भाषा के जरिए मीडिया में अक्सर समुदाय विशेष के अपराधों पर पर्दा डालने की कोशिश करता रहता है। कई ऐसे मामले हैं जब आरोपित ‘मुस्लिमों’ की न केवल पहचान छिपाई गई, बल्कि इस चक्कर में हिंदुओं को बदनाम करने के लिए कई युक्तियाँ प्रयोग में लाई गईं।
अभी कुछ समय पहले का एक मामला देखिए। इसकी कवरेज की फोटो अब वायरल होनी शुरू हुई है। पिछले साल, बिलासपुर में एक महिला अपने पति के दूर जाने व पारिवारिक समस्याओं के चलते परेशान थी। उसे कहीं से एक मुस्लिम आलिम असलम फैजी के बारे में सूचना मिली। वह उसके पास मदद के लिए पहुँच गई। आलिम ने महिला की समस्या को दूर करने के बहाने पहले उसे डरा-धमकाकर शारीरिक संबंध बनाया। फिर, उसे आश्वासन दिया कि अब उसकी समस्या हल हो जाएगी।
कुछ दिन बाद जब महिला के पास न उसका पति लौटा और न ही उसकी परेशानियाँ समाप्त हुईं, तो उसे एहसास हुआ कि असलम फैजी ने उसकी मजबूरी का फायदा उठाकर उसके साथ दुष्कर्म किया है। इसके बाद महिला ने फौरन पुलिस में जाकर असलम फैजी की शिकायत की। पुलिस ने आरोपित के ख़िलाफ़ धारा 376 के तहत मामला दर्ज कर लिया।
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पुलिस की पड़ताल में भी ये मालूम चला कि मूलत: मनेंद्रगढ़-चिरमिरी निवासी असलम फैजी उर्फ सुहैल रजा एक मस्जिद का मौलवी था। वह पेंड्रा में किराए पर रहता था और यहाँ पर लोगों को जादू-टोने से ठीक करने का दावा करता था।
जाँच में ये भी पता चला कि असलम के पास न केवल आसपास से लोग आते थे, बल्कि दूसरे जिले के लोग भी उसके पास अपनी समस्या लेकर आते थे। ऐसे मे जब 34 वर्षीय महिला को इसकी सूचना मिली, तो वो भी असलम के पास पहुँची। जहाँ असलम ने पहले महिला की परेशानी को सुना और फिर उसे झाड़-फूँक के नाम पर कमरे में ले गया गया और उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए।
![बिछड़े पति से मिलाने का झांसा देकर तांत्रिक ने किया दुष्कर्म, आरोपी गिरफ्तार](https://i0.wp.com/www.haribhoomi.com/h-upload/2020/02/24/513495-tantrik.webp?w=696&ssl=1)
अब चूँकि पूरा मामला समुदाय विशेष के अपराध से संबंधित था, तो जरूरी है कि खबर को कवर करते समय दोनों बातों का ख्याल रखा जाए। मगर, नई दुनिया समेत कई मीडिया पोर्ट्ल्स ने इस खबर को प्रकाशित किया और हेडलाइन में मुस्लिम आलिम की जगह ‘तांत्रिक’ शब्द का प्रयोग किया। साथ ही जादू-टोना करने वाले मौलवी की जगह एक पुजारी का स्केच लगा दिया।
अब ऐसा नहीं है कि शब्दकोष में जादू-टोना करने वालों के लिए कोई अन्य शब्द नहीं है या फिर इंटरनेट पर जादू-टोना करते मौलवियों की प्रतीकात्मक तस्वीर नहीं है। लेकिन, फिर भी पाठकों को बरगलाने के लिए किया गया इस तरह का प्रयास दर्शाता है कि अब मीडिया की हर विधा में इस बात को सामान्य मान लिया गया है कि मुस्लिमों के अपराध को छिपाने के लिए हिंदुओं की संस्कृति, सभ्यता से जुड़े चिह्नों व शब्दों को प्रयोग में लाना आवश्यक है।
बता दें, पिछले साल का ये वाकया मीडिया के इतिहास में घटिया प्रयास की पहली-दूसरी घटना नहीं है। इससे पहले और इसके बाद कई बार कई मीडिया संस्थानों ने हिंदू भावनाओं की कद्र किए बिना मुस्लिम आलिम के लिए ‘तांत्रिक’ शब्द का इस्तेमाल किया और जादू-टोना करने वालों को मंत्रों की झाड़-फूँक करने वाला बताकर दर्शाया। साथ ही मुस्लिमों द्वारा किए गए अपराध को ‘हिन्दू स्पिन’ दे दिया ।
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पिछले दिनों ऐसा ही एक मामला पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में घटी घटना के बाद सामने आया था। जहाँ मुस्लिम आलिम द्वारा काले जादू का उपयोग करके किए गए इलाज में 10 साल के बच्चे की मौत हो गई थी। मगर मीडिया गिरोह ने इस अपराध को हिन्दू द्वारा किए गए अपराध के रूप में फैलाया था।
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मुस्लिम आलिम के गिरफ्तार होने पर मीडिया हाउस ने इसे हिन्दू स्पिन देने के लिए मुस्लिम आलिम की जगह ‘तांत्रिक’ लिखा। NDTV, India Today, The Tribune और कई अन्य मीडिया हाउसों ने PTI द्वारा प्रकाशित की गई उस खबर को आगे फैलाया। इसमें लिखा गया था कि तांत्रिक द्वारा पारंपरिक तरीके से इलाज के दौरान पश्चिम बंगाल में 10 साल के बच्चे की मौत हो गई।
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इसी प्रकार एक तलाक का मामला भी कुछ दिन पहले सामने आया। इस मामले में हलाला का हवाला देकर निकाई अब्बा ने एक मुस्लिम महिला का बलात्कार किया। मगर NDTV जैसे न्यूज़ चैनल ने तथाकथित सामाजिक सौहार्द बनाए रखने की कोशिश में मुस्लिम अपराधी के लिए ‘तांत्रिक’, ‘बाबा’, जैसे शब्दों का प्रयोग किया।
यहाँ, बता दें तांत्रिक से मतलब तंत्र विद्या अभ्यास करने से जुड़ा है। ये मुख्य रूप से हिन्दू धर्म से जुड़ा हुआ है। मगर, मीडिया द्वारा की गई ऐसी रिपोर्ट्स से ये संदेश जाता है कि अपराध हिन्दू व्यक्ति द्वारा किया गया था, जबकि ये अपराध मुस्लिम आलिम द्वारा किए गए होते हैं।