असम: सिर्फ 2 महीने में 15 अपराधी एनकाउंटर में ढेर, CM हिमंत बिस्व सरमा ने कहा- ‘कड़ी कार्रवाई के लिए पुलिस स्वतंत्र’

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा (साभार: जी न्यूज)

असम पुलिस द्वारा अपराधियों के एनकाउंटर की हो रही आलोचना और विपक्ष के हमलों का मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने जवाब दिया है। उन्होंने गुरुवार (15 जुलाई 2021) को विधानसभा में पुलिस का बचाव करते हुए स्पष्ट संदेश दिया कि कानून के दायरे में रहकर पुलिस को अपराधियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की पूरी आजादी है।

विधानसभा में विपक्ष के नेता देवव्रत सैकिया द्वारा मुठभेड़ों पर उठाए गए सवाल का जवाब देते हुए सरमा ने विधायकों से यह संदेश देने की अपील की कि सदन किसी भी तरह के अपराधों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि सदन के नेता के तौर पर वो पुलिस को उसके कार्यों, खास तौर पर उनके कार्यकाल में किए गए काम के लिए बधाई देते हैं।

सीएम सरमा ने डीजीपी को संबोधित करते हुए कहा, “मैं डीजीपी से कहना चाहता हूँ कि निर्दोष लोगों पर अत्याचार न करें। जब तक आप कानून के मुताबिक काम करते रहेंगे, आपको किसी भी अभियान के चलाने की पूरी स्वतंत्रता होगी।”

सदन को मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने बताया कि बीते दो महीने में मुठभेड़ के दौरान कुल 15 अपराधियों की मौत हुई है। जबकि हिरासत के दौरान 23 लोगों घायल हुए, इनमें से 5 लोगों की मौत हुई है, जिन्होंने हिरासत के दौरान पुलिस के हथियार छीनकर भागने की कोशिश की थी। इसके अलावा 10 उग्रवादियों का एनकाउंटर किया गया।

सीएम हिमंता बिस्व सरमा ने कहा, “मेरी सरकार अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करेगी और मैं किसी भी तरह की आलोचना का सामना करने के लिए तैयार हूँ। मेरा स्पष्ट निर्देश (पुलिस को) है कि कानून तोड़ना नहीं है, लेकिन कानून के भीतर रहकर आप कड़ी से कड़ी कार्रवाई करते हैं तो भी असम सरकार आपकी रक्षा करेगी।”

उन्होंने आगे कहा, “2 महीने में मवेशियों की तस्करी में शामिल 504 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस की फायरिंग के दौरान केवल चार घायल हुए। सभी का पुलिस ने अच्छे से अच्छा इलाज करवाय़ा है।” आलोचना को लेकर भाजपा नेता ने कहा कि सहानुभूति अच्छी बात है, लेकिन गलत सहानुभूति बहुत ही खतरनाक है।

गौरतलब है कि असम मानवाधिकार आयोग ने मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर इस पुलिस एनकाउंटर के मामले में स्वत: संज्ञान लिया है। 7 जुलाई 2021 को राज्य मानवाधिकार आय़ोग ने राज्य सरकार से उन परिस्थितियों की जाँच करने को कहा था, जिनके कारण आरोपितों की पुलिस फायरिंग में मौत हुई या फिर वो घायल हुए था। एएचआरसी के सदस्य नबा कमल बोरा ने बताया, “समाचार रिपोर्ट्स के अनुसार सभी आरोपित हिरासत में थे और हथकड़ी में थे, इसलिए हमें यह जानने की जरूरत है कि क्या हुआ था।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया