अब दिल्ली में मजदूर घोटाला: श्रमिक कल्याण बोर्ड में 2 लाख फर्जी रजिस्ट्रेशन, BJP बोली- हेराफेरी से चल रही केजरीवाल सरकार

दिल्ली के केजरीवाल सरकार पर मजदूर घोटाले का आरोप (फोटो साभार: डीएनए)

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) के नेतृत्व वाली दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार (Delhi AAP Government) के एक के बाद एक घोटाले सामने आ रहे हैं। अब यह बात सामने आई है कि दिल्ली बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर वेलफेयर बोर्ड में 2 लाख फर्जी कामगार हैं। इसको लेकर भाजपा ने दिल्ली सरकार पर हमला बोला है।

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि बोर्ड में 2 से अधिक वर्कर फर्जी हैं और इनमें से 65,000 कामगारों के नाम पर एक ही मोबाइल नंबर रजिस्टर्ड है। उन्होंने वर्करों के कल्याण वाले धन का हेराफेरी करने का आरोप लगाया।

संबित पात्रा ने कहा, “AAP द्वारा 2018-2021 के बीच लगभग 9 लाख लोगों को निर्माण श्रमिकों के रूप में पंजीकृत किया गया था, जिनमें से लगभग 2 लाख नकली हैं। इसके 65000 कंस्ट्रक्शन वर्कर्स के के लिए सिर्फ एक मोबाइल नंबर डाला गया और ऐसे फ्रॉड किया गया।”

भाजपा प्रवक्ता ने आगे कहा, “इनमें से 4000 से अधिक श्रमिकों के स्थायी पते भी समान हैं। यह केवल प्रारंभिक जाँच है, जिसमें कहा गया है कि लगभग 2 लाख पंजीकरण फर्जी हैं और यह संख्या और भी अधिक हो सकती है।”

जाँच अधिकारियों का कहना है कि ये फर्जी आंकड़े और भी अधिक हो सकते हैं। प्रारंभिक जाँच में जिन श्रमिकों को शामिल किया गया है, वे साल 2018 से 2021 के बीच पंजीकृत हुए हैं। वहीं, सरकारी आंकड़े दर्शाते हैं कि भवन एवं अन्य निर्माण से जुड़े श्रमिकों की कुल संख्या 13 लाख 13 हजार 309 है। इनमें से 9,07,739 2018-22 के बीच जुड़े हैं। अधिकारियों का मानना है कि फर्जी श्रमिकों की वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक है।

अधिकारियों का कहना है कि जो 2 लाख फर्जी केस पाए गए हैं, उनमें 1 लाख 11 हजार 516 की दोबारा एंट्री की गई, 65 हजार लोगों के एक ही मोबाइल नंबर हैं। इनमें 15 हजार 747 ऐसे श्रमिक हैं जिनका पता एक ही है लेकिन वे आपस में किसी तरह संबंधित नहीं हैं। वहीं, 4370 श्रमिकों का स्थायी पता एक ही है।

दरअसल, श्रमिकों के कल्याण से जुड़ी संस्थानों ने उप-राज्यपाल से भ्रष्टाचार से शिकायत की थी। इसके बाद उप-राज्यपाल वीके सक्सेना ने 26 सितंबर 2022 को इस मामले की जाँच का आदेश दिया था। शिकायतकर्ताओं में बोर्ड के दो सदस्य भी शामिल हैं। इस मामले की पूरी रिपोर्ट अगले कुछ दिनों में आ सकती है।

बता दें कि दिल्ली सरकार की विजिलेंस और एंटी करप्शन यूनिट गैर-निर्माण श्रमिकों के फर्जी पंजीकरण और उन्हें 900 करोड़ रुपए दिए जाने के मामले की जाँच साल 2018 से ही कर रही है। इस मामले में मई 2018 में FIR दर्ज की गई थी।

बता देें कि बोर्ड के पास 3,000 करोड़ रुपए का फंड है, जो 10 लाख रुपए से अधिक लागत वाले प्रोजेक्ट पर 1 प्रतिशत का श्रमिक कर लगा कर जनवरी 2006 से वसूला जा रहा है। इस फंड का उपयोग श्रमिकों के कल्याण पर खर्च किया जाता है, जिनमें उनके बच्चों की पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप देने सहित कई काम शामिल हैं।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 2 नवंबर 2022 को घोषणा की कि दिल्ली सरकार बोर्ड से पंजीकृत लगभग 10 लाख श्रमिकों को 5000 रुपए सहायता राशि देंगे। उन्होंने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण को लेकर निर्माण कार्य पर रोक है, इसलिए ये सहायता राशि दी जा रही है। इस सहायता राशि पर 5000 करोड़ रुपए खर्च होंगे। पिछले साल कोविड के दौरान केजरीवाल सरकार ने इस मद से 350 करोड़ रुपए खर्च किए थे।

उधर, भाजपा प्रवक्ता पात्रा ने कहा कि फर्जी नामों के जरिए दिल्ली की केजरीवाल सरकार पैसों में हेराफेरी कर रही है और उसका इस्तेमाल अपनी पार्टी से संबंधित गतिविधियों को संचालित करने के लिए कर रही है। उन्होंने कहा कि जिस कल्याण फंड का निर्माण श्रमिकों के हितों के लिए किया गया, उसका उपयोग दिल्ली सरकार अपनी पार्टी के लिए कर रही है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया