चुनाव से पहले ही केजरीवाल ने शुरू कर दिया पलटी मारना: पंजाब में फ्री बिजली की बातें, दिल्ली से किए वादे याद नहीं

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पंजाब चुनाव से पहले लगाई वादों की झड़ी

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपनी आम आदमी पार्टी (AAP) को दूसरे राज्यों में फैलाना चाहते हैं। 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में पार्टी को 20 सीटें मिली भी थीं और वो 23.8% वोट शेयर पाने में भी सफल रही थी, ऐसे में पहले ही चुनाव में इस तरह के प्रदर्शन ने केजरीवाल के लिए नई उम्मीद जगा दी है। अब वो पंजाब के नए राजनीतिक परिदृश्य में चंडीगढ़ पहुँच कर वादों की झड़ी लगा कर आए हैं।

पंजाब में पिछले 5 वर्षों से कैम्प्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में कॉन्ग्रेस की सरकार चल रही है और इसके खिलाफ एंटी-इंकम्बेंसी भी है। साथ ही नवजोत सिंह सिद्धू की बगावत के बाद आंतरिक कलह से भी कॉन्ग्रेस का संगठन जूझ रहा है। इधर दशकों पुराने साथी भाजपा और अकाली दल अलग हो गए। भाजपा अकेले पड़ गई है और ‘किसान आंदोलन’ से उसकी नकारात्मक छवि बनाने में विरोधी खासे व्यस्त हैं।

ऐसे में AAP इन बदले समीकरणों का फायदा उठाने के लिए मैदान में उतरी है। मंगलवार (जून 29, 2021) को केजरीवाल ने घोषणा की कि AAP की सरकार बनने पर राज्यवासियों को प्रति महीने 300 यूनिट बिजली मुफ्त में दी जाएगी। ये सुविधा पंजाब के घरेलू उपभोक्ताओं को मिलेगी। साथ ही उन्होंने 24 घंटे पॉवर सप्लाई का भी वादा किया। अपनी सरकार बनने पर उन्होंने पुराने सारे बकाए बिजली बिल माफ़ करने की भी घोषणा की।

बता दें कि किसानों को पहले ही पंजाब में मुफ्त बिजली मिल रही है और उद्योगों के लिए वहाँ बिजली का अलग रेट है, ऐसे में केजरीवाल के पास ये दावा करने के अलावा कोई और चारा नहीं बचा कि ये सुविधाएँ जारी रहेंगी। फिर जिस राज्य में अधिकतर जनसंख्या को बिजली के मामले में सुविधाएँ मिल रही हैं, वो केजरीवाल के 300 यूनिट मुफ्त बिजली वाली घोषणा के कारण उन्हें वोट देगी? दिल्ली एक शहरी क्षेत्र है और महानगर है, जबकि पंजाब में किसानों और गाँवों के हिसाब से फैसले होते हैं।

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गाँवों में बिजली का दर शहरों से सस्ता होता है। जहाँ दिल्ली में अधिकतर लोग बड़ी इमारतों फ्लैट्स में रहते हैं और उनका बिजली-पानी का खर्च अधिक होता है, पंजाब में अधिकतर जनसंख्या को अन्न-जल खरीद कर नहीं लाना होता है और वो मुफ्त बिजली के सहारे तो नहीं ही रहेंगे। सिंचाई से लेकर अन्य कृषि कार्यों के लिए उन्हें पहले से ही मुफ्त बिजली मिल रही है। केजरीवाल ने 24 घंटे की निर्बाध बिजली सप्लाई की तो घोषणा की, लेकिन यहाँ एक पेंच फँसा दिया।

उन्होंने अपने वादे के साथ ‘नियम एवं शर्तें’ जोड़ते हुए कहा कि इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर को नए सिरे से आधुनिक बनाना होगा, इसीलिए इसमें समय लगेगा। अब केजरीवाल कहने को 2027 के विधानसभा चुनाव में (अगर उन्होंने 2022 जीता तो) ये भी कह सकते हैं कि इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास में ही 5 साल लग गए, इसीलिए अब मुफ्त बिजली अगली बार मिलेगी। पंजाब पहले से ही पॉवर सरप्लस राज्य है, ये भी जानना चाहिए।

