कॉलेज में घुसे मुस्लिम लड़के, देवी सरस्वती को दी गाली, 19 साल के विशाल की निर्मम हत्या: ABVP कार्यकर्ता की 9वीं बरसी

एबीवीपी के विशाल कुमार की बेरहमी से कर दी गई थी हत्या ( साभार : ट्विटर)

केरल में 17 जुलाई 2012 को विशाल कुमार नाम के एबीवीपी कार्यकर्ता की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। इस हत्या में कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) के गुंडे शामिल थे। विशाल उन तीन कार्यकर्ताओं में से एक था जो इनके हमले में घायल हुए थे। हमला उस वक्त हुआ जब एबीवीपी कार्यकर्ता अलापुझा जिले के चेंगन्नूर क्रिस्चियन कॉलेज में प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों का स्वागत कर रहे थे।

रिपोर्ट के अनुसार, एबीवीपी कार्यकर्ता स्वागत समारोह में व्यस्त थे। उसी दौरान बाहर के कुछ मुस्लिम युवक कॉलेज में घुसे। वे लोग एबीवीपी और देवी सरस्वती को गाली दे रहे थे। इसका विरोध विशाल और उसके अन्य साथियों ने किया। इसके साथ ही विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने उन्हें वहाँ से जाने के लिए भी कहा। इसके बाद अचानक से मुस्लिम समूह ने उन पर चाकू, खंजर और अन्य हथियारों से हमला कर दिया था।

पुलिस ने बाद में हत्या के मामले में अंसार फैजल, कैम्पस फ्रंट कॉलेज इकाई के सचिव नजीम और पॉपुलर फ्रंट के समर्थक शफीक को गिरफ्तार किया था। रिपोर्ट के अनुसार, पाँच साल बाद इस मामले में एक आरोप-पत्र दायर किया गया था। इसमें इस घटना में 20 लोगों के शामिल होने जिक्र किया गया था।

चार्जशीट के अनुसार, मुख्य आरोपी नसीम, ​​अंसार फैसल, शेफिक, आसिफ मोहम्मद, शमीर रोथर एमएस, शमीर रोथर, अफजल, अल्ताज और शिबिन हबीब थे। हत्या के दो हफ्ते बाद एबीवीपी के स्टेट सेक्रेटरी एम अनीश बताया था कि, विशाल की हत्या के पीछे आतंकवादी तत्वों का हाथ था। इस वजह से लोकल पुलिस सच्चाई सामने नहीं ला सकती। अलग इन्वेस्टिगेशन टीम ही केवल इसकी सच्चाई सामने ला सकती है।

लोगों का मानना है कि विशाल कुमार को उस वक्त इसलिए निशाना बनाया गया था क्योंकि उन्होंने संघ के नेटवर्क को क्षेत्र में मजबूत करने के साथ नए शाखाओं की शुरुआत भी की थी। विशाल कुमार का जन्म सऊदी अरब में हुआ था और उन्होंने यूनाइटेड किंगडम में अपनी प्रारंभिक पढ़ाई पूरी की थी। हालाँकि, बड़े होने के बाद उन्होंने अपने माता-पिता से अनुरोध किया था, कि उन्हें भारत रहने और वहीं अपनी शिक्षा जारी रखने की अनुमति दी जाए।

विशाल के भारत आने के अनुरोध को उसके माता-पिता मानने को तैयार नहीं थे। हालाँकि विशाल अपनी बात पर लगातार अड़े हुए थे। वह संघ के माध्यम से देश की सेवा करना चाहते हैं। इसके अलावा वे गरीब घर से आने वाले चार अन्य छात्रों की शिक्षा का भी समर्थन कर रहे थे। उनके परिवार वाले भी उनकी राजनीतिक विचारों को अनोखे तरीके से देखते थे। विशाल ने संघ के प्रति अपने पिता के मन की धरणा को भी बदला था।

कैंपस फ्रंट ऑफ़ इंडिया, एक कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) के छात्रों की शाखा है। इस संगठन के छात्र अक्सर कई अपराधों में लिप्त पाए गए है। एक बार पीएफआई के सदस्यों ने कथित रूप से इस्लामिक पैगंबर मोहम्मद का अपमान करने को लेकर केरल के एक प्रोफेसर के हाथ काट दिए थे।

राष्ट्रीय जाँच एजेंसी ने पीएफआई पर केरल में लव-जिहाद मामलों में शामिल होने का भी आरोप लगाया है। वहीं 2016 में एक अन्य पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के नेता पर बेंगलुरु में आरएसएस कार्यकर्ता रुद्रेश की जघन्य हत्या में शामिल होने का आरोप है। इस तरह के अपराधों के आरोपी होने के अलावा पीएफआई पर इस साल दिल्ली में हुए हिन्दू विरोधी दंगों में शामिल होने का भी संदेह है।

विशाल कुमार उन होनहार छात्रों में से एक था जिसके जीवन को कट्टरपंथी मुस्लिमों ने क्रूरता से खत्म कर दिया। वो भी अब संघ के उन्हीं कार्यकताओं का हिस्सा हो गया है जिसे बेहरमी से वामपंथियों या कट्टरपंथी मुस्लिमों द्वारा अपने राजनीतिक रुझान के कारण केरल में मार दिया गया। आज भी इन हत्याओं का सिलसिला जारी है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया