देश के सबसे ईमानदार नेता केजरीवाल जी इन दिनों दुविधा के दौर से गुज़र रहे हैं। वो साम-दाम-दंड-भेद की नीति अपनाकर भी लोकसभा चुनाव में खुद को खड़ा नहीं कर पा रहे हैं। कभी देश के लोकतंत्र को बचाने के लिए वो बंगाल जाकर ममता की रैली में शामिल हो रहे हैं, तो कभी खुद ही दिल्ली में रैली निकाल रहे हैं। जिन विपक्षी नेताओं से उनका किसी समय में 36 का आँकड़ा था, उनके गले लगने में भी सीएम साहब को इस समय कोई गुरेज नहीं है।
हाल ही में केजरीवाल साहब विपक्ष की रणनीति के लिए एनसीपी के नेता शरद पवार के घर हुई बैठक में शामिल हुए। उनके साथ इस बैठक में बंगाल सीएम ममता और कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी भी थे।
बुधवार को देर रात हुई इस बैठक के बाद केजरीवाल का बयान आया है कि दिल्ली में गठबंधन को लेकर कॉन्ग्रेस ने लगभग मना कर दिया है। जी हाँ, एक बार फिर से पढ़िए… केजरीवाल ने आज गुरूवार (फरवरी 14, 2019) को मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, “हमारे मन में देश को लेकर बहुत ज्यादा चिंता है, इसी वजह से हम लालायित हैं, उन्होंने (कॉन्ग्रेस) ने लगभग मना कर दिया है।”
यह वचन हैं माननीय दिल्ली सीएम श्री अरविंद केजरीवाल के… देश के प्रति अटूट चिंता दिखाने वाले महानुभाव चाहते हैं कि कॉन्ग्रेस उनके साथ गठबंधन कर ले। ये वही केजरीवाल हैं जो कभी कॉन्ग्रेस को वोट देने का मतलब भाजपा को वोट देना ही कहते थे, और आज भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए कॉन्ग्रेस से गठबंधन करने के लिए लालायित हुए जा रहे हैं। ये उन्हीं केजरीवाल के बोल हैं जिन्होंने कभी कॉन्ग्रेस से सपोर्ट के मुद्दे पर बच्चों की कसम खाते हुए कहा था कि उनसे गठबंधन का सवाल ही नहीं उठता।
https://twitter.com/DrKumarVishwas/status/1095958279694487552?ref_src=twsrc%5Etfwकेजरीवाल के मीडिया में दिए इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर उनका खूब चुटकी ली जा रही है। और, ऐसा हो भी क्यों न, अपने आप को सबसे ईमानदार पार्टी कहने वाले केजरीवाल ने कुछ समय पहले साल 2011 में हुए पीएनबी स्कैम को केंद्र में रखकर कॉन्ग्रेस और भाजपा पर हमला बोला था। उनका कहना था कि जिन घोटालों से आज भाजपा कमा रही है, उनसे कभी कॉन्ग्रेस कमाई करती थी।
https://twitter.com/montugarg1/status/1095746779214155781?ref_src=twsrc%5Etfwसवाल है कि जिस कॉन्ग्रेस की सीएम शीला दीक्षित को भ्रष्टाचार के ख़िलाफ केजरीवाल कभी 370 पेज के सबूत दिखाकर, जेल में भेजने की बात करते थे, उन्हें केजरीवाल ने बीतते समय के साथ कहाँ पर गायब कर दिया? शीला दीक्षित को ‘आप’ ने जेल भेजने का जो वादा किया था उसे लगता है ‘आप’ भूल गए हैं। कोई बात नहीं…लेकिन यह तो नहीं भूलना चाहिए कि जिस कॉन्ग्रेस से समर्थन के लिए लार टपक रही है उसी के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाकर आपने दिल्ली की जनता से वोट माँगा था।
लोकसभा चुनाव में केजरीवाल ने किरण बेदी के चुनाव लड़ने पर दिल्ली के आटो रिक्शा तक पर उन्हें अवसरवादी कहलवा दिया था। लेकिन, इस बार उनका इस तरह से लालायित होना राष्ट्रभक्ति है। क्योंकि उन्हें देश की चिंता खाए जा रही है। देश हित में आज वो कॉन्ग्रेस के साथ क्या सभी विपक्षी नेताओं के साथ जुड़ने को तैयार हैं।
जिन शरद पवार के घर जाकर केजरीवाल मोदी सरकार को सत्ता से हटाने के लिए गठबंधन पर बातचीत करके आए है, उन्हीं शरद पवार से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले पर केजरीवाल दस दिन का अनशन कर चुके हैं। इस पर विधायक कपिल शर्मा ने तंज भी कसा है कि जो करप्शन से लड़ने आया था वो शरद पवार के सोफे पर जाकर पड़ा है। साथ ही कुमार विश्वास ने भी सीएम साहब की इस हरकत पर उन्हें आत्ममुग्ध बौना कहकर बुलाया। क्योंकि शरद पवार ही वो शख्स हैं जिन्होंने लोकपाल बिल का भरी संसद में मज़ाक उड़ाया था।
इतना ही नहीं, साल 2013 में “हैलो, मैं अरविंद केजरीवाल बोल रहा हूँ…फोन मत काटिएगा” का तरीका अपनाकर घर-घर के लोगों के मन में ईमानदार सरकार की आस जगाने वाले सीएम महोदय ने उस दौरान अपने बच्चों की कसमें तक खाई थी कि वो न ही कॉन्ग्रेस को समर्थन देंगे और न उनसे समर्थन लेंगे। लेकिन, नतीजों के कुछ दिन बाद ही ‘सड़जी’ नायक के अनिल कपूर जैसे मुख्यमंत्री पद पर बैठे।
ऐसे ही, समय-समय पर कोर्ट द्वारा अपराधी करार दिए जा चुके लालू जैसे भ्रष्ट नेताओं से गले मिलना भी इनकी ईमानदारी की चमक बढ़ाता रहा है। पहले यही केजरीवाल जी अपने आप को छोड़कर हर किसी को भ्रष्ट मानते थे, वो अब अवसरवाद की राजनीति के कारण स्वयं को शायद गंगा मानकर सबसे गले मिलते जा रहे हैं।
आज केजरीवाल साहिब को भले ही अपने किए कारनामें याद न हों, लेकिन मासूम जनता का ख्याल तो आना ही चाहिए। विपक्षी नेताओं के साथ इस तरह उनकी रणनीति तय करना स्पष्ट करता है कि उनका एजेंडा जन कल्याण नहीं बल्क़ि सिर्फ राजनीति और सत्ता लोलुपता ही रहा है। एक आम आदमी का चोला पहनकर और बड़े-बड़े नेताओं को भ्रष्ट बता कर जो साहब कभी ईमानदार छवि की वजह से मुख्यमंत्री बने थे, उन्होंने आज अपनी गलीच राजनीति के चलते बड़े से बडे़ घाघ राजनेता को भी पीछे छोड़ दिया है।