिए देश कोरोना वायरस की दूसरी लहर के संकट से बच जाएगा।

Source: Health Analytics Asia

इतना ही नहीं, वायरोलॉजिस्ट ने सीरम इंस्टीट्यूट के कोविशील्ड और भारत बायोटेक के कोवैक्सिन को मिली आपात मंजूरी पर भी सवाल उठाए थे। उन्होंने दोनों टीकों के परीक्षण डेटा पर संदेह व्यक्त किया था। कोविशील्ड के बारे में, जमील ने कहा था कि वैक्सीन ने ब्राजील और यूके में किए गए ट्रायल से परस्पर विरोधी प्रभावकारिता डेटा दिया। भारत बायोटेक के कोवैक्सिन के संबंध में वायरोलॉजिस्ट ने कहा कि इसकी प्रभावकारिता के बारे में डेटा उपलब्ध नहीं था।

Source: Health Analytics Asia

ऐसे समय में जब जीनोम मैपिंग समूह को देश में सक्रिय विभिन्न स्ट्रेनों और प्रकोप की दूसरी लहर पैदा करने के लिए उनके संभावित विषाणु को ट्रैक करने का प्रयास करना चाहिए था, सलाहकार समूह के प्रमुख शाहिद जमील वैज्ञानिक समुदाय और जनता को गलत संदेश बेजने में व्यस्त थे कि भारत में कोरोना वायरस प्रकोप का एक और लहर नहीं आएगा।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया