मुस्लिम असलम का अपराध हिन्दुओं के नाम: आजतक समेत मेन्स्ट्रीम मीडिया ने नाम छुपाया, गलत शब्द लिखे

आजतक, नई दुनिया सहित मीडिया गिरोह ने समुदाय विशेष के अपराधी को बचाने के लिए किया बाबा और भक्त जैसे शब्दों का प्रयोग

मुस्लिमपरस्ती में मीडिया का एक धड़ा इस कदर मदमस्त है कि उसे गलती से कहीं कोई अपराधी मुस्लिम समुदाय का या कई बार ईसाई भी दिख गया तो ये पूरा गिरोह चटपट येन-केन प्रकारेण अर्थात कुछ भी करके पाठकों के सामने ऐसा स्पिन देने की कोशिश में लग जाएगा कि समुदाय विशेष का अपराध भी ढक जाए और कोई निरपराध समुदाय या व्यक्ति खास तौर हिन्दू धर्म प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से सवालों के घेरे में भी आ जाए।

अभी ताजा मामला आजतक द्वारा प्रकाशित एक लेख का है। जिसमें विजुअल और लेख के गड़बड़झाले से असल अपराधी असलम को पूरी तरह से गायब कर लेख में ‘बाबा’ और ‘भक्त’ जैसे शब्दों का जानबूझकर प्रयोग करते हुए पाठकों को बरगलाने और समुदाय विशेष के असलम को बचाने की शातिराना कोशिश की गई है।

क्या है असल में मामला

मध्य प्रदेश के रतलाम के नयापुरा क्षेत्र में झाड़ फूँक और पानी फूँककर इलाज करने वाले असलम की मौत हाल ही में कोरोना से होने के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया है। क्योंकि जब प्रशासन ने असलम के संपर्क में आए लोगों की लिस्ट निकाली तो वो काफी लंबी-चौड़ी निकली। इसके बाद उन लोगों का सैंपल लिया गया, जिसमें से 19 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं।

लेकिन, जब मीडिया में इस न्यूज़ की रिपोर्टिंग हुई तो पूरा गिरोह असलम को बाबा, भक्त, भगवा को आगे कर बचाने की हड़बड़ी में लग गया। इन्हीं 19 कोरोना पॉजिटिव लोगों को आजतक ने ‘भक्त’ और झाड़फूँक कर इलाज का ढोंग करने वाले असलम को ‘बाबा’ लिखा है।

मीडिया गिरोह का हिन्दूफ़ोबिक प्रपंच

इस तरह से स्पिन देने के मामले में वैसे ‘आजतक’ अकेला नहीं है, ‘नई दुनिया’ से लेकर ज़्यादातर वामपंथी धड़े के मीडिया समूह सालों से खुला-खेल फर्रुखाबादी की तरह अक्सर मुस्लिम आलिम, मौलवी, मुल्ला या किसी झाड़फूँक करने वाले फकीर या ढोंगी को ये बाबा, तांत्रिक, साधु आदि नामों और भगवा, त्रिशूल, त्रिपुण्ड के विजुअल में छिपाते आए हैं।

बहुत ही बारीकी से कभी प्रतीकात्मक तस्वीर के नाम पर तो कभी सीधे खुल्ले में खेलते हैं कि कौन सी जनता जा रही है तहकीकात करने? अगर बाद में पता भी चला तो क्या हो जाएगा? क्योंकि आजतक कभी इन्हें अपनी इन हरकतों पर कोई बड़ा आउटरेज नहीं झेलना पड़ा।

https://twitter.com/erbmjha/status/1271030931034214400?ref_src=twsrc%5Etfw

इस तरह से फेक न्यूज़ के माध्यम से ही सही लेकिन समुदाय विशेष के शातिर मुस्लिम अपराधी को बचाने और बेहद सहिष्णु समुदाय अर्थात हिन्दुओं और उनके धार्मिक प्रतीकों को बदनाम करने का उनका मकसद लम्बे समय से पूरा होता आया है।

यहाँ एक बात विचारणीय है कि सोशल मीडिया के दौर में जब पब्लिक ही इन मीडिया गिरोहों के झूठ को पकड़ के इन्हें लताड़ती है तो भी ये पूरा वामपंथी इकोसिस्टम और मीडिया गिरोह उस सच्चाई उजागर करने वाले को ही हेट फ़ैलाने वाला कहकर अपने अपराधों और झूठ से पल्ला झाड़ती नजर आती है। बेनकाब होकर भी अपने किए की न कभी माँगते है और न ही इन्हें कोई अफ़सोस होता है।

