‘हम दुनिया को क्या संदेश दे रहे, ब्यूरोक्रेसी कहाँ है?’: SC ने दिल्ली प्रदूषण पर फिर ली क्लास, कहा – एक वैज्ञानिक मॉडल तैयार कीजिए

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में प्रदूषण को लेकर कदम उठाने के दिए आदेश (फोटो साभार: PTI)

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (24 नवंबर, 2021) को कहा कि दिल्ली में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उच्च-स्तर के कदम उठाने की आवश्यकता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस जरूरत पर बल दिया कि दिल्ली में विभिन्न मौसमों में प्रदूषण के अलग-अलग स्तरों और हवा के पैटर्न का अध्ययन करते हुए वैज्ञानिक मॉडल पर आधारित कदम उठाए जाएँ। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हवा की गुणवत्ता बेहद खराब होने पर आपात स्थिति में फैसले लेने से अच्छा है कि स्थायी समाधान पर कार्य किया जाए।

CJI एनवी रमणा, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने दिल्ली में प्रदूषण के स्तर को देखते हुए आपात स्थिति में उठाए जाने वाले कदमों को लेकर एक याचिका की सुनवाई कर रही थी। इसी दौरान आँकड़ों और वैज्ञानिक मॉडल पर आधारित फैसले लेने की सलाह दी गई। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी कि आज सुबह दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स 290 है, जो पिछले सप्ताह के 403 से काफी सुधरा हुआ है।

केंद्र सरकार की तरफ से उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी कि चूँकि अब दिल्ली की हवा की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है, इसीलिए कंस्ट्रक्शन से जुड़ी गतिविधियों पर लगा प्रतिबंध भी 22 नवंबर से हटा दिया गया है। इस दौरान उन्होंने ‘Commission for Air Quality Management in National Capital Region and Adjoining Areas’ द्वारा लिए गए निर्णयों और 21 नवंबर को हुई बैठक की जानकारी दी। इसी बीच जस्टिस चंद्रचूड़ ने उन्हें टोकते हुए कहा कि ये निर्णय तब लिए गए, जब इसकी विशेष ज़रूरत थी।

उन्होंने कहा कि कमीशन को आँकड़ों का अध्ययन कर के एक वैज्ञानिक मॉडल तैयार करना पड़ेगा। अगले 7 दिनों तक के हवा के पैटर्न का अध्ययन करना होगा, ताकि हवा की दिशा को देखते हुए निर्णय लिए जाएँ। उन्होंने कहा कि ये देखना पड़ेगा कि कौन से कदम उठाने की ज़रूरत है और उसका अगले 7 दिनों में क्या असर होगा। उन्होंने कहा कि किसी को तो इसका अध्ययन करना होगा। उन्होंने कहा कि कमीशन कह रहा है कि मौसम खराब होगा तो आपात कदम उठाए जाएँगे, लेकिन उससे अच्छा है कि मौसम का अनुमान लगा कर पहले से कदम उठाए जाएँ।

उन्होंने कहा कि स्थिति खराब होने पर हम कदम उठाना शुरू करते हैं, लेकिन अच्छा है कि उससे पहले ही हम अनुमान लगा कर फैसले लें। उन्होंने कहा कि अनुमान लगाना होगा कि किस मौसम में हवा की दिशा क्या होगी और उस आधार पर तैयार दिल्ली का ‘स्टैटिस्टिकल मॉडल’ तैयार करना होगा। इस पर SG ने कहा, “मैं सिर झुकाता हूँ। हमें इसका इंतजार नहीं करना चाहिए कि चीजें भयवाह हों।” सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये राष्ट्रीय राजधानी है और हम दुनिया को क्या संदेश दे रहे हैं, उस पर ध्यान दीजिए।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “आपको इन गतिविधियों पर पहले से ही लगाम लगानी होगी, ताकि स्थिति भयावह हो ही नहीं। दिल्ली के अलग-अलग मौसमों के लिए अलग-अलग मॉडल की आवश्यकता है। पूरे साल समान मौसम तो रहता नहीं है। प्रदूषण के कारण, हवा की दिशा के अनुमान और मौसम के आधार पर वैज्ञानिक मॉडल तैयार होना चाहिए। पहले से कार्रवाई होनी चाहिए। दिल्ली वाले क्यों ऐसी हवा में साँस लेकर तकलीफ झेलें, जो एकदम खराब या भयवाह हो?”

CJI ने कहा कि हवा की गुणवत्ता में इसीलिए सुधार हुआ है, क्योंकि हवा की गति पिछले कुछ दिनों में कम हुई है। उन्होंने कहा कि काफी उम्मीदें थीं कि सरकार कुछ करेगी, लेकिन अधिकतर चीजें हवा की गति कम होने के कारण हुई है। उन्होंने बताया कि फ़िलहाल AQI 318 है और सुप्रीम कोर्ट इस मामले को ख़त्म न करते हुए इस पर निगरानी रखेगा। उन्होंने कहा कि स्थिति फिर खराब हो सकती है, इसीलिए हमारे दिशानिर्देशों के आधार पर कदम उठाए जाएँ।

उन्होंने कहा कि सोमवार को फिर से सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई करेगा और AQI का स्तर 200 से नीचे आ जाता है तब प्रतिबंधों को हटाया जा सकता है। उन्होंने राज्यों को सलाह दी कि ‘लेबर सेस’ के नाम पर जो हजारों करोड़ उनके पास हैं, उन रुपयों से मजदूरों की मदद की जाए – जब कंस्ट्रक्शन गतिविधियाँ बंद हों। उन्होंने पूछा कि राज्य की ब्यूरोक्रेसी क्या कर रही है? किसानों और वैज्ञानिकों से बात कर के स्थायी समाधान क्यों नहीं निकाला जा रहा? CJI ने कहा कि हम चुनाव नहीं, प्रदूषण की बात कर रहे हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया