अभियान कॉन्ग्रेस का, पैसे जा रहे BJP को: चंदा लेने के चक्कर में कॉन्ग्रेस के साथ हुआ ‘मोये-मोये’

कॉन्ग्रेस के अभियान के नाम की वेबसाइट खोलने पर भाजपा का पेज खुलता है (चित्र साभार: Madhyamam & BJP)

कॉन्ग्रेस ने तीन राज्यों में हार के बाद चंदा जुटाने के लिए ‘डोनेट फॉर देश’ नाम से एक अभियान चालू किया है। हालाँकि, यह अभियान अब कॉन्ग्रेस की जगह भाजपा के लिए चंदा इकट्ठा कर रहा है। इस पर लोग सोशल मीडिया पर कॉन्ग्रेस के मजे ले रहे हैं। लोगों का कहना है कि कॉन्ग्रेस के साथ ‘मोये-मोये’ हो गया है।

दरअसल, कॉन्ग्रेस ने इस अभियान का नाम ‘डोनेट फॉर देश’ (Donate For Desh) रखा है लेकिन इस नाम से वेबसाइट खोलने पर भाजपा को चंदा देने का पेज खुल रहा है। यदि कोई भी व्यक्ति Donatefordesh.Org वेबसाइट को खोलता है तो इस पर भाजपा को चंदा देने का पेज खुलता है। यहाँ नाम, मोबाइल नम्बर और ईमेल आईडी देकर भाजपा को चंदा देने का फॉर्म खुलता है। वहीं Donatefordesh.Com और Donatefordesh.in भी कॉन्ग्रेस नहीं ले पाई।

सोशल मीडिया पर कॉन्ग्रेस से मजा लिया जा रहा है कि वह जिस नाम से अभियान चला रहे हैं उस नाम की सारी वेबसाइट पहले ही किसी ने खरीद ली। एक वेबसाइट तो भाजपा ने ही खरीद ली और कॉन्ग्रेस के चंदा एकत्रीकरण अभियान से अपने लिए चंदा लेना चालू कर दिया है। लोगों ने इसे कॉन्ग्रेस के आईटी विभाग की विफलता बताया है। लोगों ने यह भी कहा है कि कॉन्ग्रेस पैसा तो देश के नाम पर माँग रही है लेकिन तिजोरियाँ अपनी भर रही है।

हालाँकि, ऐसा नहीं है कि कॉन्ग्रेस को बीते कुछ सालों में चंदा नहीं मिला है। कॉन्ग्रेस को 2021-22 में ₹95 करोड़ इलेक्टोरल बांड के जरिए चंदा मिला था। इसके बाद अलावा कॉन्ग्रेस ने यह सितम्बर 2023 में घोषणा की थी कि उसके पास लगभग ₹700 करोड़ की सम्पत्ति है।

कॉन्ग्रेस ऑनलाइन और ऑफलाइन, दोनों तरीके से चंदा इकट्ठा करेगी। कॉन्ग्रेस 28 दिसम्बर, 2023 को स्थापना के 138 साल पूरे कर रही है। इसीलिए कॉन्ग्रेस ने अपने समर्थकों ₹138 के गुणक में पैसा देने की अपील की है। कॉन्ग्रेस ने अपने जिला और प्रदेश स्तर के कार्यकर्ताओं से ₹1380 देने की अपील की है।

अभियान की शुरुआत इसके अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे ने की है और पार्टी को ₹1.38 लाख चंदा दिया है। कॉन्ग्रेस 28 दिसम्बर, 2023 तक यह अभियान ऑनलाइन चलाएगी, इसके बाद इसके कार्यकर्ता घर-घर जाकर चंदा इकट्ठा करेंगे। हालाँकि, ऑनलाइन अभियान के पहले ही उनके नाम का डोमेन (वेबसाइट का नाम) किसी और ने खरीद लिया।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया