कोरोना की आड़ में बॉर्डर से हटाया तो भुगतने पड़ेंगे गंभीर परिणामः BKU की मोदी सरकार को एक और धमकी

बीकेयू ने फिर केंद्र सरकार को दी धमकी (फाइल फोटो)

दिल्ली में कोरोना वायरस का कहर लगातार जारी है। हालात गंभीर होते जा रहे हैं, लेकिन दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे कथित किसानों ने प्रदर्शन स्थल से एक इंच भी हिलने से साफ इनकार कर दिया है। ये वही कथित किसान हैं, 26 जनवरी को लाल किला हिंसा में भी शामिल रहे हैं। दिल्ली की सीमाओं पर महीनों से डेरा डाले इन कथित किसानों के कारण कोरोना मरीजों की जान बचाने के लिए आवश्यक ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाले वाहनों का रास्ता भी बाधित हो रहा है।

कोरोना की दूसरी लहर जहाँ पहले से कहीं खतरनाक होकर सामने आ रही है, वहीं इन कथित किसानों ने एक बार फिर से पंजाब से दिल्ली तक मार्च करने का निर्णय लिया है। राकेश टिकैत की अगुवाई वाली भारतीय किसान यूनियन ने भाजपा सरकार को हाल ही में प्रदर्शन स्थल खाली नहीं करने की धमकी दी थी। अब बीकेयू के गुरनाम सिंह चढूनी ने केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर सरकार ने कोरोना संकट की आड़ में सीमाओं को खाली करने की कोशिश की तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे।

मजे की बात यह है कि ऐसा ही बयान इच्छाधारी प्रदर्शनकारी के नाम से कुख्यात योगेंद्र यादव ने भी दिया था। योगेंद्र यादव ने भी कहा था कि मोदी सरकार कोरोना वायरस महामारी के बहाने विरोध-प्रदर्शन को खत्म करने की कोशिश कर रही है।

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इससे पहले 17 अप्रैल को भी चढूनी ने बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने की धमकी दी थी। उन्होंने ट्वीट में लिखा था, “बीजेपी को यह नहीं समझना चाहिए कि वो किसानों के प्रदर्शन स्थल को खाली कराने में सक्षम है। अगर सरकार इस तरह की कोई भी कार्रवाई करती है, तो भाजपा अपना चेहरा तक नहीं बचा पाएगी।”

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कुछ दिनों पहले, जम्मू के दौरे पर गए किसान नेता राकेश टिकैत ने जोर देकर कहा था कि किसानों का आंदोलन शाहीन बाग नहीं है, जिसे कोरोना वायरस के नाम पर खत्म किया जा सके।

कथित किसानों की ये नौटंकी यहीं समाप्त नहीं होती है। ऐसे वक्त में जब देश में कोरोना संकट की वजह से एक दिन में ही 3 लाख से अधिक नए कोरोना संक्रमण के मामले दर्ज किए गए। प्रदर्शनकारी किसानों ने राष्ट्रीय राजधानी में गाजीपुर की सीमा पर एक इफ्तार पार्टी रखी, जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग के सभी नियमों का जमकर उल्लंघन हुआ। प्रदर्शन स्थल की चौंकाने वाली तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी वायरल हुईं। इसमें किसान नेता एक बड़े समूह के साथ भोजन करते दिखे। उस दौरान कोरोना के नियमों की जमकर धज्जियाँ उड़ीं।

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पूरे देश में व्याप्त कोविड-19 महामारी के मौजूदा संकट को पूरी तरह से अनदेखा करते हुए भारतीय किसान यूनियन ने कृषि कानूनों के विरोध में 21 अप्रैल को दिल्ली में एक मार्च की भी घोषणा की थी। यह ऐलान ऐसे वक्त में किया गया था, जब दिल्ली में संक्रमितों के मामलों में भारी उछाल देखने को मिल रहा है। राष्ट्रीय राजधानी में अस्पतालों में बेड, रेमडेसिविर और ऑक्सीजन की किल्लत मची हुई है।

किसानों के कंधों पर बंदूक रखकर निशाना लगा रहे राकेश टिकैत ने कहा है महामारी का बहाना बनाकर किसान आंदोलन को रोका नहीं जा सकता है। खास बात यह है कि राकेश टिकैत ने खुद वैक्सीन की डोज ले ली है। टिकैत ने यह भी कहा है कि अगर दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहा एक भी किसान कोरोना संक्रमित होता है तो इसके लिए केंद्र सरकार ही जिम्मेदार होगी।

रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के साथ बात करते हुए टिकैत ने कहा, “अगर किसान वायरस से संक्रमित होते हैं तो जिम्मेदारी पूरी तरह से सरकार की होगी। जब देश भर में COVID-19 मामले बढ़ रहे हैं तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है? क्या इसके लिए भी किसान जिम्मेदार हैं? ”

उन्होंने आगे कहा, “अगर कोई बीमारी है, तो सरकार को इसका इलाज सुनिश्चित करना चाहिए और इसके लिए अस्पतालों का निर्माण करना चाहिए। राजनेता दूसरी चीजों के लिए धन जुटा रहे हैं। वे रैलियाँ कर रहे हैं और चुनाव लड़ रहे हैं।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया