‘हाईकोर्ट के आदेश पर हमने बनवाए थे डिटेंशन कैंप और यह जरूरी है’ – 3 बार CM रहे कॉन्ग्रेसी नेता ने खोली पोल

डिटेंशन सेंटर (प्रतीकात्मक चित्र)

कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता और असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने कहा कि गुवाहाटी हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए वर्ष 2009 में तत्कालीन कॉन्ग्रेस सरकार ने पहले डिटेंशन सेंटर की स्थापना की थी। यहाँ पर घुसपैठियों (अवैध तरीके से देश में घुस आए लोग) को रखा जाता है। 

शुक्रवार (27 दिसंबर) को आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेन्स में तरुण गोगोई ने हाईकोर्ट के आदेश पर न सिर्फ डिटेंशन कैंप बनवाने की बात कही बल्कि यह क्यों जरूरी है, इस पर भी चर्चा की। बता दें कि असम में तरुण गोगोई लगातार तीन बार 15 साल तक प्रदेश में कॉन्ग्रेस सरकार का नेतृत्व कर चुके हैं। 

ख़बर के अनुसार, असम में वर्तमान में ‘अवैध विदेशियों’ को रखने के लिए छ: डिटेंशन सेंटर हैं, लेकिन ये सभी जेलों के अंदर स्थित हैं। इसके अलावा, एक नया डिटेंशन सेंटर – केवल ‘अवैध विदेशियों’ को हिरासत में रखने के लिए गोलपारा ज़िले में निर्माणाधीन है।

पूर्व मुख्मंत्री ने डिटेंशन सेंटर की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए कहा,

“डिटेंशन कैंप ज़रूरी हैं। जेलों में क़ैद विदेशियों की सज़ा पूरी होने के बाद, उन्हें कहाँ रखा जाएगा? जब तक उन्हें उनके देश में वापस नहीं भेजा जाता है, जहाँ से वे आए थे, तब तक आपको उन्हें एक डिटेंशन कैंप में ही रखना होगा।”

सरकारी सूत्रों के अनुसार भारतीय अदालतों द्वारा दोषी ठहराए गए अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों को राज्य के 100 विदेशियों के न्यायाधिकरणों (FTs) द्वारा ‘अवैध विदेशी’ के रूप में ‘घोषित’ श्रेणी से अलग रखा गया है।

इसके अलावा, केरल में विदेशी क़ैदियों के लिए एक ऐसी इमारत की खोज की जा रही है, जिसमें डिटेंशन सेंटर (हिरासत केंद्र) स्थापित किया जा सके। केरल के सामाजिक न्याय विभाग (DSJ) को डिटेंशन सेंटर में सुविधा स्थापित करने का काम सौंपा गया है।

नए डिटेंशन सेंटर की सुविधाएँ:

  • डिटेंशन सेंटर में सुविधा स्थापित करने का काम सामाजिक न्याय विभाग को सौंपा गया है।
  • इस विभाग को विदेशी क़ैदियों का विवरण राज्य अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (SCRB) से माँगना होगा।
  • यह डिटेंशन सेंटर उन लोगों का आवास होगा, जिन्होंने अवैध रूप से देश में प्रवेश किया था।
  • यह उन विदेशियों का भी आवास होगा, जिनके वीज़ा और पासपोर्ट की अवधि समाप्त हो गई थी।
  • इसमें विदेशी मूल के विचाराधीन क़ैदी भी शामिल रहेंगे।

विदेशी अपराधी जो यहाँ जेल की अवधि पूरी कर चुके हैं और निर्वासन की प्रतीक्षा कर रहे हैं, उन्हें भी डिटेंशन सेंटर की सुविधाएँ मिलेंगी।

कुल मिलाकर असम के 3 बार के CM और केरल के सामाजिक न्याय विभाग द्वारा डिटेंशन सेंटर की आवश्यकता से उस भ्रमजाल को समझा जा सकता है, जो वर्तमान में विपक्षी पार्टियाँ फैला रही हैं। तरुण गोगोई (कॉन्ग्रेसी) हैं और केरल की वामपंथी सरकार जब खुद डिटेंशन सेंटर के पक्ष में है तो फिर गृहमंत्री अमित शाह ने जो इन्टरव्यू में कहा कि ‘आखिर घुसपैठियों को कहाँ रखा जाए’ वाली बात पर बवाल क्यों? यह तो किसी भी देश की एक आम प्रशासनिक प्रक्रिया का हिस्सा है। इसे किसी कॉन्ग्रेसी-BJP-वामपंथी चश्मे से देखने की जरूरत नहीं। जब तक अवैध तरीके से किसी भी देश में घुसपैठिये आते रहेंगे, उस देश में डिटेंशन सेंटर की आवश्यकता बनी रहेगी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया