जूठे सेब से मारा-मारी, लात-घूँसों से बचने के लिए टेबल का सहारा: मेयर से ज्यादा ‘पावर’ वाली कुर्सी के लिए दिल्ली MCD में लड़ाई

दिल्ली MCD सदन में आम आदमी पार्टी और भाजपा पार्षदों के बीच भिड़ंत (चित्र साभार- @SanjayAzadSIn)

दिल्ली MCD की मेयर शैली ओबेरॉय की जीत के बाद नगर निगम का सदन जंग के अखाड़े में तब्दील हो गया। आधी रात को MCD सदन में आम आदमी पार्टी और भाजपा पार्षदों द्वारा एक दूसरे पर पानी की बोलतें फेंकी गईं। इस दौरान दोनों पार्टियों के पार्षदों ने एक दूसरे पर लात-घूँसे भी बरसाए। स्टैंडिंग कमेटी के लिए हो रहे चुनाव के दौरान 22-23 फरवरी की रात में यह हंगामा शुरू हुआ। दोनों ही पक्षों ने एक दूसरे पर हमले का आरोप लगाया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मेयर और डिप्टी मेयर 22 फरवरी रात तक चुन लिए गए थे। इसके बाद स्टैंडिंग कमेटी का चुनाव था, जो हिंसक हो उठा। भारतीय जनता पार्टी के पार्षदों ने आम आदमी पार्टी पर स्थाई समिति के चुनावों में धांधली करने का आरोप लगाया है। इसके बाद भाजपा ने फिर से चुनाव करवाने की माँग रखी।

भाजपा की माँग के बाद आधी रात को शुरू हुई तकरार ने MCD सदन में हंगामे का रूप ले लिया। इस दौरान दोनों पक्षों के पार्षदों के बीच झड़प हुई। हंगामे को रोकने के लिए सदन को बीच-बीच में थोड़े-थोड़े समय के लिए स्थगित भी करना पड़ा। इसी आपाधापी में सुबह हो गई। सुबह फिर कार्रवाई शुरू होते ही चुनाव के लिए रखा गया बैलेट बॉक्स भी सदन के वेल में फेंक दिया गया।

इस हंगामे के बीच आम आदमी पार्टी से नवनिर्वाचित मेयर शैली ओबेरॉय ने भाजपा पार्षदों पर गुंडागर्दी का आरोप लगाया है। मेयर शैली का दावा है कि विवाद के बीच उन पर हमले की कोशिश की गई। झगड़े की शुरुआत एक दूसरे पर बोतल फेंक कर हुई। बाद में पार्षदों ने अपने साथ खाने के लिए लाए गए फलों को दूसरे पक्ष पर फेंक कर मारना शुरू किया।

उत्तरी दिल्ली के पूर्व मेयर राजा इकबाल सिंह ने भी खुद पर बोतल फेंके जाने और सेब फेंक कर हमला करने का दावा किया है। बताया जा रहा है कि कुछ पार्षद पिटाई से बचने के लिए टेबल के नीचे छिप गए थे। MCD सदन में हुए इस हंगामे का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

बैलेट वोटिंग के दौरान फोन का प्रयोग मना है जबकि भाजपा पार्षद अर्जुन पाल सिंह का दावा है कि यह खुलेआम किया गया। उनके अनुसार आम आदमी पार्टी के पार्षदों द्वारा फोन का प्रयोग करने पर भाजपा पार्षदों ने विरोध किया। तब तक लगभग 50 पार्षद वोट देकर फोटो खींच चुके थे। दावा है कि इस विरोध को मेयर ने स्वीकार भी किया। अर्जुन पाल के मुताबिक इस हरकत का विरोध करने पर आप पार्षदों ने न सिर्फ भाजपा पार्षदों पर हमला किया बल्कि उन्हें धमकियाँ भी दी गईं।

वहीं आम आदमी पार्टी के विधायक कुलदीप कुमार ने भाजपा पर स्टैंडिंग कमेटी चुनावों को टालने की साजिश रचने का आरोप लगाया है। गौरतलब है कि एक दिन पहले 22 फरवरी को आप पार्षद शैली ओबेरॉय ने भाजपा की रेखा गुप्ता को हरा कर मेयर पद पर जीत हासिल की थी।

स्टैंडिंग कमेटी/स्थाई समिति के चुनाव पर बवाल क्यों?

दिल्ली MCD का जब मेयर और उप-मेयर का चुनाव हो गया तो फिर स्थायी समिति या स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव में इतना बवाल क्यों? यह सवाल लाजिमी है। इस सवाल के पीछे सत्ता की शक्ति का मामला है। दरअसल दिल्ली MCD के मेयर के पास बहुत सीमित शक्तियाँ होती हैं। लगभग सारा खेल ही स्थायी समिति या स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य द्वारा खेला जाता है।

दिल्ली MCD में स्टैंडिंग कमेटी ही कॉर्पोरेशन का कामकाज और प्रबंधन करती है। किसी प्रोजेक्ट को वित्तीय मंजूरी भी यही प्रदान करती है। नीतियों पर चर्चा करना, उसे अंतिम रूप देने आदि में भी स्टैंडिंग कमेटी का ही रोल होता है। एक तरह से आप इसे दिल्ली MCD की सबसे ताकतवर कमेटी कह सकते हैं। यही कारण है कि मेयर के चुनाव के बाद भी दिल्ली MCD का बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया