आजम खान की जौहर यूनिवर्सिटी पर चली जेसीबी, दीवार ढाह प्रशासन ने मुक्त कराई सरकारी जमीन

आजम खान की यूनिवर्सिटी पर चला बुलडोजर

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी नेताओं के दिन कुछ ख़ास अच्छे नहीं चल रहे हैं। एक ओर जहाँ सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के मंच पर ‘जय श्री राम‘ के नारे लगा जनता सवाल दाग रही है तो वहीं उनकी पार्टी के बदजुबान सांसद आजम खान की यूनिवर्सिटी पर प्रशासन जेसीबी चला रहा है।

लंबे अरसे से विवाद और मुकदमों में चल रही उत्तर प्रदेश के भू-माफिया आजम खान की जौहर यूनिवर्सिटी की दीवार पर बृहस्पतिवार (फरवरी 20, 2020) दोपहर आखिरकार प्रशासन ने बुलडोजर चला दिया गया। आजम उत्तर प्रदेश के रामपुर में स्थित इस यूनिवर्सिटी के कुलपति हैं। यह कार्रवाई प्रशासन की तरफ से चकरोड प्रकरण में की गई। प्रशासन द्वारा जौहर यूनिवर्सिटी की दीवार को कई जगह से जेसीबी मशीन से तोड़कर उसके अंदर कब्जा किए गए सरकारी चकरोड से कब्जे को हटाया गया है। इस यूनिवर्सिटी में चकरोडों पर अवैध कब्जे का मामला चल रहा था। अधिकारियों ने इस घटना के संबंध में जौहर यूनिवर्सिटी प्रशासन को पहले ही नोटिस जारी कर दिया था। इस मामले में तीन थानों की फोर्स ने मिलकर 17 बीघा जमीन पर बनी तीन मीटर दीवार को तोड़कर रास्ता बनाया।   

दरअसल, चकरोड की जमीन को आजम खान ने नियम विरुद्ध तरीके से ग्राम पंचायत की जमीन के साथ बदल कर कब्जा कर लिया था। उस पर ऊँची-ऊँची दीवारें बना ली थी। जिलाधिकारी का कहना है कि दीवार गिराए जाने संबंधी कार्रवाई नियमानुसार लखनऊ राजस्व बोर्ड के आदेश पर की गई है। इन पर भू-माफिया आजम खान ने अवैध रूप से निर्माण कर लिया था, जिसे जेसीबी द्वारा ध्वस्त किया गया है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, रामपुर के जिला अधिकारी ने बताया कि यूनिवर्सिटी की दीवार गिराकर कुछ कब्जा हटा दिया गया है और सरकारी चकरोड की जमीन से अभी दो बड़ी बिल्डिंगों को हटाना बाकी है। जिला अधिकारी ने यह भी बताया कि उन्होंने जौहर यूनिवर्सिटी प्रशासन को तीन दिन का समय दिया है कि वह खुद अवैध निर्माण को हटा ले, ऐसा न करने पर उनकी टीम नियमानुसार कार्रवाई करेगी।

गौरतलब है कि आजम खान की जौहर यूनिव​र्सिटी की यह दीवार आलियागंज गाँव की तरफ बनी थी। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के नेतृत्व के दौरान ही सरकारी चकरोड की जमीन मोहम्हमद अली जौहर यूनिवर्सिटी को देकर इसके बदले ग्राम पंचायत को दूसरे स्थान पर जमीन उपलब्ध करा दी गई थी। बाद में उत्तर प्रदेश राजस्व परिषद ने जमीन की इस अदला-बदली को गलत माना था और इसे खाली करने का आदेश दिया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया