बसपा सुप्रीमो मायावती ने सपा के साथ गठबंधन के बाद पहली बार अमेठी और रायबरेली से कॉन्ग्रेस के खिलाफ अपने प्रत्याशी नहीं उतारा है। महागठबंधन के द्वारा रायबरेली और अमेठी की सीट कॉन्ग्रेस के लिए छोड़े जाने को लेकर मायावती ने पहली बार बोला है। मायावती ने रविवार (मई 5, 2019) को इसके पीछे का कारण बताते हुए कहा कि उन्होंने देश और जनहित में, खासकर भाजपा-आरएसएस जैसी ताकतों को कमजोर करने के लिए यूपी में अमेठी-रायबरेली लोकसभा सीट कॉन्ग्रेस के लिए छोड़ दी, ताकि इसके दोनों सर्वोच्च नेता इन्हीं सीटों से फिर से चुनाव लड़ें और इन दोनों सीटों में ही उलझ कर ना रह जाएँ। फिर कहीं भाजपा इसका फायदा यूपी के बाहर कुछ ज्यादा ना उठा ले। इसे खास ध्यान में रखकर ही, सपा-बसपा गठबंधन ने दोनों सीटें कॉन्ग्रेस के लिए छोड़ दी थीं। मायावती ने कहा कि उन्हें मुझे पूरी उम्मीद है कि महागठबंधन का एक-एक वोट हर हालत में दोनों कॉन्ग्रेस नेता को मिलने वाला है।
मायावती ने इसके लिए बकायदा महागठबंधन के समर्थकों से अपील की है कि वो लोग 6 मई को रायबरेली और अमेठी लोकसभा सीट पर होने वाले मतदान में कॉन्ग्रेस नेताओं के पक्ष में वोट करें। उन्होंने कहा, “भाजपा और कॉन्ग्रेस दोनों ही पार्टियाँ एक जैसी हैं। हमने कॉन्ग्रेस के साथ कोई समझौता नहीं किया है, लेकिन भाजपा को हराने के लिए रायबरेली और अमेठी सीट पर हमारी पार्टी का वोट कॉन्ग्रेस को मिलेगा।”
इसके साथ ही मायावती का कहना है कि महागठबंधन को जनता का पूर्ण समर्थन मिल रहा है, जिसकी वजह से भाजपा परेशान हो गई है और गठबंधन को तोड़ने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि यह गठबंधन सिर्फ केंद्र में नया प्रधानमंत्री व नई सरकार बनाने के लिए नहीं है, बल्कि यूपी में भी भाजपा की सरकार को हटाएगा और 23 मई को देश को निरंकुश व अहंकारी शासन से मुक्ति मिल जाएगी।