सीबीआई की विशेष अदालत ने बड़ा फैसला देते हुए सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में सभी 22 अभियुक्तों को सबूतों के आभाव में बरी करने का आदेश दिया है। अभियुक्तों में अधिकतर गुजरात और राजस्थान के पुलिस अधिकारी हैं। न्यायमूर्ति एसजे शर्मा ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सभी गवाह और सबूत साजिश और हत्या को साबित करने के लिए काफी नहीं थे। अदालत ने यह भी पाया कि मामले से जुड़े परिस्थितिजन्य सबूत भी पर्याप्त नहीं है। इसके साथ ही अदालत ने इस मुठभेड़ को फर्जी मानने से भी इनकार कर दिया। अदालत ने सीबीआई के बारे में कहा कि उसने 210 गवाहों को अदालत में पेश कर अपनी दलीलों को साबित करने की पूरी कोशिश की।
ज्ञात हो कि सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति एनकाउंटर मामले की जांच सीआईडी द्वारा की जा रही थी जिसे 2010 में सीबीआई को सौंप दिया गया था। अदालत ने कुल 210 गवाहों के बयान सुने जिनमे से 92 गवाह अपने बयानों से पलट गए थे इस महीने के शुरुआत में ही अदालत ने अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था। बता दें कि न्यायाधीश वर्मा का कार्यकाल कुछ ही दिनों बाद समाप्त होने जा रहा है। अपने कार्यकाल का अंतिम फैसला सुनाते हुए उन्होंने कहा;
“सोहराबुद्दीन की मौत गोली लगने से हुए घावों से हुई जैसा कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से भी साबित होता है लेकिन इन अभियुक्तों में से कोई भी इस मौत की वजह थे, ऐसा साबित नहीं होता। तुलसीराम प्रजापति को एक साजिश के तहत मारा गया, यह आरोप भी सही नहीं है।”
अपना फैसला सुनाते हुए जस्टिस वर्मा ने आगे कहा;
“अगर गवाह अपने बयानों से पलट जाये तो इसमें पुलिस या वकीलों की कोई गलती नहीं है। हमें इस बात का दुख है कि तीन लोगों ने अपनी जान खोई है, लेकिन कानून और सिस्टम को किसी आरोप को सिद्ध करने के लिए सबूतों की आवश्यकता होती है। सीबीआइ इस बात को सिद्ध ही नहीं कर पाई कि पुलिसवालों ने सोहराबुद्दीन को हैदराबाद से अगवा किया था। इस बात का कोई सबूत नहीं है।”
इसी मामले में 16 लोगों को पहले ही सबूतों के आभाव में बरी किया जा चुका है। ज्ञात हो कि इस केस में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, राजस्थान के पूर्व गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया, गुजरात पुलिस के पूर्व डीआईजी डीजी वंजारा के नाम भी आरोपियों में शामिल थे। अमित शाह 2014 में ही इस मामले में आरोप-मुक्त करार दिए गए थे वहीं डीजी वंजारा को 2017 में इन आरोपों से बरी कर दिया गया था।
क्या है मामला?
26 नवंबर 2015 में गुजरात एटीएस और राजस्थान एसटीएफ ने अहमदाबाद के निकट मध्य प्रदेश के अपराधी सोहराबुद्दीन को शेख एक पुलिस मुठभेड़ में मार गिराया गया था। इस घटना के लगभग एक साल बाद दिसम्बर 2016 में सोहराबुद्दीन के सहयोगी तुलसीराम को भी एक एनकाउंटर में पुलिस ने मार गिराया था। सीबीआई ने इन दोनों को फर्जी एनकाउंटर बताया था।