गौरतलब है कि नई दुनिया समेत कई अन्य मीडिया पोर्टल ने भी इसी तरह से एक बार फिर से असलम के आगे ‘बाबा’ लगाकर इसे हिंदू स्पिन देने की कोशिश की। वैसे ये पहला मामला नहीं है, जब किसी अखबार ने ऐसा करने की कोशिश की हो।

इससे पहले भी आरोपित ‘मुस्लिमों’ की न केवल पहचान छिपाई गई, बल्कि इस चक्कर में हिंदुओं को बदनाम करने के लिए कई अन्य युक्तियाँ भी प्रयोग में लाई गई। जैसे हाल ही में रेप आरोपित एक और मुस्लिम आलिम असलम फैजी को ‘तांत्रिक’ बताया गया था और साथ ही जादू-टोना करने वाले मौलवी की जगह एक पुजारी का स्केच लगा दिया गया था।

मीडिया गिरोह के लोग शायद अभी भी चेत नहीं रहे हैं। नहीं तो ऐसी गलती जानबूझकर बार-बार नहीं दोहराते। वो भी तब जब इन्हें पता है कि कोई भी दो चार कीवर्ड टाइप कर तुरंत ही उनकी पोल खोल देगा।

संभवतः मेरी समझ समझ से ऐसा करने का सबसे बड़ा कारण यही है कि इन मीडिया गिरोहों को पता है कि उनका एक फिक्स पाठक या दर्शक वर्ग है। जो ऐसी स्पिन दी हुई चीजों को हाथों-हाथ लपककर उन्हें वायरल कराता है जिससे इनके अतिप्रिय समुदाय विशेष के तमगे में उसके शांतिप्रिय होने का भाव तो जो बेकसूर है हिन्दू समुदाय उसके प्रतीकों और नामों के प्रति लोगों के अंदर घृणा और दुर्भावना फैलती है। और ऐसा करना ही इनका असल मकसद है।

असलम के असल कारनामें

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक असलम खुद कोरोना पॉजिटिव पाया गया था वह लोगों का हाथचूमकर, झाड़फूँक कर, या पानी फूँककर देकर इलाज करता था। इस वजह से तबलीगी जमात की ही तरह उसके संपर्क में आने वाले लोगों के कोरोना पॉजिटिव आने का मामला लगातार बढ़ता जा रहा है।

लोगों के लगातार संक्रमित पाए जाने के बाद प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाया और प्रशासनिक अमले के निर्देश पर शहर एसडीएम लक्ष्मी गामड़ की मौजूदगी में शहर में अलग-अलग बैठकर झाड़ फूँक और पानी से उपचार करने का दावा करने वाले 29 लोगों को एहतियात के तौर पर क्वारंटाइन सेंटर भेजा गया है। जिसमें बीमारी के लक्षण नजर आएँगे उनका कोरोना टेस्ट कराया जाएगा।

गौरतलब है कि रतलाम के नयापुरा में असलम के पास लोग कोरोना का इलाज कराने आते थे और वह लोगों का हाथ चूमकर कोरोना को भगा रहा था। रतलाम में मंगलवार (जून 9, 2020) को मिले 24 कोरोना पॉजिटिव में से 13 लोग नयापुरा के झाड़-फूँक करने वाले असलम के संपर्क में आने वाले हैं।

असलम की 4 जून को कोराेना से मौत हो गई थी। उसके संपर्क में आने वालों के सैंपल लिए थे। इससे पहले 7 जून को नयापुर से 6 कोरोना पॉजिटिव मिले थे। ये भी असलम के संपर्क में आए थे। यानी कि अब तक जिले के कुल 85 मरीजों में से 19 तो असलम के कारण ही संक्रमित पाए गए। 

मंगलवार को 200 लोगोंं की रिपोर्ट सामने आई, जिसमें से 24 पॉजिटिव व 176 निगेटिव निकले। नोडल अधिकारी डॉ प्रमोद प्रजापति ने बताया कि संक्रमण का पता चल सका, ये बड़ी बात है। सभी संक्रमितों की कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की जाएगी। एक भी संक्रमित हुआ तो कई को खतरा हो सकता है। प्रमोद प्रजापति का कहना है कि ऐसे लोगों से इसलिए खतरा है, क्योंकि ये झाड़-फूँक करते हैं और फूँका हुआ पानी आदि लोगों को देते हैं।

रवि अग्रहरि: अपने बारे में का बताएँ गुरु, बस बनारसी हूँ, इसी में महादेव की कृपा है! बाकी राजनीति, कला, इतिहास, संस्कृति, फ़िल्म, मनोविज्ञान से लेकर ज्ञान-विज्ञान की किसी भी नामचीन परम्परा का विशेषज्ञ नहीं हूँ!