केजरीवाल ने उसी दिन शाम होते-होते 300 यूनिट फ्री बिजली वाली घोषणा में भी ‘नियम एवं शर्तें लागू’ जोड़ दिया। उन्होंने कहा कि SC-ST, OBC और BPL परिवारों को 300 यूनिट बिजली निःशुल्क दी जाएगी। यानी, सामान्य वर्ग को इस सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा। शायद केजरीवाल को ये पता ही नहीं है कि पंजाब में पहले से ही एससी, बीसी और बीपीएल परिवारों को 200 यूनिट फ्री है। इस पर केजरीवाल को सफाई देते नहीं बन रहा।

अगर करदाताओं की बात करें तो दिल्ली में अधिकतर नौकरीपेशा लोग हैं और वहाँ का GST कलेक्शन पंजाब से लगभग 3 गुना अधिक होता है। ऊपर से पंजाब सरकार के ऊपर कर्ज भी अधिक है। तीसरा फैक्टर ये है कि दिल्ली में गृह विभाग और विकास प्राधिकरण सहित कई चीजें केंद्र के अधीन हैं, ऐसे में इन चीजों के लिए AAP सरकार को सिर नहीं खपाना पड़ता है। दिल्ली एक पूर्ण राज्य नहीं है। पंजाब पूर्ण राज्य है।

ऊपर से पंजाब एक संवेदनशील राज्य है, जिसकी सीमाएँ पाकिस्तान से लगती हैं। खालिस्तानियों का सपना है कि उसे शेष भारत से अलग-थलग कर दिया जाए। AAP में रहीं अभिनेत्री गुल पनाग कह चुकी हैं कि खालिस्तानियों से साँठगाँठ बढ़ाने को लेकर उन्होंने अपनी पार्टी को चेतावनी दी थी। ऐसे में AAP जैसी पार्टी का पंजाब में सरकार बनना देश के लिए भी खतरे से खाली नहीं होगा। केजरीवाल अपनी राजनीति के सामने बाकी चीजों को किनारे रखते हैं।

ऊपर से एक नजर इस पर भी डालना जरूरी है कि दिल्ली के लिए किए वादों में से केजरीवाल ने कितने को पूरा किया। उन्होंने ‘जन लोकपाल’ का वादा किया था। उनकी ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ का पूरा आंदोलन ही लोकपाल के गठन पर केंद्रित था। दिल्ली में अब तक लोकपाल का गठन नहीं हो सका है। इसके लिए भी केजरीवाल सरकार केंद्र पर आरोप मढ़ती है। उसका कहाँ है कि केंद्र की नीतियों के कारण लोकपाल बिल अटका पड़ा है।

अरविंद केजरीवाल ने वादा किया था कि दिल्ली में 15 लाख सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएँगे, लेकिन अब तक इसका कोई अता-पता नहीं है। बीच में कुछ सीसीटीवी कैमरे लगाने की बात कही भी गई थी तो उसके लिए एक चीन की कंपनी से करार की बात सामने आई थी। एक छोटे से प्रदेश दिल्ली को संभालने में नाकाम रहे केजरीवाल पंजाब को चमकाने का वादा कर रहे हैं। दिल्ली को उन्होंने एक वैश्विक विरोध प्रदर्शन स्थल बना रखा है।

अरविंद केजरीवाल ने दावा किया कि उनकी सरकार ने 20,000 नए क्लासरूम बनवाए हैं, जो 500 नए स्कूलों के ही बराबर है। दिल्ली की शिक्षा नीति को भी बर्बाद कर दिया गया। हेराफेरी कर के 10वीं के परिणाम में सुधार दिखाया गया। यमुना नदी को साफ़ करने का दावा करने वाली AAP की सरकार के दौरान प्रदूषण और बढ़ ही रहा है। आए दिन यमुना नदी में तैरते सफ़ेद जहरीले झाग की तस्वीरें वायरल होती हैं।

अरविंद केजरीवाल ऐसे नेता हैं जो हिन्दू विरोधियों का विश्वास जीतने के लिए स्वस्तिक जैसे पवित्र चिह्न को झाड़ू मारने वाली तस्वीर पोस्ट करते हैं तो चुनाव के समय डैमेज कट्रोल के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर के परिवार सहित अक्षर धाम मंदिर में दीपावली का त्यौहार मानते हैं। उनका राजनीतिक चरित्र कुछ ऐसा रहा है कि उन्होंने सेजिकल स्ट्राइक का सबूत माँग भारतीय सेना को बदनाम किया था और एयर स्ट्राइक के समय डैमेज कंट्रोल के लिए तुरंत बधाई दे डाली।

अनुपम कुमार सिंह: चम्पारण से. हमेशा राइट. भारतीय इतिहास, राजनीति और संस्कृति की समझ. बीआईटी मेसरा से कंप्यूटर साइंस में स्नातक.