Thursday, November 14, 2024
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कॉन्ग्रेस ने 362 लोगों को डाला था डिटेंशन सेंटर में: PM ने नहीं बोला झूठ, राहुल और टेलीग्राफ का दावा झूठा

जनवरी 13, 2011 को घुसपैठियों के प्रत्यर्पण के लिए भारत और बांग्लादेश के बीच करार भी हुआ था। इस दौरान भारत ने बांग्लादेश से आने वाले अवैध घुसपैठियों को प्रत्यर्पित किए जाने का मुद्दा भी उठाया था। तत्कालीन गृह राज्यमंत्री मुल्लाप्पली रामचंद्रन ने इस बारे में लोकसभा में लिखित जानकारी दी थी।

“कॉन्ग्रेस और अर्बन नक्सलियों द्वारा उड़ाई गई डिटेन्शन सेंटर की अफवाह सरासर झूठ है जो इस देश की मिट्टी के मुस्लिम हैं, जिनके पुरखे माँ भारती की ही संतान थे, उन पर नागरिकता क़ानून और एनआरसी दोनों का ही कोई लेना-देना नहीं है। कोई देश के मुस्लिमों को डिटेन्शन सेंटर में नहीं भेजने जा रहा।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये बयान रविवार (दिसंबर 22) को रामलीला मैदान में विपक्ष के अफवाहों का जवाब देते हुए दिया। इसके बाद भी सियासत थमी नहीं और कॉन्ग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि मोदी कह रहे हैं कि देश में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं है। जबकि अगर आप पीएम के बयानों पर गौर करें तो उन्होंने कहा कि देश के मुस्लिमों को कोई डिटेंशन सेंटर में नहीं भेजा जाएगा। जबकि विपक्षी नेताओं व मीडिया के एक बड़े वर्ग ने अफवाह फैलाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में एक भी डिटेंशन सेंटर न होने की बात कही।

पूर्व कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने नरेंद्र मोदी को आरएसएस का प्रधानमंत्री बताया और कहा कि वो माँ भारती से झूठ बोलते हैं। राहुल गाँधी ने असम का एक वीडियो भी शेयर किया, जिसमें एक कथित एक्टिविस्ट ने बताया कि असम में डिटेंशन सेंटर हैं। जबकि पीएम मोदी ने ऐसा कहा ही नहीं कि देश में एक भी डिटेंशन सेंटर नहीं है।

बीबीसी के एक पत्रकार के वीडियो के हवाले से दावा किया कि प्रधानमंत्री झूठ बोल रहे हैं। जब पीएम मोदी के बयान को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से सवाल पूछा गया तो उन्होंने बताया था:

डिटेंशन सेंटर को लेकर कही जा रही बातें पूरी तरह निराधार हैं और मोदी सरकार के दौरान कोई डिटेंशन सेंटर नहीं बनाया गया है। विदेशी नागरिकों के वीजा शर्तों के उल्लंघन या किसी अन्य नियम के उल्लंघन की स्थिति में उन्हें डिटेंशन सेंटर में रखे जाने का प्रावधान है। ऐसे विदेशी नागरिकों को वापस अपने देश भेजे जाने तक डिटेंशन सेंटर में रखा जाता है। इसके लिए देश के कुछ भागों में डिटेंशन सेंटर पहले से मौजूद हैं। ऐसे प्रावधान पूरी दुनिया में हैं। इसका एनआरसी से कोई लेना-देना नहीं है।

‘टेलीग्राफ इंडिया’ सरीखे मीडिया संस्थानों ने भी डिटेंशन सेंटर को लेकर पीएम मोदी के बयान को ग़लत सन्दर्भ में पेश किया और झूठा साबित करने की कोशिश की:

दरअसल, अमित शाह के बयान को विपक्ष ने इसीलिए तवज्जो नहीं दी क्योंकि इससे उन नेताओं की पोल खुल जाती, जों अफवाह फैलाने में लगे हुए हैं। वहीं प्रधानमंत्री के बयान को तोड़ने-मरोड़ने का मौक़ा मिलने के कारण इनलोगों ने जम कर जनता को भरमाने का प्रयास किया। अब आते हैं आज से 8 साल पहले की एक ख़बर पर। दिसंबर 13, 2011 को पीआईबी द्वारा प्रकाशित किए गए एक ख़बर से साफ़-साफ़ पता चलता है कि कॉन्ग्रेस की सरकारों के दौरान डिटेंशन सेंटर बनाए गए थे।

दिसंबर 2011 की PIB की ख़बर, जो कॉन्ग्रेस की पोल खोलती है

जब की ये ख़बर है, तब यूपीए-2 की सरकार थी। पीआईबी ने बताया था कि भारत सरकार ने गोलपुरा, कोकराझाड़ और सिल्चर में डिटेंशन सेंटर बनाए हैं, ताकि अवैध घुसपैठियों को प्रत्यर्पण तक वहाँ और रखा जाए। इस ख़बर में बताया गया था कि नवंबर 2011 तक कॉन्ग्रेस ने 362 लोगों को डिटेंशन सेंटर में भेजा था। गोलपुरा में 221, कोकराझाड़ में 79 और सिल्चर के डिटेंशन कैम्प में 62 लोगों को भेजे जाने की ख़बर आई थी। मनमोहन सरकार के दौरान इसी अवधि तक 78 लोगों को प्रत्यर्पित किया गया था।

जनवरी 13, 2011 को घुसपैठियों के प्रत्यर्पण के लिए भारत और बांग्लादेश के बीच करार भी हुआ था। इस दौरान भारत ने बांग्लादेश से आने वाले अवैध घुसपैठियों को प्रत्यर्पित किए जाने का मुद्दा भी उठाया था। तत्कालीन गृह राज्यमंत्री मुल्लाप्पली रामचंद्रन ने इस बारे में लोकसभा में लिखित जानकारी दी थी। इस ख़बर से अफवाह फैला रहे विपक्षी नेताओं, मीडिया और अर्बन नक्सल्स की पोल खुल जाती है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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