कहब त लग जाइ धक से, औरतन पर समाजवदियन के बोल बहके फक्क से

अब की बार बुरे फॅंसे आजम खान (बीच में)

इसे समाजवादी पार्टी यानी सपा का चाल-चरित्र कहें या कमर के ऊपर सोच नहीं पाने की कुव्वत। पार्टी नेताओं में महिलाओं को लेकर ओछी टिप्पणी करने की होड़ लगी रहती है। इस होड़ और इससे मिलने वाली सुर्खियों का नशा इन पर कुछ ऐसा चढ़ता है कि वे बेहद सहजता से महिलाओं के साथ होने वाले हर अपराध के लिए पीड़िता को ही कठघरे में खड़ा कर देते हैं।

जब सपा की नींव रखने वाले मुलायम सिंह यादव सार्वजनिक तौर पर बलात्कार का यह कहकर बचाव करें कि “लड़के हैं, गलती हो जाती है” तो नीचे क्यों न होड़ लगे? इसी होड़ में लोकसभा के भीतर रामपुर से सपा सांसद आजम खान सदन की अध्यक्षता कर रहीं रमा देवी से कह बैठते हैं,“आप मुझे इतनी अच्छी लगती हैं कि मेरा मन करता है कि आपकी आँखों में आँखें डाले रहूॅं।” ये वही आजम खान हैं, जिन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान इशारों-इशारों में प्रतिद्वंद्वी महिला उम्मीदवार की अंडरवियर का कलर तक बता दिया था।

समस्या केवल बहके बोल ही नहीं है। बचाव में गढ़े जाने वाले तर्क बताते हैं कि इस पार्टी के लिए कामुक टिप्पणियॉं कितनी आम बात है। पार्टी आलाकमान के घर की पढ़ी-लिखी सांसद रह चुकी बहू महिला के अंडरवियर का रंग बताए जाने को ‘छोटी सी बात’ बताती हैं। आँखों में आँखें डालने को सपा अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ‘कविता’ बताते हैं। तो आजम खान की हमसफर तजीन फातिमा की दलील है कि उर्दू में मिठास ही इतनी है कि उनके पति के कहे का लोगों ने गलत मतलब निकाल लिया।

आगे बढ़ने से पहले एक नजर सपा नेताओं के बहके बोल पर डालिए।

मुलायम सिंह यादव

  • साल 2010 में महिला आरक्षण विधेयक के विरोध में टिप्पणी करते हुए कहा था, ”वर्तमान स्वरूप में महिला आरक्षण विधेयक पास हुआ तो संसद में उद्योगपतियों और अधिकारियों की ऐसी-ऐसी लड़कियाँ आ जाएँगी जिन्हें देखकर लड़के पीछे से सीटी बजाएँगे।”
  • साल 2012 में बाराबंकी में कहा था कि समृद्ध तबके की महिलाएँ ही अपने जीवन में आगे बढ़ पाएँगी। गाँव की महिलाओं को कभी मौक़ा नहीं मिलेगा, क्योंकि ये आकर्षक नहीं होतीं।
  • 2014 में बलात्कार के आरोपियों का बचाव करते हुए कहा “लड़कों से गलती हो जाती है, लेकिन उन्हें मौत की सजा देना गलत है। अगर हम सरकार में आए तो हम कानून में संशोधन करेंगे।”

अबु आजमी

  • साल 2013 में महिलाओं पर विवादित टिप्पणी देते हुए कहा था कि फैशन और नग्नता भारत की वर्तमान स्थिति के लिए जिम्मेदार है।अपने विवादास्पद बयान में आजमी ने यह भी कहा था कि अगर बलात्कार के दोषियों के लिए मौत की सजा का कानून हो सकता है तो ऐसा कानून भी होना चाहिए जो महिलाओं के देर रात तक घूमने और गैर मर्द के साथ घूमने पर रोक लगाए।
  • 2013 में ही कहा था कि औरतें सोने की तरह कीमती होती हैं, अगर उन्हें खुला छोड़ा तो उन्हें लूट लिया जाएगा।
  • एक बार कहा था, “महिलाओं को बाहर जाने की आजादी है लेकिन बस परिवार के साथ। मैं अपने बेटे को रात में बाहर भेज सकता हूँ लेकिन अपनी बेटी को नहीं। मैं पहले भी कह चुका हूँ कि महिलाएँ सोने की तरह कीमती हैं। आजकल कहीं भी महिलाओं के ऊपर हमला हो जा रहा है इसलिए हमें इससे बचने के उपाय करने चाहिए।”

सपा के अन्य नेता

  • तहलका संपादक तरुण तेजपाल पर बलात्कार का मुकदमा दायर होने के बाद तत्कालीन सपा नेता नरेश अग्रवाल ने बड़ा ही विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था, “जब महिला हिंसा को रोकने का कानून बनाया जा रहा था, तभी मैंने कहा था कि एंटी रेप बिल की वजह से अधिकारी महिलाओं को नौकरी पर रखने से कतराएंगे। मुझे पता चला है कि कई अधिकारी महिला पीए रखने से कतराते हैं।”
  • राम गोपाल यादव के अनुसार बॉलीवुड की हीरोइन मुंबई के बार डांसर्स से भी अश्लील हैं।
  • शिव चरण प्रजापति ने कहा बलात्कार के लिए महिलाएँ ज्यादा जिम्मेदार होतीं हैं।
  • साल 2013 में असम गैंगरेप मामले में प्रतिक्रिया देते हुए नरेश अग्रवाल ने कहा था,  “इस तरह कि चीजें दैनिक आधार पर होती रहती हैं। मैंने दिल्ली में भी हुई ऐसी घटनाओं के बारे में पढ़ा। मैं समझता हूँ कि आखिर क्यों मीडिया कई बार एक बलात्कार पर फोकस करता है, जबकि दूसरे को नजरअंदाज कर देता है।”
  • आजम खाम के बेटे अब्दुल्लाह आजम ने एक रैली में जया प्रदा को लेकर टिप्पणी करते हुए कहा “अली भी हमारे…बजरंग बली भी चाहिए, लेकिन अनारकली नहीं चाहिए।”
  • मुरादाबाद से सपा सांसद एसटी हसन ने ट्रिपल तलाक बिल पर कहा “बीवी को गोली मारने या जला कर मरने से अच्छा है कि उसे तलाक दे दें।” जायरा वसीम के बॉलीवुड छोड़ने के फैसले का समर्थन करते हुए हसन साहब ने बॉलीवुड हीरोइनों को ‘तवायफ’ बता दिया था।

अब आप समझ ही गए होंगे कि समाजवादी पार्टी से जुड़े दिग्गज़ नेताओं के लिए सेक्सिस्ट कमेंट करना कोई बड़ी बात नहीं। वे चाहे न चाहे उनके भाषणों में उनकी सोच नजर आ ही जाती है। ये महिलाओं पर बात करते हुए सिर्फ़ राजनीति के नाम पर अपनी धूर्तता का प्रदर्शन करते हैं। उनकी छवि को बूस्ट करने में वे तथाकथित नारीवादी ढाल बनती हैं, जिन्हें एक विशेष पार्टी पर हमला करने के लिए महिला के सिंदूर और मंगलसूत्र से तो दिक्कत है, लेकिन सपा ‘नायकों’ की कथनी से उन्हें कोई दर्द नहीं होता।